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इतिहास में आज :: रविन्द्रनाथ टैगोर ने ब्रिटिश सरकार को लौटा दी थी नाइटहुड की उपाधि [ 03 जून 1915 ]

जून | 03, 2017 :: 1919 में जनरल डायर के इशारे पर जब जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना को अजाम दिया गया। जिससे टैगोर यानि गुरु जी को भारी धक्का पहुंचा। उन्होंने इस घटना की कड़ी निंदा की और नाइटहुड की उपाधि अंग्रेज सरकार को लौटा दी।

उल्लेखनीय है कि महान बांग्ला लेखक, दार्शनिक और कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर को 03 जून 1915 को ब्रिटिश सरकार ने नाइटहुड यानि सर की उपाधि से नवाजा था जिसे उन्होंने सरकार को लौटा दिया।
आधुनिक भारत के निर्माण में अपने साहित्य द्वारा प्रमुख भूमिका निभाने वाले टैगोर बांग्ला कवि, नाटककार, दार्शनिक, साहित्यकार और चित्रकार के रूप में याद किए जाते हैं।
टौगोर नोबेल पुरस्कार जीतने वाले पहले एशियाई व्यक्ति थे। यह सम्मान उन्हें उनकी काव्य रचना गीतांजलि के लिए 1913 में मिला। भारतीय राष्ट्रगान जन गण मन और बांग्लादेश के राष्ट्रगान के रचनाकार भी रबींद्र नाथ टैगोर ही थे। उन्होंने कई किताबों का अंग्रेजी में अनुवाद भी किया जिससे उन्हें अंतरराष्ट्रीय ख्याति मिली।
उनका जन्म सात मई 1861 को कलकत्ता में हुआ। हालांकि उन्हें कला के क्षेत्र में कोई औपचारिक शिक्षा नहीं मिली थी लेकिन कला में असीम रुचि ने उन्हें इस क्षेत्र में आगे बढ़ने का मौका दिया। वह कानून की पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए। लंदन विश्वविद्यालय में उन्होंने कानून का अध्ययन किया लेकिन 1880 में बिना डिग्री लिए ही वापस आ गए। बचपन से ही उनका रुझान कला की ओर था। उन्होंने पहली कविता मात्र आठ साल की उम्र में लिखी।
टैगोर की रचनाओं में सशक्त और सहज शब्दकोष का खासा महत्व है। टैगोर ने 2000 से ज्यादा गीतों की रचना की। उनके लिखे हुए गीत बेहद मशहूर हुए, जिन्हें अब रबींद्र संगीत के नाम से जाना जाता है। बांग्ला साहित्य के माध्यम से उन्होंने भारतीयों में भी आधुनिकीकरण का संचार किया। अक्सर उन्हें गुरुदेव के नाम से भी संबोधित किया जाता है। सात अगस्त 1941 को कलकत्ता में ही उनकी मृत्यु हो गई।

आलेख: कयूम खान, लोहरदगा!

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