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हिंदी पत्रकारिता :: सामाजिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की शक्ति : डॉ विक्रम सिंह

हिंदी पत्रकारिता :: सामाजिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की शक्ति : डॉ विक्रम सिंह

हिंदी पत्रकारिता यूँ तो सदियों से लोगो तक समाज में होने वाली घटनाओं को पंहुचाने का माध्यम रहा है, चाहे ये घटनाएं किसी को स्थान से हों या किसी भी क्षेत्र से। सुबह होते ही अखबार पहला माध्यम हुआ करता था जिसको पढ़के व्यक्ति दुनिया एवं समाज से जुड़ता था। कहाँ क्या हो रहा है। क्या नया घटित हो रहा है , ये सब अख़बार से ही पता चलता था जिसका जरिया पत्रकारिता ही था। देश में पत्रकारिता की जब भी बात की जाती है तो इसका सीधा तात्पर्य हिंदी पत्रकारिता होती है। बात शुरुआत से से लेकर आज तक की की जाये तो हिंदी पत्रकारिता ने जनता की बीच एक मजबूत कड़ी का काम किया है।

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में हिंदी पत्रकारिता की अहम् भूमिका रही है। हिंदी पत्रकारिता राष्ट्रवादी विचारधारा के निर्माण और प्रचार-प्रसार के माध्यम से और जनता के बीच मजबूत राष्ट्रीय भावना और चेतना को उभारकर स्वतंत्रता संग्राम की रीढ़ रही है। इसके योगदान को भारतीय जनता ने हमेशा नमन किया है।

समय के साथ-साथ पत्रकारिता के क्षेत्र में भी उतार – चढ़ाव आये। पत्रकारिता अब सिर्फ घटित होने वाली घटनाओं तक ही सीमित न रहकर, व्यक्ति विशेष से सम्बंधित समस्यों को उजागर करने का जरिया भी बनाने लगा।

भारत में प्रकाशित पहला हिंदी भाषा का समाचार पत्र, उदंत मार्तंड (द राइजिंग सन) 30 मई 1826 को शुरू हुआ। इस दिन को “हिंदी पत्रकारिता दिवस” ​​​​या हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है, क्योंकि यह हिंदी भाषा में पत्रकारिता की शुरुआत को चिह्नित करता है।

पत्रकारिता दिन भर की घटनाओं, तथ्यों, विचारों और लोगों की बातचीत पर रिपोर्ट का उत्पादन और वितरण है ,जो समाज को कम से कम कुछ हद तक सटीकता से सूचित करती है। आसान शब्दों में कहा जाये तो ज्ञान और विचारों को समीक्षात्मक टिप्पणियों के साथ शब्द, ध्वनि तथा चित्रों के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाना ही पत्रकारिता है। और अगर ये हिंदी भाषा में हो तो इसका न सिर्फ प्रभाव सीधा जन मानस पर पढ़ता है बल्कि कही गयी बात सटीक रूप से सही निशाने पर बैठती है।

हिंदी पत्रकारिता ही लोकतंत्र को कायम रखती है। यह सामाजिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की शक्ति है, और हिंदी पत्रकारिता ने इसमें हमेशा एक अहम् भूमिका निभाई है।

 

(डॉक्टर विक्रम सिंह)

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