विश्व हाथ धुलाई दिवस
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साबुन से हाथ धुलाई रोक सकती है बच्चों की मृत्यु

 

  • विश्व हाथ धुलाई दिवस प्रत्येक वर्ष 15 अक्टूबर को मनाया जाता है

  • इस वर्ष के विश्व हाथ धुलाई दिवस का थीम है ‘‘हमारा हाथ, हमारा भविष्य!’’

  • विश्वहाथ धुलाई दिवस पर रामगढ में समारोह

  • रामगढ़ पहला जिला है, जहां ग्रामीण क्षेत्रों के सभी 700 सरकारी स्कूलों में हाथ धुलाई इकाई के निर्माण को सुनिश्चित किया गया है।

विश्व हाथ धुलाई दिवस

 

रांची, झारखण्ड । अक्टूबर | 15, 2017 :: विश्व हाथ धुलाई दिवस प्रत्येक वर्ष 15 अक्टूबर को मनाया जाता है। इस वर्ष के विश्व हाथ धुलाई दिवस का थीम है ‘‘हमारा हाथ, हमारा भविष्य!’’

 

यह दिवस पूरी दुनिया में हाथ धुलाई के प्रतिलोगों में जागरूकता और समझ बढ़ाने के उद्देश्य से मनाया जात है।इसे मनाने का मकसद लोगों तक यह संदेश पहुंचाना है कि कैसे साबुन से हाथ धोने के सरल, प्रभावी और सस्ते उपाय को अपना कर बीमारियों को दूर रखा जा सकता है और जानें बचाई जा सकती हैं। यह महत्वपूर्ण समयों पर (खाने से पहले और शौच के बाद ) साबुन से हाथ धोने के लिए लोगों को प्रोत्साहित करने हेतु रचनात्मक तरीकों के डिजाइन और परीक्षण का एक अवसर भी है।

 

हाथ धुलाई महत्वपूर्ण क्यों?

  •  सतत विकास लक्ष्य की प्राप्ति में साबुन से हाथ धुलाई के अभ्यास की अहम भूमिका है। इस अभ्यास के द्वारा भूखमरी को समाप्त करने के अलावा, उत्तम स्वास्थ्य, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, असमानता को दूर करने के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।
  •  विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार, वर्ष 2015 में 5 वर्ष के कम उम्र के 1,17,000 बच्चों की मृत्यु डायरिया जनित बीमारियों के कारण हो गई, जिसका मुख्य कारण बेहतर स्वच्छता और सफाई का अभाव था। यह पूरी दुनिया में इस प्रकार के रोगों से मरने वाले बच्चों का 22 प्रतिशत है। भारत में आज तीन बच्चों में से एक से अधिक बच्चा कुपोषण के कारण होने वाले नाटेपन का शिकार है, जिसका कारण प्रायः गंभीर डायरिया की बीमारी है, जो कि बच्चे के खुले में पड़े शौच के संपर्क में आने के कारण होता है।यह बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास दोनों को प्रभावित करता है तथा उनके सीखने की क्षमता को प्रभावित करता है, जिसका असर आगे चलकर उनकी आय प्राप्तकरने की क्षमता पर पड़ता है।
  •  साबुन से हाथ की धुलाई का अभ्यास डायरिया संबंधित बीमारियों के कारण प्रत्येकवर्ष बच्चों के 27 करोड़ 20 लाख (272 मिलियन) स्कूली दिनों की बचत कर सकताहै, जो कि बीमारी के बर्बाद हो जाते हैं। इसके अलावा, यह अस्पतालों या स्वास्थ्य केंद्रों में होनेवाले संक्रमण के खतरे को भी 50 प्रतिशत तक कम कर सकता है।
  • अध्ययन के अनुसार हाथ धुलाई की सुविधा को सुनिश्चित करके इस प्रकार के रोगों से होने वाले मृत्यु के खतरे को प्रायः 25 से 50 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। 5 वर्ष से कम उम्र के तकरीबन 18 लाख (1.8 मिलियन) बच्चे प्रतिवर्ष डायरिया जनित बीमारियों और निमोनिया के कारण मर जाते हैं। ये दोनों बीमारियां पूरी दुनिया में बच्चों का दूसरा सबसे बड़ा हत्यारा है। साबुन से हाथ धुलाई का अभ्यास डायरिया के कारण बीमार पड़ने वाले 3 में से एक बच्चे और श्वसन संक्रमण जैसे कि निमोनिया के कारण 5 में से एक बच्चे को बचा सकताहै। (स्रोतः यूनिसेफ)
  •  हालांकि, दुनिया भर में लोग पानी से हाथ धोते है, लेकिन बहुत कम लोग ही हाथ धुलाई के लिए साबुन का उपयोग करते हैं। साबुन से हाथ धोने से कीटाणुओं को अधिक प्रभावी तरीके से हाथों से हटाया जा सकता है। हाथ धुलाई की शिक्षा और स्कूलों में हाथ धुलाई हेतु साबुन की सुविधा का होना, बच्चों की उपस्थिति को बढ़ा सकता है। जीवन के प्रारंभ से ही बच्चों में साबुन से हाथ धोने का अभ्यास, झारखंड जैसे राज्य में बच्चों के विकास को बेहतर कर सकता है।
  •  अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में भी हाथ धुलाई समान रूप से महत्वपूर्ण है। अस्पतालों में मरीजों को रक्तस्रावसंक्रमण, सर्जिकल साइटसंक्रमण, मूत्र संबंधी संक्रमण, श्वसनसंक्रमण या पेट संबंधीसंक्रमण का खतरा रहता है। (स्रोतः डब्ल्यूएचओ)
  •  घरों में हाथ धोने का अभ्यास सिर्फ दो महत्वूर्ण समयों जैसे कि, खाने से पहले और शौच के बाद तक ही सीमित रहता है। इसे और सृदृढ़ करने की आवश्यकता है।

