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किसी भी कार्य की सफलता एकात्मता से ही संभव : गुड़िया झा

रांची, झारखण्ड | अप्रैल | 11, 2020 :: हम कितने भी आगे निकल जायें, लेकिन जब तक हममें एकात्मता की भावना नहीं होगी तब तक हम अधूरे ही रहेंगे।
पढ़ाई के माध्यम से तो हमनें डिग्रियां हासिल कर ली।
लेकिन ये डिग्रियां इस बात का परिणाम है कि हमनें किताबों में क्या और कितना पढ़ा?
अपने व्यवहारिक जीवन में सफल होने के लिए हमारे भीतर एकात्मता का होना बहुत जरूरी है।
जाने माने ट्रांस्फोर्मेशनल मेंटर श्री नवीन चौधरी द्वारा लिखी गयी पुस्तक ‘ जन्मजात विजेता’ में इसके कई पहलूओं के बारे में बहुत ही अनोखे ढ़ंग से चर्चा की गई है कि अगर हमारी शिक्षा प्रणाली इस तरह की एकात्मता को प्रोत्साहित करती है, तो हम भारतीय अधिक मजबूत और कामयाब होंगे।
यदि इसे पूरी दुनिया में फैलाया जाए, तो यह पृथ्वी ग्रह सभी के लिए पूरी तरह कार्यात्मक संगठित विश्व बन सकता है।
एकात्मता कार्यशीलता भी प्रदान करती है। यह एक दमदार मंच प्रदान करती है।
जिसपर महान उपलब्धियों को ईमानदारी से प्रमाणित किया जाता है।
अपने भीतर एकात्मता की भावना को विकसित करने के लिए कुछ बातों को अपने जीवन में प्राथमिकता देनी होगी।

1, अपने जुबान की इज्जत करना।
जब हम खुद ही अपने शब्दों का सम्मान करना सीखेंगे, तो जाहिर है कि सामने वाले भी इसके महत्व को समझेंगे।
यदि हमनें किसी से कुछ वादे किये हैं और उसे समय से पूरा भी करते हैं, तो एकात्मता की ओर यह हमारा पहला कदम होगा।
अगर अपने द्वारा किए गए वादों को किसी कारणवश हम पूरा नहीं कर पाते हैं, तो सामने वाले व्यक्ति से मांफी मांगने के साथ यह भी बताना चाहिए कि जुबान टूटने के कारण हुई क्षतिपूर्ति कैसे करेंगे और इसके लिए पुनः एक समय सीमा देनी चाहिए। ‘वसुधैव कुटुम्बकम’
की भावना का विस्तार भी यहीं से होगा।

2, शक्तिदायी अर्थ देना।
जब हम अपने साथ होने वाले किसी भी घटना को सही नजरिये से देखते हैं, तो हमें एहसास होता है कि हम कितने मजबूत हैं।
हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। शक्तिदायी अर्थ देना हमें आगे की ओर ले जाता है।
उदाहरण स्वरूप- कोरोना संकट को समाप्त करने हेतू लॉक डाउन अपनाने के रास्ते को यदि यह माना जाये कि इससे भारत की अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ेगा, तो हमें परेशानी का अनुभव होगा।

दूसरा शक्तिदायी अर्थ यह माना जाए कि यह मानवता की रक्षा हेतू विश्वव्यापी संघर्ष है और हम इसके भागीदार हैं, तो मन में उत्साह व संकल्प शक्ति का संचार होगा।

किसी शब्द या घटना का सही अर्थ देना हमारी सोच का परिचायक है। समस्या को समस्या न समझ कर उससे कुछ सीख कर विपरीत परिस्थितियों में भी आगे बढ़ते रहें।

3, अपने कार्य की योजना बनाना।
अपने कार्य को शुरू करने से पहले हमें उसकी योजना जरूर बनानी चाहिए।
पहले से बनायी गयी योजना के अनुसार जब हम अपने कार्य का शुभारंभ करते हैं, तो कार्य करने के दौरान हमें किसी तरह की परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है।
इससे हमें अपने कार्य के प्रति रुचि भी पैदा होती है तथा उससे मिलने वाले परिणामों से भी काफी खुशियां मिलती है।

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