पशुओं को भी चाहिए हमारा प्यार और विश्वास : गुड़िया झा
हम मनुष्यों की तरह पशुओं में भी संवेदनाएं होती है। सोचने समझने और प्यार बांटने की अद्भुत क्षमता होती है। फर्क सिर्फ इतना है कि हम अपना सुख और दुख बोलकर व्यक्त कर सकते हैं लेकिन यह बेजुबान अपनी तकलीफ किसी से व्यक्त नहीं कर पाते हैं। तभी तो इन निर्दोष बेजुबानो की आए दिन हत्या की जाती है। कभी हम मनुष्यों के भोजन के लिए तो कभी पूजा में बली के नाम पर।
यह हमारी भारतीय संस्कृति की अजीब विडंबना है कि कभी शादी के शुभ अवसर पर तो कभी पूजा के अवसर पर शुभ अशुभ की अपनी व्याख्या करते हुए हम इनका शोषण करते हैं ।
जिंदगी का यह कड़वा सच है कि हम जो देते हैं वही कभी न कभी लौट कर हमारे पास ही आता है। पिछले डेढ़ वर्षों से पूरी दुनिया ने कोरोना वायरस महामारी के भयावह त्रासदी की चुनौतियों का सामना किया। वह भी कहीं ना कहीं हमारी गलतियों का ही नतीजा है।
हमने भी एक अजीब सी सोच पाल रखी है कि मांसाहार का सेवन करने से सभी प्रकार के पोषक तत्व को हम प्राप्त करते हैं। जबकि इसके इसके विपरीत हम यह सोचे कि पोषक तत्वों के नाम पर हम किसी निर्दोष की हत्या क्यों करें ? क्या मांसाहार के अलावा दुनिया के बाजारों में जितने भी खाद्य पदार्थ हैं उनमें पोषक तत्वों की कमी है ?
मांसाहार, जिसे एक तामसी भोजन की संज्ञा दी गई है, वह कैसे उपयुक्त है? जब हम अपने आसपास किसी गाय या कुत्ते को अपने हाथों से खाना खिलाते हैं तो एक अजीब सी शांति का अनुभव होता है। इतना ही नहीं जब हम प्रतिदिन अपने घर के छत या आंगन में पंछियों को दाना डालते हैं तो हम यह देखते हैं कि हमारे द्वारा दिए गए अन्न के दानों को एक-एक कर वह बड़े प्यार से समाप्त कर देती है।
पशु और पक्षियों को हमारे घर की इमारतों से कोई लेना देना नहीं। हमारा घर छोटा हो या बड़ा उन्हें तो बस प्यार और विश्वास की जरूरत पड़ती है । फिर वह प्रतिदिन हमारे आस पास आती हैं क्योंकि उन्हें हमारा प्यार और स्नेह मिलता है। इनका हमारे प्रति जो अटूट विश्वास है। अफसोस यह पशु पक्षी बोल नहीं पाते लेकिन प्रतिदिन हमारे पास आकर हमें अपनी प्रेमपूर्ण उपस्थिति का एहसास जरूर करा जाते हैं। यह मेरा अपना व्यक्तिगत अनुभव है। इसे मैं प्रतिदिन अपने जीवन में अनुभव करती हूँ। पशु को खिला कर मैं मानसिक शान्ति का अनुभव करती हूँ।
जब कभी हम विपरीत परिस्थितियों में होते हैं तो कहीं न कहीं हमारे द्वारा किए गए अच्छे कर्म ही हमें उन परिस्थितियों से बाहर भी निकालते हैं । प्रत्येक में अन्तरात्मा होती है । जो हमें दिल से दुआएं देती है और किसी की दुआएं कभी भी और कहीं भी बेकार नहीं जाती हैं।
हमारे देश में प्रत्येक वर्ष विश्व पशु दिवस मनाया जाता है। मगर अफसोस इसका नियमित रूप से पालन नहीं किया जाता क्योंकि कहीं ना कहीं इनके प्रति हमारी संवेदनाएं कम होती जा रही है ।
प्यार बांटना और घृणा करना दोनों ही हमारे हाथों में है। अब यह हमारे ऊपर निर्भर करता है कि हम क्या बांटे? ईश्वर ने इस संसार में हम मनुष्यों के साथ-साथ पशु पक्षियों की रचना कर हमें यह संदेश दिया है कि हमें एक दूसरे की भावनाओं का ख्याल कर सुरक्षित जीवन की ओर अग्रसर हो सकते हैं।