विश्वहाथ धुलाई दिवस पर रामगढ में समारोह

रामगढ़ के सभी स्कूलों में 14वें वित्त आयोग के कोष का उपयोगकर के हाथ धुलाई इकाई का निर्माण किया गया है। इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन के तहत सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में पोर्टेबल इकाई है।

रामगढ़ जिला ने ओडीएफ प्लस योजना विकसित किया है, जिसका मकसद लोगों को साबुन से हाथ धोने के लिए प्रेरित करना है। हाथ धुलाई के प्रतिलोगों को जागरूक करने के लिए, रामगढ जिला प्रशासन, यूनिसेफ के साथ मिलकर, विशेष अभियान की शुरूआत 17 अक्टूबर को करने जारहा है, जिसमें जिले के सभी स्कूल और आंगनबाड़ी केंद्र भाग लेंगे। इस दिवस को सभी स्कूलों और आंगनबाड़ी केंद्रों में हाथ धुलाई दिवस मनाया जाएगा और हाथ धोने के तरीकों के बारे में बताया जाएगा। इसअवसर पर, स्कूलों में लगभग 1,50,000 बच्चे और आंगनबाड़ी केंद्रों में 30,000 बच्चे एक साथ हाथ धुलाई करेंगे।

 

यूनिसेफ झारखंड की प्रमुख, डा. मधुलिका जोनाथन का कहना है, ‘‘इस वर्ष के विश्व हाथ धुलाई दिवस का थीम ‘हमारा हाथ, हमारा भविष्य’ है, जो कि स्वच्छता और सफाई के व्यवहार को अपनाने के एजेंडे को आगे बढ़ाने की जरूरत को रेखांकित कर रहा है।’’

 

रामगढ़ की उपायुक्त, राजेश्वरी बी का कहना है, ‘‘रामगढ़ पहला जिला है, जहां ग्रामीण क्षेत्रों के सभी 700 सरकारी स्कूलों में हाथ धुलाई इकाई के निर्माण को सुनिश्चित किया गया है। हम शहरी क्षेत्र मेंबचे हुए 40 सरकारी स्कूलों में भी इस सुविधा को सुनिश्चित करेंगे। मैं प्राइवेट स्कूलों को सभी के लिए शौचालय और हाथ धुलाई सुविधा को सुनिश्चित करने के इस मिशन में शामिल होने के लिए सभी आमंत्रित करती हूं।’’

 

 

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