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तेजस्विनी योजना के तहत 17 जिलों के 154 प्रखंड में 14 से 24 वर्ष तक की बच्चियों को स्कील्ड कर स्वावलंबी बनायें : रघुवर दास

रांची, झारखण्ड । नवम्बर | 20, 2017 :: योजनाओं में ज्यादा से ज्यादा जनभागीदारी करायें। छोटी-छोटी योजनाओं के लिए तो गांव के लोगों को ही राशि देकर पूरी करायें। इसके लिए नियमों में जो भी आवश्यक संशोधन है, उसे करायें। जनता पर भरोसा करें अधिकारी। 67 साल तक अधिकारियों पर भरोसा करके देख लिया है, लेकिन अभी भी विकास की रोशनी से बड़ा तबका दूर है। अब आम लोगों पर भरोसा कर उन्हें जोड़ें। गरीब लोग ज्यादा ईमानदार होते हैं। गांव के लोगों को उनके गांव के विकास कार्य से जोड़ें। लोगों को जिम्मेवारी का बोध होगा। इससे योजनाओं के क्रियान्वयन में भी तेजी आयेगी। हमें पावर कम कर लोगों को इंपावर करना है। झारखण्ड के लोगों को इतना सशक्त बनाना है कि वे सक्रिय रूप से विकास योजनाओं से जुड़ें और सिविल सोसाईटी से जुड़ी संस्थाएं जैसे स्वयं सहायता समूह आदि अप्रसांगिक हो जाएं। इससे बिचौलिये भी समाप्त हो जायेंगे। राज्य के पिछड़े छह जिलों पाकुड़, खूंटी, सिमडेगा, गुमला, साहेबगंज और चाईबासा को 2-3 साल में विकसित जिलों में लाना है। गरीबों से जुड़ी योजनाओं के क्रियान्वयन में इन जिलों को प्राथमिकता दें। उक्त बातें मुख्यमंत्री श्री रघुवर दास ने कहीं। रघुवर दास झारखंड मंत्रालय स्थित सभागार में तेजस्विनी व जोहार योजना की समीक्षा कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि तेजस्विनी योजना के तहत 17 जिलों के 154 प्रखंड में 14 से 24 वर्ष तक की बच्चियों को स्कील्ड कर स्वावलंबी बनायें। ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर को तेजस्विनी क्लब के गठन की जिम्मेवारी दें। क्लब का गठन कर वह डिस्ट्रिक को-ऑर्डिनेटर को देगा। इन बालिकाओं व महिलाओं को प्रशिक्षण देकर उनकी रूचि के मुताबिक कार्य से जोड़ें। बाकी सात जिलों में इसी की तर्ज पर केंद्र सरकार की सबला योजना को लागू करें। जनवरी से योजना धरातल पर उतर जायें। राज्य में नये साल से नयी सोच, नयी ऊर्जा का संचार होने लगेगा। जोहार योजना पर मुख्यमंत्री ने कहा कि इसके माध्यम से राज्य से बीपीएल परिवारों की संख्या कम की जा सकती है। सरकार का लक्ष्य है कि 2022 तक राज्य में कोई परिवार गरीबी रेखा के नीचे न रहे। गरीब परिवार की 15-20 हजार रुपये की आमदनी सुनिश्चित करना हमारा लक्ष्य है। बीपीएल परिवारों को मुर्गीपालन, बकरी पालन, मछली पालन, बागवानी, मधुमक्खी पालन आदि से जोड़ें। ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर के माध्यम से इसे लागू करें। उत्पादन से जोड़ने के साथ ही इनके लिए मार्केट की व्यवस्था करें। लोगों को जागरुक करें कि उनका उत्पाद सरकार द्वारा ही खरीद लिया जायेगा। उन्हें कहीं ओर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जिन ब्लॉक में काम शुरू करने की स्थिति है, वहां काम शुरू कर दें। अगले वित्तीय वर्ष से बाकी ब्लॉक में काम शुरू कर दें।

रघुवर दास ने कहा कि विभिन्न स्रोतों से बीपीएल परिवारों का सर्वे करायें और आपस में मिलाकर जांच कर लें। इससे वास्तविक सूची सामने आ जायेगी। गांव में पशु चिकित्सक जा रहे हैं या नहीं इसका क्रास वेरिफिकेशन करें। अब से उनकी डायरी में लाभूक का हस्ताक्षर और मोबाइल नंबर भी लिखायें। जन संवाद केंद्र के माध्यम से सरकार इसकी जांच कराती रहेगी। इससे नीचे का तंत्र भी दुरुस्त होगा। उन्होंने कहा कि राज्य में महुआ का उत्पादन काफी होता है। इसके सही उपयोग के लिए जल्द ही महुआ से जैम, जेली व गुड़ बनाने का काम शुरू होगा। इसके लिए महाराष्ट्र की एक संस्था की मदद ली जायेगी। खाद्य आपूर्ति विभाग को निर्देश दिया कि राशन कार्ड के लिए कैंप लगायें। पहले उन स्थानों पर कैंप लगायें, जहां से ज्यादा शिकायतें मिल रही हैं। इसमें ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर और पंचायत सचिवालय की मदद लें। दिसंबर तक यह काम समाप्त कर लें।
समाज कल्याण विभाग के प्रधान सचिव एम. एस. भाटिया ने बताया कि हर दो आंगनबाड़ी पर एक तेजस्विनी क्लब का गठन किया जा रहा है। हर दो क्लब पर एक यूथ फेसिलिटेटर होगा। आठ क्लब का एक क्लस्टर होगा, जिसके लिए क्लस्टर को-ऑर्डिनेटर नियुक्त होगा। ये ब्लॉक को-ऑर्डिनेटर को रिपोर्ट करेंगे। यह योजना महिला सशक्तिकरण के लिए है। ग्रामीण विकास विभाग के सचिव अविनाश कुमार ने बताया कि 17 जिलों के 68 प्रखंड में जोहार योजना चलायी जानी है। पहले साल इनमें से 25 प्रखंड में योजना शुरू की जा रही है। अगले साल बाकी प्रखंडों में यह शुरू हो जायेगी।

बैठक में ग्रामीण विकास मंत्री नीलकंठ सिंह मुंडा, कल्याण मंत्री श्रीमती लुईस मरांडी, मुख्य सचिव श्रीमती राजबाला वर्मा, अपर मुख्य सचिव अमित खरे, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव सुनील कुमार वर्णवाल, खाद्य आपूर्ति सचिव विनय कुमार चौबे, कृषि सचिव श्रीमती पूजा सिंघल, मनरेगा आयुक्त सिद्धार्थ त्रिपाठी समेत अन्य अधिकारी उपस्थित थे।

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