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पूर्वी भारत का ईवी निर्माण हब बनेगा झारखंड : प्रशांत जयवर्द्धन

राची, झारखण्ड | जुलाई | 30, 2023 ::

महंगे होते पेट्रोल-डीजल और सीएनजी के बीच इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) देश में नई क्रांति ला रहे हैं।
ईवी का बाजार तेजी से बढ़ रहा है।
शहरों के अलावा ग्रामीण इलाकों में इलेक्ट्रिक व्हीकल आसानी से देखे जा सकते हैं।
शहरों में टू-थ्री व्हीलर के अलावा ईवी कारों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
देश मोबिलिटी (गतिशीलता) क्रांति के कगार पर खड़ा है।

हेमंत सरकार ने झारखंड को पूर्वी भारत का सबसे बड़ा इलेक्ट्रिक व्हीकल निर्माण केंद्र बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
इसके लिए सरकार 1 लाख करोड़ रूपए खर्च करना चाहती है। जिससे राज्य में 5 लाख रोजगार के अवसर पैदा होंगे। पिछले दिनों राज्य में इलेक्ट्रिक व्हीकल (इवी) पॉलिसी 2022 को लागू किया गया है। ओडिशा के बाद झारखंड ने ईवी नीति 2022 लागु कर देश के छोटे राज्यों को एक संदेश दिया है।
ओडिशा यह नीति लागू करने वाला देश का देश का 10 वां राज्य है।
नीति लागू करने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने उद्योग लगाने के लिए इलेक्ट्रिक कार निर्माता कंपनी
टाटा, मारुती सुजुकी, ह्यूंदै मोटर और होंडा कार्स को आमंत्रित भी किया ।
सरकार ईवी नीति के जरिये राज्य में उद्योग और रोजगार के नए अवसर पैदा करना चाहती है।
नीति में इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीदारी पर अनुदान, रोड टैक्स में छूट, शहरी क्षेत्र में हर तीन किमी या 10 लाख की आबादी पर 50 चार्जिंग स्टेशन खोलने की बात की गयी है।

इन्वेस्टमेंट इनफार्मेशन एंड क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ऑफ इंडिया (आईसीआरए) के अनुसार अगले 3-4 वर्षों में भारत में 48,000 से ज्यादा चार्जिंग प्वाइंट्स होंगे। इस सेक्टर में 14,000 करोड़ रुपए का निवेश होने की संभावना है। केंद्रीय मंत्री गडकरी कह चुके हैं कि सरकार देश के प्रमुख राजमार्गों पर अगले वर्ष तक 600 ईवी चार्जिंग प्वाइंट लगाने की दिशा में बढ़ रही है।

झारखण्ड पूर्वी भारत के में इलेक्ट्रिक वाहन उत्पादक हब के रूप में उभरना चाहता है।
सरकार का लक्ष्य है कि 2026 तक राज्य में कुल वाहनों का 10 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वाहन करने का है।
वर्ष 2027 तक राज्य को उन्नत रासायनिक सेल बैटरी का उत्पादक बनाने और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में विकसित करने का है।
इसके लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है।

निवेश को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार ने ईवी नीति के तहत स्टाम्प शुल्क और पंजीकरण शुल्क में पूरी छूट का वादा किया है।
यदि कंपनियां राज्य में ईवी नीति लॉन्च के बाद से पहले दो वर्षों के भीतर इलेक्ट्रिक वाहनों में निवेश करने का वादा करती है तो सरकार झारखंड औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (JIADA) के जरिए कार निर्माताओं को 50 फीसदी सब्सिडी पर जमीन उपलब्ध करने का कार्य करेगी।

झारखंड में सरायकेला-खरसावां के आदित्यपुर में इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर (EMC) बनकर तैयार है।
इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में यह कलस्टर पूर्वी भारत में निवेश का सबसे बड़ा गेटवे साबित होने वाला है 29 दिसंबर 2020 को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कलस्टर में निर्मित आधारभूत संरचनाओं का उद्घाटन किया था।
क्लस्टर एक विशेष औद्योगिक पार्क की तरह है जिसकी कुल लागत 186 करोड़ रूपए है। 82 एकड़ में फैले इस क्लस्टर में 49 एकड़ भूमि इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद बनाने वाले 51 उद्यमियों के लिए आरक्षित है।
अगर कलस्टर की सभी 23 इकाइयाँ कार्य प्रारम्भ कर देती है तो लगभग 20,000 प्रत्यक्ष व लगभग 25,000 अप्रत्यक्ष रोजगार का सृजन होगा। राज्य में करीब 500 करोड़ रुपये का निवेश भी सुनिश्चित होगा।

केंद्र सरकार के ई वाहन पोर्टल के अनुसार 2022 तक झारखण्ड में 16811 इलेक्ट्रिक वाहन सड़कों पर है। राज्य में 30 चार्जिंग स्टेशन भी स्थापित किये जा चुके है।
जबकि रिटेल आउटलेट्स चार्जिंग स्टेशन 22 है। फेडरेशन ऑफ़ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन झारखण्ड के अनुसार राज्य में इस वर्ष मई 2023 तक 290 इलेक्ट्रॉनिक वाहनों की बिक्री हुई। इनमें 100 दो पहिया वाहन थे।

प्रशांत जयवर्द्धन

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