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अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहें : गुड़िया झा

रांची, झारखण्ड | मार्च | 07, 2020 :: हमारे जीवन में कोई भी लक्ष्य निश्चित, स्पष्ट और उचित होना चाहिए।
साथ ही यह हमारी स्वाभाविक योग्यता, क्षमता और जीवन के उद्देश्य से मेल खाता हुआ होना चाहिए।
हमारा लक्ष्य प्रेरणादाई और चुनौतीपूर्ण भी होना चाहिए। लक्ष्य प्राप्ति में चुनौतियों का सामना करने की जितनी अधिक हमारे अंदर क्षमता होगी, हम अपने लक्ष्य के उतने ही करीब होंगे।

नीचे दिए गए कुछ बातें मददगार साबित हो सकती हैं।

1. लक्ष्य निर्धारण की योजना बनाना।

सबसे पहले हमें यह तय करना होगा कि लक्ष्य ऐसा होना चाहिए कि जिसमें स्वयं के साथ साथ दूसरों का भी भला हो।हमारी अपनी योग्यता और क्षमता का इसमें सबसे महत्वपूर्ण योगदान रहता है।
जिस काम को करने में हमें बहुत मन लगता हो, जिस विषय पर हमारी मजबूत पकड़ हो, उसी में आगे बढ़ना चाहिए।
इस हीन भावना से जरुर ही बचना चाहिए कि दूसरे के पास जो पर्याप्त साधन है, वो हमारे पास क्यों नहीं है।
हमारी अपनी क्षमता किसी साधन की मोहताज नहीं है।
अपने आत्मविश्वास को बनाये रखना सबसे बड़ी चुनौती है।

2, योजना को नियमित रूप से चेक करना।

हमने जिस लक्ष्य को चुना है उसमे पूर्ण रूप से समर्पित होना हमारी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। हमने जिस काम को एक बार किया है उसे आगे और बढ़ाने के लिए लगातार प्रैक्टिस करते रहना चाहिए।
इससे हम पाएंगे कि अपने लक्ष्य के प्रति हम दिन प्रतिदिन नजदीक होते जा रहे हैं।

3. कारण देने से बचें।

आमतौर पर देखा जाता है कि अपने लक्ष्य को पाने में जब हम असमर्थ हो जाते हैं, तो इसका दोष दूसरों को देने लग जाते हैं कि किसी ने हमारी आर्थिक, मानसिक या शारीरिक रूप से हमारी मदद नहीं की।
जो कि एकदम गलत है। जरूरत इस बात की है कि इसकी जिम्मेदारी हम पूर्ण रूप से अपने ऊपर लें।क्यों कि हमारी खुद की योग्यता व क्षमता का आकलन हमारे अंदर कितना है और हमने इसका उपयोग अपने लक्ष्य प्राप्ति में कितना किया है, ये हमसे ज्यादा कोई दूसरा नहीं समझ सकता है।

4. तर्क पूर्ण अर्थ देना।

जब कोई हमारी अपेक्षा पर खड़ा नहीं उतरता, तो हमें बहुत ही मायूसी होती है। हम बेवजह उनपर दोषारोपण करने लगते हैं कि उन्होंने हमारी मदद नहीं की।

इन सबसे अलग यदि हम ये सोचें कि उनकी कुछ विशेष परिस्थितियों रही होंगी जो शायद हमें उनके बारे में नहीं पता है।
ऐसी भावना बनाने से हमारे संबंधो का दायरा भी विस्तृत रहेगा और हम ओछी मानसिकता के शिकार भी नहीं होंगे।

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