dr ajay kumar singh
आलेख़

इतिहास में आज :: आईपीएस अधिकारी डॉ अजय कुमार सिंह का शहादत दिवस  [ 04 अक्टूबर 2000 ]

  • लोहरदगा जिले के 15वें पुलिस कप्तान

  • 04 अक्टूबर 2000 को पेशरार के घने जंगलों के बीच भारत माता के इस वीर सिपाही, महावीर, कर्त्तव्यनिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय कुमार सिंह की उग्रवादियों द्वारा हत्या

  • साहसी शुरमें की यादगार है अजय उद्यान

  • शहीद अजय कुमार सिंह ट्रस्ट, लोहरदगा का गठन

    dr ajay kumar singh

अक्टूबर | 04, 2017 :: कहते हैं शहीद मरते नहीं हमेशा अमर रहते हैं, सचमुच लोहरदगा-गुमला-लातेहार जिलावासियों के दिलों में आज भी जांबाज पुलिस कप्तान जिंदा हैं। लोहरदगा जिले के 15वें पुलिस कप्तान के रूप में डॉ0 अजय कुमार सिंह की पदस्थापना 16.06.2000 को हुई थी। इनका कार्यकाल 16.06.2000 से 04.10.2000 तक लोहरदगा जिले में रहा। इनके नेतृत्व मेंं अपराध नियंत्रण का ग्राफ शीघ्रता से नीचे आ रहा था, कि इन्हें उग्रवादियों की नजर लग गयी। 04 अक्टूबर 2000 को पेशरार के घने जंगलों के बीच भारत माता के इस वीर सिपाही, महावीर, कर्त्तव्यनिष्ठ पुलिस अधीक्षक अजय कुमार सिंह की उग्रवादियों द्वारा हत्या कर दी गयी। यही वह दिन था, जब उन्होंने कर्त्तव्य के निर्वहन में इस अतिउग्रवाद प्रभावित इलाके में शांति व्यवस्था एवं जिले में अमन-चैन बहाल करने के खातिर उग्रवादियों से संघर्ष करते हुए अपने प्राणों की आहूति दे दी।

साहसी शुरमें की यादगार है अजय उद्यान

शहीदों के चिताओं पर लगेंगे हर वर्ष मेले, वतन पर मरने वालों का यही बाकी निशां होगा।
इस वीर सपूत को श्रद्घांजली स्वरूप लोहरदगा जिले के गणमान्य नागरिकों एवं जिला प्रशासन की संयुक्त पहल पर अजय उद्यान की स्थापना की गयी । यह उद्यान साहसी शुरमें का यादगार है, उनकी वीरता और कर्त्तव्य परायणता को समर्पित है, ताकि वर्त्तमान और आने वाली पीढ़ियां उनसे प्रेरणा ग्रहण कर सके। शहीद अजय कुमार सिंह की याद में लोहरदगा जिला प्रशासन एवं उत्साही नागरिकों के सहयोग से 23 सितंबर 2004 को तत्कालीन उपायुक्त श्रीमती आराधना पटनायक के संरक्षकत्व तथा पुलिस अधीक्षक अब्दुल गनी मीर की अध्यक्षता में शहीद अजय कुमार सिंह ट्रस्ट, लोहरदगा का गठन किया गया, जिसका पंजीकरण 22 सितंबर 2005 को किया गया। यह ट्रस्ट स्मारक मात्र नहीं है बल्कि इस का उद्देश्य राष्ट्रीय एवं सामाजिक जीवन का सर्वांगीन विकास है। जिसके अंतर्गत निर्धनों की सहायता, शिक्षा का विकास, नारी सशक्तिकरण, चिकित्सा संबंधी राहत, आत्मनिर्भरता में सहयोग, शांति, भाईचारा एवं सृजनात्मक गतिविधियों में योगदान, विद्यार्थियों को छात्रवृति एवं पुरस्कार, पुस्तकालय की स्थापना, खिलाड़ियों को प्रोत्साहन, बुढ़े-बुजूर्गोें के लिए वृद्घा भवन, उद्यमियों के लिए वित्तीय कोष की स्थापना जैसे कार्यक्रम सम्मिलित हैं। इसके अतिरिक्त जनकल्याण की अन्य गतिविधियां भी इस ट्रस्ट के परिधि के अंतर्गत हैं। इस ट्रस्ट के निर्माण में अनेक प्रशासनिक पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों, गणमान्य व्यक्तियों तथा संस्थाओं का सहयोग से किया गया है।

आलेख: कयूम खान, लोहरदगा

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