लॅाकडाऊन और आॅनलाइन ज्ञान
सच कहते हैं जब भी
मुसीबतें आती है
सबका दिल दहला जाती हैं,
पर साथ में कुछ नई
शिक्षा और ज्ञान दे जाती है
अब तक थी अपने से अनजान
बह रही थी अज्ञानता के धार।
जब लाकडाउन आया साथ में अकेलापन और खालीपन लाया।
तभी जिम्मेदारियों का नया आयाम आया, ऑनलाइन शिक्षा देने का ज्ञान आया।
फिर मेरी बगिया में नन्हें फूल खिले
कुछ हठी तो कुछ चंचल मिले।
पर हर के होठों पर मुस्कान खिले
अनगिनत अनसुलझे सवालों से घिरी रही।
कैसे उनके ज्ञान को बढाऊँ? इस पेशोपेश में पड़ी रही।
क्या करूँ कैसे सुलझाऊँ, अपने ज्ञान की लौ उन तक कैसे पहुचाऊँ ।
नित नई उधेड़बुन में लगी रहीं
बच्चों को दूँ कुछ नया, इस प्रयास में लगी रही।
अबतक थी टेक्नोलॉजी से अनजान
हरपल कुछ नया सिखने लगी।
पाकर अभिभावकों का विश्वास एवं सहयोग, अपने मकसद में आगे बढ़ने लगी।
फिर ज्ञान की गंगा ऐसी बही
जो किसी भी मुसीबत में ना ठहरी।
फिर कहाँ गए वो अकेलापन
बच्चों के कार्यों को देख मन को आनंदित करने लगी।
उनके भोले मुस्कानों और मधुर आवाज़ो से अपने मन के को भरने लगी।
सच कहते हैं जब मुसीबत आती है एक नया ज्ञान, नई राह और नया साथ दे जाती है |
अर्पणा सिंह
शिक्षिका, डी ए वी कपिलदेव