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जीवन का हर दिन हो प्यार से बेशुमार : गुड़िया झा

जीवन का हर दिन हो प्यार से बेशुमार : गुड़िया झा

खुद को बार-बार साबित न करना पड़े, जो सहज हो, असली प्यार वही है। इसके लिए अपने मन की मजबूती भी उतनी ही आवश्यक है। प्रेम के बिना जीवन अधूरा है। प्रेम वह भाव है जो दिल से जुड़ता है और एक-दूसरे से बांधे रखता है। इसके लिए हमें भी प्यार से रिश्ते निभाने होंगे। रिश्ते ईश्वर के घर से जुड़ते हैं और धरती पर निभाने की जिम्मेदारी हमारी होती है कि कैसे हम अपनी समझदारी से इसे बचाये रखते हैं। प्यार बांटना और पाना दोनो ही हमारे हाथों में है। क्योंकि प्रकृति का एक नियम है कि हम जो देते हैं वही हमें वापस मिलता भी है। हर रिश्ते में आपसी सामंजस्य बना रहे इसके लिए जरूरी है बस थोड़ी सी सजगता।
1, अपेक्षाओं से दूर रहें।
अक्सर हमें कहने या सुनने में आता है कि उनलोगों से ऐसी उम्मीद नहीं थी। हर रिश्ते में कुछ अपेक्षाओं का होना स्वाभाविक है। लेकिन दूसरों से बहुत ज्यादा अपेक्षा की उम्मीद करना खुद को खुशियों से दूर करना है। जब बिना किसी अपेक्षा के हमें कुछ प्राप्त होता है तो उसकी खुशी कुछ और ही होती है। जब हम बहुत ज्यादा अपेक्षा की उम्मीद करते हैं तो रिश्ते की डोर भी डगमगाने लगती है।
2, खूबियों के साथ खामियों को भी अपनाना एक कला।
हर किसी में कुछ गुण और दोष दोनो ही होते हैं। हर कोई सर्वगुण संपन्न नहीं होता है। जब हाथों की पांचों उंगलियां भी एक जैसी नहीं होती हैं तो फिर हम इंसानों की प्रवृत्ति एक जैसे कैसे हो सकती है?
इसलिए सामने वाले कि अच्छाइयों को अपनाकर हम उनसे बहुत कुछ सिख भी सकते हैं। कुछ नया सीखने की इच्छा हमारी सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाती है। जो जैसा है उसे उसी रूप में स्वीकार कर लें तो हमें आत्मसंतुष्टि मिलती है साथ ही किसी तरह का कोई बोझ भी महसूस नहीं होता है।
3, रिश्ते को भी समय की जरूरत।
कोई भी रिश्ता यूं ही मजबूत नहीं होता है बल्कि उसे कई तरह के पड़ाव से होकर गुजरना पड़ता है। उसके बाद ही उसमें स्थायित्व आता है। वैसे इसे निभाने की जिम्मेदारी दोनो तरफ की होती है। लेकिन एक बहुत व्यस्त है तो दूसरे की आपसी सूझबूझ से इसे जरूर बचाया जा सकता है। एक -दूसरे के प्रति आदर, त्याग, समर्पण और समझदारी रिश्ते की बुनियाद को मजबूती प्रदान करती है।
यहां सिर्फ अपनी खुशी के बारे में सोचना दूसरे को हमसे दूर करने लगता है। किसी से तुलना भी हमारे आपसी संबंधों में दरार डालने लगती है। रिश्ते को समय देना भी बहुत जरूरी है जिससे आपसी तालमेल बना रहे साथ ही एक दूसरे की बातों को सुनने और समझने का अवसर भी प्राप्त हो।

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