Sunil Burman
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कोरोना के बाद भारत नई शक्ति के रूप में उभर सकता है – स्वामी दिव्यानंद

रांची, झारखण्ड | अप्रैल | 11, 2020 ::
_””अभी नई ऊर्जा का संचय कर, करें नये भारत का निर्माण””_
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प्रख्यात ज्योतिषी एवं धर्मगुरु डॉ स्वामी दिव्यानंद जी महाराज ने देश के साथ यह साझा किया, कि सकारात्मक सोच से व्यक्ति अपने जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन ला सकता है, आधे गिलास पानी को नकारात्मक सोच वाला व्यक्ति बोलेगा, गिलास आधा खाली है, जबकि सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति कहेगा, ग्लास आधा भरा हुआ है,
लॉक्डडाउन के समय में लोगों को समय व्यतीत करना बहुत भारी पड़ रहा है, बहुत प्रयत्न के बाद भी सारा दिन काटना पहाड़ सा प्रतीत हो रहा है, किंतु यहीं सकारात्मक सोच की आवश्यकता है, पहले यह स्मरण करा दूं, संपूर्ण विश्व के अंतर्गत भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जिसकी आध्यात्मिकता का ध्वज हमेशा लहराता रहा है, भारत विश्व गुरु के नाम से जाना जाता रहा है, हम विश्व को शांति और आध्यात्मिकता का पाठ पढ़ाते आ रहे हैं आगे पढ़ाते रहेंगे, यह देवभूमि है, संतों की भूमि है, मैं स्मरण कराना चाहूं ऐसे कालखंड के अंतर्गत लोग अपने-अपने घरों में बंद किसी न किसी भय के कारण हैं, और समय व्यतीत करना उन्हें मुश्किल लग रहा है,
यहीं पर सकारात्मक सोच की बात आती है, मैं यह आग्रह करना चाहूंगा संपूर्ण भारत वासियों से, ऐसे समय में सभी लोग अपनी दिनचर्या में थोडा परिवर्तन कर बहुत बड़ी चीज हासिल कर सकता है, वह है आंतरिक शांति, आत्म दर्शन और नई ऊर्जा का संचय,
अपनी दिनचर्या स्फूर्त रखें, थोड़ा आसन, प्राणायाम, ध्यान का अभ्य्यास प्रारंभ करें, अपना आहार-विहार संयमित और संतुलित रखें, कम बोलें, कम खाएं, कम देखें, और उन शक्तियों का रूपांतरण कर, अपनी आंतरिक शक्ति का संचय करें, कोरोना कल स्थायी रूप से चला जाएगा, आप अपने आपको पाएंगे एक नये ब्यक्तित्व के रूप में, वस्तुओं की कमी भी महसूस नहीं होंगी और यह परिवर्तन और उपलब्धि आपकी तो हुई ही, साथ यह कल्पना करें 130 करोड़ लोगों में से कुछ को छोड़ भी दें, तो भी सारी ऊर्जाओं का योग कितनी बड़ी शक्ति के रूप में बनेगा, जिस देश के नागरिक इतने शक्तिशाली होंगे, निश्चित वह देश अत्यंत ही शक्तिशाली होगा ही, इस झंझावत के पश्चात इतना बड़ा परिवर्तन – नई ऊर्जा, नया आत्म विश्वास, नई चेतना, नया उमंग के साथ पाएंगे, हमारा देश किसी भी दृष्टिकोण से पिछड़ा नहीं, अपितु कोरोना बड़ी उपलब्धि दे गया,
दुर्गा सप्तशती में है…….
“”या देवी सर्व भूतेषु मातृ रूपेण संस्थिता,
नमस्तसै नमस्तसै नमस्तसै नमो नमः””
इसी प्रकार शत्रु रूपेण, शक्ति रूपेण…
यानी – रोग और शत्रु के रूप में भी मैं ही आती हूँ,
फिर मंत्री रूपेण तो है ही…..
श्री राम, श्री हनुमान जी महाराज और शक्ति की देवी मां भवानी की आराधना कर भगवान से शक्ति मांगें, और लग जाएं स्वयं के साथ भारत के नवनिर्माण में….

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