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जाते हुए इस साल को कहें शुक्रिया : गुड़िया झा

जाते हुए इस साल को कहें शुक्रिया : गुड़िया झा

कई सारे उतार-चढ़ाव से भरा यह साल हमें बहुत कुछ सीखा कर भी जा रहा है। ये साल वो कर गया जिसे बस महसूस करने की जरूरत है। अब सवाल उठता है कि जाते हुए इस साल को हम शुक्रिया क्यों कहें? इस साल ने हमें ऐसा दिया ही क्या है?
तो इस साल ने जो हमें दिया है उसके लिए तो इसे शुक्रिया जरूर कहना होगा।
1, सेहत के प्रति सचेत किया।
इस साल ने हमें यह बात अच्छे से सिखा दी है कि सेहत है तो सबकुछ है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि इस साल एक ऐसा दौर भी आया जिसमें प्रत्येक परिवार में कोई न कोई महामारी से परेशान था। हमारी अंदरूनी मजबूती, हमारा स्वास्थ्य, संतुलित खानपान के तौर तरीके। 2021 ने इसके प्रति हमें सचेत किया। इसका तो शुक्रिया बनता है।
2, प्रकृति के महत्व को समझाया।
इस सच्चाई को भी स्वीकारना होगा कि महामारी आने के बाद हम सभी का प्रकृति की ओर रूझान बढ़ा है। इस दौरान ज्यादातर हम भारतीयों ने प्रकृति की एहमियत को समझा है और यह भी मानना पड़ेगा कि हम इसकी अनदेखी नहीं कर सकते हैं। भले ही ये पेड़ पौधे बेजुबान होते हैं। लेकिन थोड़ी सी देखभाल करने से ये भी अपनी सेवाएं देने में कभी पीछे नहीं हटते हैं।
एक तरह से कहा जाये तो प्रकृति हम मनुष्यों का फेंफड़ा है। तो प्रकृति के इस अनमोल उपहार के लिए हमें उसका शुक्रगुजार तो होना पड़ेगा साथ ही हमें अधिक से अधिक पौधे लगाने की मुहिम को जारी रखना होगा। जिससे कि आने वाले समय में किसी को भी कठिनाइयों से नहीं गुजरना पड़े।
3, अपनों के महत्व को समझाया।
परिवार और सभी शुभचिंतकों का साथ, मार्गदर्शन, दुआएं ये सब ऐसी चीजें हैं जिसने हमें सिखाया कि लोग दूर रह कर भी कैसे हमारे लिए परेशान रहे। यह इस बात को प्रमाणित करता है कि दूरियां रास्तों की भले ही सही लेकिन दिलों में जो एक-दूसरे के लिए प्यार और सम्वेदनाएं थीं वो किसी अनमोल रत्नों से कम नहीं है। इसने हमें यह एहसास दिलाया कि हम अकेले नहीं हैं। सबके हौसले ने हम सबको फिर से सम्भलने की हिम्मत दी।
4, चिकित्सकों का समर्पण।
डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप माना गया है। इस महामारी के दौरान उनके योगदान की जितनी सराहना की जाये वो बहुत कम है। उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना करोड़ों लोगों को जीवनदान दिया है। अपने कर्त्तव्य निष्ठा की मिशाल पेश की है। हम कह सकते हैं कि हम जीवन के उन तमाम लोगों और परिस्थितियों को धन्यवाद देते हैं जिन्होंने इतना सबकुछ सिखाया। इतना ही नहीं महामारी के उस दौर ने आत्मविश्वास को भी बढ़ाया और सिखाया कि हमें हिम्मत नहीं हारना है।

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