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सेंगोल पर गोल पृथ्वी बनी है उस पर भगवान शिव के वाहन नंदी हैं, यह सनातन धर्म के राज्यधर्म का एक प्रतीक : डॉ सुबास साहु

राची, झारखण्ड | मई | 28, 2023 ::

सेंगोल का अर्थ :-
कर्तव्यपरायणता होता है। यह एक राजदंड है। शिवभक्त महाशक्ति चोल राजा अपने 500 वर्ष के लंबे शासनकाल में सत्ता हस्तांतरित करते थे।
यह पवित्र राजदंड वैदिक पुजारियों द्वारा पहले गंगाजल से पवित्र किया जाता है।
फिर क्रमशः शासक को सौंपते हैं।
उत्तरापथ में सत्ता हस्तांतरित होती है।

1947 में राजगोपालाचारी के अनुरोध पर कि भारतीय संस्कृति में सत्ता हस्तांतरण एक प्रक्रिया से होती है, नेहरू जी ने इस प्रकार के नियम को मान गये थे।

चेन्नई के सोनारों ने एक पवित्र सेंगोल बनाया।
जिसे पहले लाकर माउंटबेटन को दिया गया।
फिर पुजारियों ने मंत्रोच्चार से इसे गंगाजल से पवित्र किया और नेहरू को सौंप दिया गया था।
यह कार्य तमिलनाडु के शैव मठ थिवरुदुथुराई के महायाजकों ने संपन्न कराया गया था।

तमिलनाडु की कलाकार पद्मा सुब्रमण्यम ने जब प्रधानमंत्री को यह अवगत कराया तो उस सेंगोल की बहुत खोज हुई।

प्रयागराज के संग्रहालय में यह सेंगोल मिला।

सेंगोल पर गोल पृथ्वी बनी है उस पर भगवान शिव के वाहन नंदी हैं, यह सनातन धर्म के राज्यधर्म का एक प्रतीक नई संसद में लोकसभा अध्यक्ष के पीठ के पीछे बायें में स्थापित हुआ।

प्रधानमंत्री मोदी जी ने अपने देश की सांस्कृतिक परंपरा में यह अमूल्य योगदान किया है।

14 अगस्त, 1947 को सत्ता के हस्तांतरण के समय, तीन लोगों को विशेष रूप से तमिलनाडु से लाया
गया था।
अधीनम के उप मुख्य पुजारी, नादस्वरम वादक, राजरथिनम पिल्लई और ओथुवर (गायक) – जो सेंगोल लेकर आए थे और कार्यवाही का संचालन किया था।

तमिलनाडु हिंदू धार्मिक और धर्मार्थ बंदोबस्ती विभाग के 2021-22 नीति नोट के अनुसार: ”सिंहासन के समय, पारंपरिक गुरु या राजा के उपदेशक नए शासक को औपचारिक राजदंड सौंप देंने की परंपरा की बातें है।

इस परंपरा का पालन करते हुए, जब ओथुवमूर्तियों ने कोलारू पाथिगम- थेवारम से 11वें छंद की अंतिम पंक्ति
का गायन पूरा किया, तो थिरुववदुथुरै अदीनम थंबीरन स्वामीगल ने 1947 में सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में अंग्रेजो ने यह राजदंड पंडित जवाहर लाल नेहरू जी को सोने की परत चढ़ा राजदंड सौप दिया था।
इसके शीर्ष पर भगवान शिव के वाहन नंदी को बनाया गया है जो न्याय और कर्म को दर्शाता है।

* अदंड्योस्मि…धर्मदंड्योसि

प्राचीन भारत में एक अद्भुत प्रथा प्रचलित थी।
जब राजा का राज्याभिषेक होता था तो, राजा कहता था ‘अदंड्योस्मि’ अर्थात्
मुझे दंड नहीं दिया जा सकता ।
ऐसे में राजा का गुरु एक कुश का प्रतीकात्मक दंड लेकर राजा को मारता हुआ कहता था – ‘धर्म दंड्योसि’ अर्थात् तुम्हारे ऊपर भी धर्म का दंड है।

राजा मार खाते हुए यज्ञ की पवित्र अग्नि की परिक्रमा करता था।

यह केवल कर्मकांड नहीं था, राजा इस बात को याद रखते हुए ही समस्त निर्णय लेता था, जिससे धर्म की हानि ना हो, धर्म विरुद्ध कोई कार्य न हो।

लोकतंत्र मे संसद सर्वोपरी है। नये संसद भवन में प्रस्थापित किया जाने वाला चौल वंशीय राजदंड, प्राचीन भारत की महान विरासत का अद्भुत प्रतीक है जो भारत की बढ़ती हुई महत्वाकांक्षा और इच्छाशक्ति को दिखाता है।
यह निष्पक्ष और न्यायसंगत शासन के मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है।

आज तमिलनाडु के पूज्य संतों ने मंत्रोच्चार के बीच प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को धर्म दंड (सेंगोल) सौंपा
और आज पूरे विधि विधान व मंत्रोउच्चारण से नए संसद भवन में लोकसभा के कुर्सी के पीछे बायीं ओर स्थापित किया गया ।

डॉ सुबास साहु

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