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शरीर एवं मस्तिष्क एक ही इकाई के दो भाग हैं : डॉ परिणीता सिंह ( योग विशेषज्ञ )

सूक्ष्मासन वे योगाभ्यास है, जिसमें शरीर के सभी बाहरी छोटे बड़े जोड़ों- जैसे पांव की अंगुलियों से लेकर गर्दन, चेहरा तक के जोड़ों एवं मांसपेशियों में उसकी निर्धारित सीमा तक मोड़ते या घूमते आते हैं। सामान्य खिंचाव उत्पन्न किया जाता है। यह अभ्यास बड़ा ही सरल दिखता है लेकिन इसका प्रभाव किसी भी अभ्यास से कम नहीं होता है। हम सभी जानते हैं कि शरीर एवं मस्तिष्क एक ही इकाई के दो भाग हैं। मन मस्तिष्क में उत्पन्न तनाव हमारे मांसपेशियों तथा जोड़ों मैं कडापन एवं थकान उत्पन्न कर देता है। शारीरिक दुर्बलता का असर भावना पर पड़ता है और यह भावनात्मक विक्षेप हमारे जीवन का नियमित अंग बन जाता है। जब इस अभ्यास को स्वास  एवं सजगता के साथ करते हैं तो प्रत्येक अंगों के प्रति एकाग्रता उत्पन्न होती है। मस्तिष्क के सोमेटोसेंसरी क्षेत्र जहां दर्द, तापमान,दबाव, स्पर्श की अनुभूति ,मांसपेशियों की गति और जोड़ो की स्थिति के बारे में महसूस किया जाता है। जोड़ो की गति इस भाग में काफी बदलाव लाता है जिससे ना सिर्फ जोड़ों और मांसपेशियों में स्फूर्ति और लचीलापन आता है बल्कि मन मस्तिष्क से यह जुड़े रहने के कारण यहां भी सकारात्मक बदलाव होते हैं। स्नायु में परिवर्तन हमारे प्राण संचार को सक्रिय करता है जिससे इन जोड़ो से विषैले तत्व बाहर आते हैं और मन स्थिर एवं स्वस्थ शरीर की प्राप्ति होती है। यह अभ्यास तनाव से उत्पन्न बीमारियां जैसे गठिया ,उच्च रक्तचाप ,अस्थमा, अल्सर के लिए रामबाण का काम करती है। इस अभ्यास को सभी वर्ग के लोग कर सकते हैं खासकर वृद्ध व्यक्तियों के लिए काफी लाभप्रद है क्योंकि बढ़ती उम्र के कारण सभी योगाभ्यास संभव नहीं हो पाता है। परंतु यह सूक्ष्म अभ्यास सरलता से हो सकता है और शारीरिक एवं मानसिक विश्रांति को प्राप्त किया जा सकता है । वे अभ्यास जो उच्च  आसन को करना चाहते हैं वह इन सूक्ष्म अभ्यास द्वारा अपने शरीर को लचीला एवं मनःस्थिति को तैयार कर सकते हैं।

डॉ परिणीता सिंह
गेस्ट फैकल्टी :  स्कूल ऑफ योग, रांची यूनिवर्सिटी, रांची
वाइस प्रेसिडेंट :  इंडियन योग एसोसिएशन
डायरेक्टर : डिवाइन योगा अकेडमी
Email :: parinitasingh70@gmail.com

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