रूपांतरण शिक्षा और परीक्षा
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रूपांतरण शिक्षा और परीक्षा

रांची, झारखण्ड | फरवरी | 21, 2020 :: अभी परीक्षा का समय चल रहा है। इस समय विद्यार्थियों के साथ माता पिता भी दवाब में रहते हैं। माता पिता को परेशान देख कर बच्चों के कोमल मन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। दोनों को इस स्थिति से बाहर निकलने की जरूरत है। तभी हम एक स्वस्थ वातावरण बनाते हुए आने वाले सुंदर भविष्य की कल्पना कर सकते हैं।

जाने माने ट्रांस्फोर्मेशनल मेंटर श्री नवीन चौधरी जो रूपांतरण शिक्षा और कई प्रकार की समस्याओं के निराकरण के लिए भारत के कई शहरों के स्कूलों और कॉलेजों में विद्यार्थियों को प्रशिक्षण दे चुके हैं और जिनके प्रशिक्षण से बहुत सारे विद्यार्थियों और कई परिवार वालों को बहुत सारे लाभ भी हुए हैं, ने अपनी पुस्तक ‘जन्मजात विजेता’ में कहा है कि बच्चे तो जन्म से ही विजेता हैं।

जन्म लेने के बाद उनका अपना स्वाभाविक गुण उनमें अपने आप ही विकसित होता है। अतः हमे इससे सीख लेनी चाहिये और न बच्चों पर न खुद ऊपर अच्छा करने का दवाब बनाना चाहिए।

नीचे लिखे सुझाव तनाव कम करने में उपयोगी हो सकते है:-

1. बच्चों की तुलना दूसरे से न करें

हमारे देश में अभी यह काफी गंभीर समस्या है। बच्चों की तुलना हम घर के दूसरे बच्चे या पास पड़ोस के बच्चों से करने लगते हैं। ऐसा करने से हमें बचना चाहिए। इस तरह का माहौल बच्चों में हीन भावना उत्पन्न करता है। उनका मनोबल टूटता है और वे निराश हो जाते हैं। हमें उन्हें यह बताना होगा कि परीक्षा में अधिक नंबर लाने के पीछे नहीं भागें। दूसरे की देखा देखी ना कर अपनी पढ़ाई में एकाग्रता बनाये रखें। सभी बच्चों की अलग अलग योग्यताएँ होती हैं। बच्चे का मनोबल हमेशा बनायें रखें और उन्हें प्रोत्साहित करें। सभी अपने आप मे पूर्ण हैं। किसी को कम या ज्यादा आंकना सही नही।

2 दिखावे से बचना चाहिए ।
हमें हमेशा झूठे दिखावे की आदतों से बचना चाहिए। बच्चे को भी इसकी सही जानकारी देनी चाहिए कि वे हमेशा वास्तविकता में रहकर अपनी पढ़ाई के प्रति रुचि को बनाये रखें। हमारे पास जो भी वर्तमान में साधन हैं, उसका उपयोग करके हम शांतिपूर्ण तरीके से बच्चों की पढ़ाई में आगे बढ़ने के लिए हम अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। ये कोई जरूरी नहीं कि बहुत सारे नंबर लाने के बाद ही बच्चे खुश रहेंगे। सबकी अपनी स्वाभाविक खुशी होती है। हमें उन खुशियों को तलाश कर उसमें जीवन का आनंद लेना चाहिए।

असफलता सफलता की जननी है। इस बात को अगर हम मान लें तो निश्चित ही परीक्षा का डर हमें नहीं सताएगा। इससे हमें इस बात की सीख मिलती है कि हमें अपने कमियों को देख कर उसमें सुधार करने का अवसर मिलता है। इस अवसर को हमेशा नई संभावनाओं के रूप में लेना चाहिए और एक नई दिशा की ओर आगे बढ़ते हुए नये भविष्य के निर्माण में आगे बढ़ना चाहिए। हर बात का शक्तिशाली अर्थ देना चाहिये।

गुड़िया झा

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