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भारतीय शिक्षा@ 2035 : डॉ.प्रशांत जयवर्धन

राची, झारखण्ड | जुलाई | 17, 2023 ::

भारतीय शिक्षा@ 2035:
डॉ.प्रशांत जयवर्धन

कुछ शिक्षकों को चिंता है कि निकट भविष्य में पढ़ाने के लिए कोई छात्र नहीं होगा क्योंकि प्रौद्योगिकी हमारे छात्रों को पढ़ाने पर कब्ज़ा कर सकती है। स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक तकनीक का दखल जिस प्रकार बढ़ा है उससे यह चिंता वाजिब है। मीडिया में एआई, रोबोटिक्स, चैट जीपीटी जैसे आलेखों ने तो एक नयी तस्वीह ही पेश कर दी है। सरकार और शिक्षा विभाग भी इन प्रयासों को लेकर गंभीर है।
शिक्षा मंत्रालय का लक्ष्य 2030 तक 50 प्रतिशत स्कूली छात्रों को विभिन्न कौशल में प्रशिक्षण करना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बाद अब विदेशी विश्वविद्यालय देश में अपने केंद्र खोलने को इक्छुक हैं। भारतीय शिक्षा ई लर्निंग, चरित्र निर्माण, व्यक्तित्व निर्माण, सीखो कमाओ और स्टार्टअप्स के बाद नवाचार की तरफ बढ़ चुकी है। पिछले दो दशकों से भारतीय शिक्षा प्रणाली में सर्जिकल स्ट्राइक और पुनर्निर्माण की मांग हो रही थी। नई शिक्षा नीति के आने से यह मांग भी पूरी हो चुकी है।
भारतीय शिक्षा 2035:
भारत विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश भारत है। करोड़ों की संख्या में युवा कार्य बल दक्षता प्राप्त कर अवसरों की तलाश में हैं। वह तेजी से तकनीकि परिवर्तन के साथ ताल मेल बैठा कर बदलते माहौल में फिट होना चाहता है। इतनी बड़ी जनसंख्या और कार्य बल को शिक्षा के जरिये ही अवसर और रोजगार से जोड़ा जा सकता है। कौशल से लैस युवाओं को बेहतर जॉब के साथ बेहतर वेतनमान की भी आशा है। भारत शिक्षा के इस बड़े डिमांड को पूरा करने करने के लिए परदेशी देशों के साथ सहयोग का आकांक्षी है। ऑस्ट्रेलिया भारत का एक ऐसा ही मित्र राष्ट्र साबित हो सकता है। झारखण्ड जैसे राज्य में विदेश की पांच यूनिवर्सिटी अपना कैंपस खोलने की इक्षा व्यक्त कर चुके है। स्टैंडफोर्ड,ब्रिटिश कोलंबिया, मैकगिल,क्यूबेक और मांट्रियल यूनिवर्सिटी राज्य में अपना कैंपस खोलना चाहती है। उन्हें बस फॉरेन एजुकेशन बिल के पारित होने का इतजार है जो पिछले दो वर्षो से लंबित पड़ा हुआ है। इसके बाद सौ प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का रास्ता साफ़ हो जायेगा। राज्य सरकार पहले से ही अनुसूचित जनजाति के प्रतिभावान स्टूडेंट्स को विदेश के विश्वविद्यालयों में सरकारी खर्च पर उच्च शिक्षा देने के मौके दे रही है।

2035 में भारतीय शिक्षा का स्वरुप भी पूरी तरह बदला हुआ होगा। विद्यालय कौशल निर्माण, चरित्र निर्माण, नवाचार और तकनीकी दक्षता के प्रारंभिक केंद्र होंगे जिनमें पढ़ने वाले बच्चे में भविष्य की चुनौतियों से निपटने की क्षमता होगी और भारतीय संस्कृति का गर्व भी।
विश्वविद्यालय अंतःविषयक शिक्षा, उदार शिक्षा और समाज की जटिल चुनौतियों से लड़ने वाले अध्ययन केंद्र। विशेषज्ञ शिक्षकों के मार्गदर्शन में छात्र कार्य करेंगे। तकनीक का दखल, सामाजिक विविधता और आभासी माध्यम के कारण विश्वविद्यालयों का दायित्व होगा प्रांगण में आने वाले छात्रों को स्वागत योग्य समवेशी वातावरण प्रदान करे। पाठ्यक्रम के साथ सीखने का माहौल सभी छात्रों के अनुभव और सीखने के दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करे। परिणाम आधारित शिक्षा एक अहम् केंद्र बिंदु रहेगी जिससे विश्वविद्यालय के पाठ्क्रम और शैक्षणिक वातावरण का आंकलन संभव होगा। विश्वविद्यालयी शिक्षा अधिक लचीलेपन, अंतःविषय , वास्तविक दुनिया के अनुभव, उद्योग सहयोग और तकनीक, विविधता, समानता और समावेशन से चिह्नित होगी।

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