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सुनना’ भी जरूरी है हर रिश्ते के लिए : गुड़िया झा

‘सुनना’ भी जरूरी है हर रिश्ते के लिए : गुड़िया झा

मानव मन बहुत ही चंचल होता है। ये हमेशा अपनी ही बात सुनाने में लगा रहता है। रिश्ता चाहे कोई भी हो पति-पत्नी, मां-बाप, भाई-बहन आदि। हर रिश्ते में दूसरों की बातों को सुनना भी उतना ही जरूरी है जितना कि अपनी बातें सुनाना। इससे हम सामने वाले कि बातों को बहुत गहराई से समझ पाते हैं जिससे कि बहुत सी समस्याओं का समाधान भी निकलता है और रिश्ते भी मजबूत होते हैं। थोड़ी सी धैर्य और सहनशीलता से जब हम अपने सुनने की क्षमता को बढ़ाते हैं, तो बहुत सी संभावनाओं का निर्माण भी होता है। इसके लिए हमें कुछ बातों को नियमित रूप से अपने जीवन में अपनाने की जरूरत है।
1, एकाग्रता।
अपने सुनने की क्षमता को बढ़ाने के लिए एकाग्रता बहुत जरूरी है। मन की चंचलता से हम एकाग्र नहीं हो पाते हैं क्योंकि हमारे कानों और मस्तिष्क के बीच में एक मशीन लगी रहती है जो हमेशा सही और गलत का फैसला करते रहती है और सिर्फ अपने मतलब की बातें ही हमें सुनाई देती है और बाकी सभी बातों को हम यूं ही नजरअंदाज कर देते हैं। अपनी इन्हीं आदतों के कारण बहुत सी जरूरी बातों को हम सुन नहीं पाते हैं जिसका कारण यह होता है कि कई बार अच्छे और बड़े अवसर हमारे हाथों से निकल जाते हैं।

2, नम्रता
बेहतर सुनने की क्षमता बढ़ाने और जीवन में आगे बढ़ने के लिए नम्रता बहुत जरूरी है। किसी की बातों को सुनते समय यदि हम अपने अहंकार को छोड़कर थोड़ी सी नम्रता बरतें तो बेहतर श्रवण शक्ति के साथ बहुत से अच्छे अवसर भी हमारे पास आते हैं। नम्रता हम इंसानों का एक स्वाभाविक गुण है लेकिन हम इसे अपने जीवन में लागू नहीं करते हैं। नम्रता उस पेड़ के समान है कि जिस पेड़ में जितने अधिक फल लगे होते हैं वो उतना ही झुका हुआ रहता है वरना सूखे पेड़ तो यूं ही अकड़ कर खड़े रहते हैं।

3, प्रोफेसनल जीवन में भी बढ़ता है दायरा।
सुनने की क्षमता का असर सिर्फ हमारे रिश्तों पर ही नहीं बल्कि प्रोफेसनल जीवन पर भी पड़ता है । जब हम अपने सीनियर्स की बातों को सुनते हैं तो जाहिर है कि हमारा मन उनके मुताबिक होगा जो हमारी प्रगति के रास्ते खोल देगा। बस सुनते समय थोड़ी सी सावधानी जरूरी है।
वक्ता के चेहरे की ओर देखें, आई कॉन्टेक्ट बनाये रखें।
बातों में दिलचस्पी लें और बीच-बीच में टोकें नहीं।
अपने गैजेट्स को बंद या साइलेंट कर दें।
जब आप किसी की सुन रहें हों तो उन्हें जज करने की या अपनी राय बताने की गलती बिल्कुल ना करें।
यदि सुनते हुए आपने कुछ मिस कर दिया है तो आप उन्हें निवेदन करके दुबारा पूछ सकते हैं।
सुनने के दौरान अपने पास एक नोटबुक और पेन अवश्य रखें जिससे कि सभी बातों को अच्छी तरह से लिखा जा सके।
उस बात को महसूस करें जिसके बारे में वक्ता आपको बताना चाहते हैं।

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