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एकात्मता है, तो सबकुछ है : गुड़िया झा

एकात्मता है, तो सबकुछ है : गुड़िया झा

एकात्मता का सीधा अर्थ है, एक-दूसरे के सुख-दुख को अपना सुख- दुख समझ कर उसमें शामिल होना और मिलकर एक नये समाज और राष्ट्र का निर्माण करना। अकेले कुछ भी संभव नहीं है। जब हमारे हाथों की सभी उंगलियां भी एक साथ मिलती हैं तभी एक मुट्ठी भी बनती है। परिवार, समाज हो या देश, हर जगह एकात्मता से ही विकास का मार्ग प्रशस्त होता है। तेरा, मेरा, अपना,पराया इन सभी भावनाओं से ऊपर उठकर ही हम आगे बढ़ सकते हैं।
इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं है।बस, हमें अपनी सोच को बदलना होगा। हमने अपनी छोटी और संकीर्ण सोच के कारण ही अपने आपको एक छोटे से दायरे में सीमित कर लिया है।जब हम अपने आसपास नजर डालेंगे, तो पायेंगे कि ऐसे कई लोग हैं जो एकात्मता के अभाव में चाहते हुए भी आगे बढ़ने में असमर्थ हैं। जब हम उनसे खुलकर बातें करेंगे और अपनी ओर से यथा संभव मदद का हाथ आगे बढ़ाएंगे, तो पायेंगे कि एक नये समाज का सृजन करने में हम काफी सक्षम हैं। बस, हम अपनी योग्यता और क्षमता को पहचान नहीं पाते हैं। इस तरह से धीरे-धीरे हमारी एक बहुत बड़ी और मजबूत टीम का निर्माण होता है।
एकात्मता का इससे ज्यादा सबसे अच्छा उदाहरण और क्या हो सकता है कि जिसे पिछले दो सालों में हम भारतीयों ने कोरोना जैसी महामारी को साथ मिलकर झेला और फिर हम खड़े भी हुए। यह तभी संभव हुआ जब हम सबने मिलकर एकसाथ उसका सामना किया। डॉक्टर, नर्स, हमारे शुभचिंतक, यहां तक कि कई अनजान चेहरों ने भी इसमें एकात्मता का परिचय देते हुए अपना जो फर्ज निभाया है, वह काबिले तारीफ है। एकात्मता में वह शक्ति है जिससे हम बड़ी से बड़ी चुनौतियों का भी बहुत ही आसानी से सामना कर सकते हैं।
एकात्मता को बनाना और इसे निभाना, सबकुछ हमारे अपने ही हाथों में है। इसकी शुरूआत हम सबसे पहले खुद से ही कर सकते हैं।इसके लिए हमें कुछ बातों को अपने जीवन में लागू करने की आवश्यकता है।
1, अपनी जुबान की इज्जत करना।
अपने वचनों का सम्मान करना हमें खुद ही सीखना होगा।अगर हमने किसी से कुछ वादे किये हैं और किसी कारणवश उसे पूरा नहीं किया है,तो संबंधित व्यक्ति से माफी मांग कर कुछ और समय देने का हम उनसे अनुरोध कर सकते हैं। इससे हमारी एकात्मता बनी रहती है और रिश्ते भी सुरक्षित रहते हैं।
उदाहरण-कोरोना की पहली लहर में ही हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने और वैज्ञानिकों ने मिलकर देशवासियों से यह वादा किया था कि वे कोरोना की वैक्सीन जरूर निकालेंगे और जब उन्होंने अपनी जुबान देशवासियों को दी, तब उसे पूरा भी किया। यह हमारे लिए सबसे बड़ी सीख है।
2,सशक्त अर्थ देना।
हम भारतीयों की सबसे बड़ी कमजोरी यह होती है कि हम किसी भी बात का कमजोर अर्थ देने लगते हैं और कुण्ठा के शिकार हो जाते हैं। जिसके कारण हमारा मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनो ही प्रभावित होने लगता है।
अतीत में जो भी घटनायें हुई, यदि हम उसका सशक्त अर्थ दें, तो हम पायेंगे कि हमने उससे बहुत कुछ सीखा भी है
उदाहरण-यदि हम बीते हुए कोरोना जैसी महामारी से परेशान हुए, तो उसने हमें स्वच्छता और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता भी दिलाई।
3, अपने कार्य की योजना बनाना और योजना के अनुसार कार्य करना।
हम अपने किसी भी कार्य को बेहतर तरीके से तभी कर सकते हैं, जब हम उसकी योजना पहले से बनाते हैं। पहले से बनाई गई योजना के अनुसार जब हम कार्य करते हैं, तो वह कार्य अपनी तेज गति और निर्धारित समय पर पूरा भी होता है।
उदाहरण-जब हमारे देश में कोरोना वैक्सीन की शुरूआत हुई तो उसकी योजना पहले से तैयार की गई थी कि सबसे पहले स्वास्थ्य कर्मियों, बुजुर्गों, वयस्कों और अब किशोरों का टीकाकरण भी अपनी चरम सीमा पर है। इस योजना के अनुसार किये गये कार्य का परिणाम भी आज हम देख रहे हैं कि हमारे देश ने कितनी बड़ी उपलब्धि हासिल की है।

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