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शिशिर सोमवंशी के काव्य संग्रह अपने अपने मोक्ष का लोकार्पण

रांची, झारखण्ड । जुलाई | 17, 2017 :: झारखण्ड हिंदी साहित्य संस्कृति मंच के तत्वावधान में आज शिशिर सोमवंशी के काव्य संग्रह अपने अपने मोक्ष का लोकार्पण न्यायमूर्ति विक्रमादित्य प्रसाद के कर कमलों द्वारा वन उत्पादकता संस्थान,रांची में सम्पन्न हुआ। वानिकी शोध पत्रिका ‘शोधतरु’ की उपयोगिता बताते वानिकी शोध संस्थान के निदेशक एस ए अंसारी ने कहा कि तकनीक आम आदमी तक पहुंचे इसके लिए उसका हिंदी में प्रकाशन किया जाना आवश्यक है । वानिकी में शोध की यह भारत की दूसरी हिंदी पत्रिका है जिसमें शिशिर जी की महती भूमिका है । विशिष्ट अतिथि अशोक प्रियदर्शी ने कहा, शोधपत्रों की संप्रेषणता एवं तकनीकी शब्दावली का सरलीकरण बेहद ज़रूरी है। लेखक शिशिर जी ने कहा, साहित्य अभिरुचि को दूसरों तक पहुंचा पाना चुनौतीपूर्ण है।

लोकार्पण के पश्चात कवि-गोष्ठी का भी आयोजन किया गया जिसमें नवनियुक्त संयुक्त सचिव सदानंद सिंह यादव ने बारहमासा गाया तो उपाध्यक्ष प्रशांत करण ने अखंड भारत का गौरवशाली प्राचीन इतिहास बताता है कविता पढ़ी। सुरिन्दर कौर जी ने, मेरे लाल की चिट्ठी आयी है, सीमा चन्द्रिका तिवारी ने,आवरण गिरा जो बादलों का बूँदें बोलेंगी पढ़ा। युवा कवि तन्मय शर्मा ने मां पर मेरे सर पर हाथ फेर और मुझे चन्दन कर दे मां कविता पढ़ी। गीता सिन्हा जी ने आकाश सरोवर में नहा नहा पढ़ा, मुक्त्ति शाहदेव ने नव श्रृंगार करें प्रकृति का से समां बांधा। संध्या चौधरी जी ने मेरा सावन पढ़ा। सत्या शर्मा ने मां से कुछ बातें एवं राखी शर्मा जी ने ये ढाई आखर कविता पढ़ी। सारिका भूषण ने,काश मैं लहरों की भाषा समझ पाती पढ़ा। डॉ प्रवीण गुप्त ने, बेमौसम बादल गरजे तथा असित कुमार ने बदलता मायने मुलाक़ात पढ़ीं। रिंकु बनर्जी ने, बैठी हूँ सांसें रोककर जैसे मैं प्यासा सागर पढ़ा। शिल्पी कुमारी ने हार के अंदेशों के बीच पढ़ी। पूनम रानी तिवारी ने अब तो निज लोचन त्रय खोलो पढ़ा ।मंच के सचिव सुनील बादल ने ‘शब्द और गोलियां पढ़ी ‘ चलो अच्छा है पिघले शीशों को ही समझाएं /कम से कम बचा लें/बच्चे बूढ़ों को जो/ न मार सकते हैं/न आवाज़ उठा सकते हैं/मर जाते हैं चुपचाप/ विश्वास है गोलियां/ ऐसा करेंगी/ क्योंकि वे/ भेदभाव नहीं करतीं । हैरत फर्रुख़ाबादी नसीर अफसर और कामेश्वर सिंह कामेश की गजलों ने खूब वाहवाही बटोरीं ।युवा कवि प्रणव प्रियदर्शी और राजश्री जयंती की कविताएं भी काफी पसंद की गयी ।नेहाल सरैयावी ने भी खूब वाहवाही बटोरी ।
अध्यक्षता कामेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव निरंकुश ने की ।धन्यवाद ज्ञापन सुनील बादल ने किया ।मौके पर हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ जंग बहादुर पांडेय आकाशवाणी के अधिकारी आत्मेश्वर झा सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे ।स्व प्रभाशंकर विद्यार्थी के लिए दो मिनट का मौन रखा गया और समापन राष्ट्र गान से हुआ ।

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