आलेख़

जीवन में एकाग्रता का महत्व : गुड़िया झा

आज इस अत्याधुनिक तकनीक की दुनिया में जहां हर चीज आसान हो गई है। वहीं इसके साथ अत्यधिक जुड़ाव से हमारे मन की चंचलता को और भी बढ़ावा मिला है।
सबसे ज्यादा तेज दौड़ने वाले हमारे अपने मन के विचार ही होते हैं। तुरंत एक से दूसरे बातों पर विचार करना हमारी आदत सी हो गई है। तकनीक ने जहां हर क्षेत्र में अपना सिक्का जमाया है, वहीं एकाग्रचित्त होकर काम करना पहले से भी ज्यादा मुश्किल हो गया है। अपनी एकाग्रता को बढ़ाने के लिए हम कुछ बातों को अपनाकर अपनी समस्याओं पर काफी हद तक काबू पा सकते हैं।
1, कई कामों का तनाव।
ऐसा भी होता है कि हम जो सोचते हैं कि हम किसी काम की योजना बनाकर उसे निर्धारित समय पर अवश्य पूरा कर लेंगे। परंतु ऐसा होता नहीं है। हम एक साथ कई सारे कामों को अपने हाथ में ले लेते हैं। इसका नतीजा यह होता है कि कामों को सही ढंग से ना करने के कारण हम बहुत ज्यादा दबाव महसूस करते हैं, जो हमारे तनाव का मुख्य कारण बनता है।
जो काम हम कर रहे हैं, पूरी तरह उसे मन लगाकर करना हमें शांति देता है। काम के बीच में टीवी या लगातार फोन देखना , दूसरों से बातें करते समय फोन पर टाइप करना, कुल मिलाकर यही हमारे जीने का ढंग हो गया है। पर, सच यह है कि जिंदगी ज्यादा बेहतर, ज्यादा आसान और मस्ती भरी होती है।
जब हम पूरी तरह डूब कर किसी काम को करते हैं, तो उस काम का सही तरीके और सही समय पर होना एक अलग ही आंनद देता है। हम अपना बहुत सारा समय वस्तुओं, विचारों, पुरानी यादों, अपने अच्छे-बुरे फैसलों,
अपनी इच्छाओं, बेमतलब की एक साइट से दूसरी साइट पर समय गवां देते हैं। यही वजह है कि एकाग्रता यानी एक चीज पर मन फोकस करने की क्षमता होना बेहद जरूरी होता है।
2, अभ्यास।
एकाग्रता के लिए सबसे अच्छा तरीका ध्यान है। ध्यान दो काम करता है। इससे हम दिमाग को एकाग्र कर पाते हैं और बिना कोई फैसला या राय बनाये अपने अनुभवों को जान-समझ पाते हैं। किसी भी चीज पर एकाग्रता बनाये रखने के लिए हमें लगातार अभ्यास की जरूरत होती है। हमारा अभ्यास जितना ज्यादा एक काम पर फोकस कर उसे सही तरीके से करने का होगा , तो धीरे-धीरे हम पायेंगे कि हमारे काम करने की क्षमता में भी गति आती है। इसे लगातार अमल में लाने के लिए सिर्फ और सिर्फ हमें ही अपने मन को स्थिर रखना होगा। क्योंकि हमारी अक्सर ही ये आदत होती है कि जैसे ही दूसरों की बातों को थोड़ा सुनते हैं और तुरंत ही अपने विचारों को छोड़कर दूसरों के विचारों पर काम करने लगते हैं। जो कि हर हाल में हमारे काम और सोचने की क्षमता को प्रभावित करता है। नतीजा यह होता है कि हमारे सोचने, समझने की शक्ति कम होती जाती है और हम कोई भी फैसला सही तरीके से लेने में सक्षम नहीं पाते हैं।

Leave a Reply