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यदि आप योगाभ्यास कर रहे हैं तो जगदीश से जानिए क्या खाएं अथवा क्या ना खाएं

योगिक शास्त्र के अनुसार भोजन को दो भागों में बांटा गया है पहला पथ्य दूसरा अपथ्य
पथ्य भोजन योगियों द्वारा खाए जाने वाले योग्य पदार्थ है
अपथ्य भोजन योगियों द्वारा वर्जित पदार्थ

अपथ्यकारक भोजन : यदि आप योगाभ्यास कर रहे हैं तो निम्नलिखित प्रकार के भोजन का सेवन नहीं करें। यदि करते हैं तो इससे अभ्यास में बाधा उत्पन्न होती है।

ये भोजन हैं: कड़वा, खट्टा, तीखा, नमकीन, गरम, खट्टी भाजी, तेल, तिल, सरसों, दही, छाछ, कुलथी, बेर, खल्ली, हींग, लहसुन और मद्य, मछली, बकरे आदि का माँस। ये सभी वस्तुएँ अपथ्यकारक हैं।
जम्बिरी, कुंदरू, मसूर, बड़हङ, लहसुन, कमरख, सेम, आदि का भक्षण योगा अभ्यासियों के लिए वर्जित है

इसके अलावा बने हुए खाने को पुन: गरम करके भी नहीं खाना चाहिए। अधिक नमक, खटाई आदि भी नहीं खाना चाहिए।

पथ्यकारक भोजन : योग साधकों द्वारा योगाभ्यास में शीघ्र सफलता प्राप्त करने के लिए कहा गया है कि भोजन पुष्टिकारक हो, सुमधुर हो, स्निग्ध हो, गाय के दूध से बनी चीजें हों, सुपाच्य हो तथा मन को अनुकूल लगने वाला हो। इस प्रकार के भोजन योग के अभ्यास को आगे बढ़ाने में सहायक तत्व होते हैं। योगियों ने निम्नलिखित प्रकार के भोजन बताए हैं-

ये भोजन हैं- गेहूँ, चावल, जौ जैसे सुंदर अन्न। दूध, घी, खाण्ड, मक्खन, मिसरी, मधु जैसे फल-दूध। जीवन्ती, बथुआ, चौलाई, मेघनाद एवं पुनर्नवा जैसे पाँच प्रकार के शाक । मूँग, हरा चना आदि।

महर्षि घेरंड के द्वारा रचित घेरंड संहिता के अनुसार चावल, गेहूं का आटा, जौ का सत्तू, मूंग, उड़द, चना स्वच्छ करके खाना चाहिए।
परवल, कटहल, ओल, मानकंद, कंकोल, कुंदरू, अरबी, ककड़ी, केला, गूलर, चलाई आदि साग का भक्षण करना चाहिए।

 

Author :: Jagdish Singh ( Student to PG department of Yoga Ranchi University, Ranchi )

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