रांची , झारखण्ड | फरवरी | 06, 2020 :: अक्सर देखने या सुनने को मिलता है कि माता पिता बच्चों की कई प्रकार की अनुचित जिद से परेशान हो जाते हैं। कभी कभी ये परेशानियां इतनी बढ़ जाती हैं कि बच्चों को समझना कठिन होता है। लेकिन कुछ सावधानियां और सूझ बूझ से हम बच्चों […]
आलेख़
प्रबोधिनी एकादशी :: 07 नवम्बर, गुरुवार को दिवा – 10.08 में लगेगा, शुक्रवार दिवा – 12.36 पर्यंत :: डॉ स्वामी दिव्यानंद जी महाराज ( प्रख्यात ज्योतिषी )
रांची, झारखण्ड | नवम्बर | 05, 2019 :: रवियोग, स्थायीजय योग भी मिलने के कारण इसकी और भी बढ गई है। प्रख्यात ज्योतिषी एवं धर्म गुरु स्वामी दिव्यानंद जी महाराज ने बताया, जगत के पालनहार भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी के दिन 4 महीने के लिए क्षीर सागर में भगवान शेषनाग की शैया पर […]
जगदीश से जानिए क्या है सूर्य नमस्कार का प्रारंभ और समापन मंत्र
रांची, झारखण्ड | नवम्बर | 02, 2019 :: सूर्य नमस्कार में बारह मंत्र उचारे जाते हैं। प्रत्येक मंत्र में सूर्य का भिन्न नाम लिया जाता है। हर मंत्र का एक ही सरल अर्थ है- सूर्य को (मेरा) नमस्कार है। सूर्य नमस्कार के बारह स्थितियों या चरणों में इन बारह मंत्रों का उचारण जाता है। सबसे पहले सूर्य के लिए […]
नवरात्रि का अष्टम दिन :: महागौरी की उपासना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं : डॉ. स्वामी दिव्यानंद जी महाराज
रांची , झारखण्ड | अक्टूबर | 06, 2019 :: “श्वेत वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बर धरा शुचि:। महागौरी शुभं दद्यान्महादेव प्रमोददा॥“ श्री दुर्गा का अष्टम रूप श्री महागौरी हैं। इनका वर्ण पूर्णतः गौर है, इसलिए ये महागौरी कहलाती हैं। नवरात्रि के अष्टम दिन इनका पूजन किया जाता है। इनकी उपासना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते […]
नवरात्रि का सप्तम दिन :: संसार में कालो का नाश करने वाली देवी ‘कालरात्री’ ही है : डॉ. स्वामी दिव्यानंद जी महाराज
रांची , झारखण्ड | अक्टूबर | 05, 2019 :: सप्तम कालरात्री “एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥ वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा। वर्धन्मूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥“ श्री दुर्गा का सप्तम रूप श्री कालरात्रि हैं। ये काल का नाश करने वाली हैं, इसलिए कालरात्रि कहलाती हैं। नवरात्रि के सप्तम दिन इनकी पूजा और अर्चना की जाती है। इस दिन […]
नवरात्र के छठे दिन लाल रंग के वस्त्र पहनें। यह रंग शक्ति का प्रतीक होता है और यह मां कात्यायनी का प्रिय रंग भी माना जाता है : डॉ. स्वामी दिव्यानंद जी महाराज
रांची , झारखण्ड | अक्टूबर | 04, 2019 :: षष्ठम कात्यायनी कात्यायनी अपने भक्तगणों पर हमेशा अपनी कृपा दृष्टि रखती हैं। वैसे यह अमरकोष में पार्वती के लिए दूसरा नाम है, संस्कृत शब्दकोश में उमा, कात्यायनी, गौरी, काली, हेमावती, इस्वरी इन्हीं के अन्य नाम हैं। शक्तिवाद में उन्हें शक्ति या दुर्गा, जिसमें भद्रकाली और चंडिका […]
नवरात्रि का पंचम दिन : माँ दुर्गा का पंचम रूप स्कन्दमाता के रूप में जाना जाता है.
रांची , झारखण्ड | अक्टूबर | 03, 2019 :: पंचम स्कंदमाता “सिंहासनगता नित्यं पद्याञ्चितकरद्वया। शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥“ श्री दुर्गा का पंचम रूप श्री स्कंदमाता हैं। श्री स्कंद (कुमार कार्तिकेय) की माता होने के कारण इन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। नवरात्रि के पंचम दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती है। इनकी आराधना से […]
नवरात्रि का चतुर्थ दिन : देवी कूष्मांडा की उपासना से समस्त रोग-शोक नष्ट हो जाते हैं
रांची , झारखण्ड | अक्टूबर | 02, 2019 :: चतुर्थ कूष्माण्डा ”सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च। दधानाहस्तपद्याभ्यां कुष्माण्डा शुभदास्तु में॥“ श्री दुर्गाका चतुर्थ रूप श्री कूष्मांडा हैं। अपने उदर से अंड अर्थात् ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इन्हें कूष्मांडा देवी के नाम से पुकारा जाता है। नवरात्रि के चतुर्थ दिन इनकी पूजा और आराधना की जाती […]
नवरात्रि का तृतीय दिन : माता चन्द्रघण्टा के पूजन से साधक को मणिपुर चक्र के जाग्रत होने वाली सिद्धियां स्वतः प्राप्त हो जाती हैं : डॉ स्वामी दिव्यानंद जी महाराज
रांची , झारखण्ड | अक्टूबर | 01, 2019 :: तृतीय चन्द्रघण्टा “पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैयुता। प्रसादं तनुते मद्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥“ श्री दुर्गा का तृतीय रूप श्री चंद्रघंटा है। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण इन्हें चंद्रघंटा देवी कहा जाता है। नवरात्रि के तृतीय दिन इनका पूजन और अर्चना किया जाता है। इनके […]
नवरात्रि का द्वितीय दिन : माता ब्रह्मचारिणी की पूजा और अर्चना की जाती है
रांची , झारखण्ड | सितम्बर | 30, 2019 :: द्वितीय ब्रम्हचारिणी “दधना कर पद्याभ्यांक्षमाला कमण्डलम। देवी प्रसीदमयी ब्रह्मचारिण्यनुत्त मा॥“ श्री दुर्गा का द्वितीय रूप श्री ब्रह्मचारिणी हैं। यहां ब्रह्मचारिणी का तात्पर्य तपश्चारिणी है। इन्होंने भगवान शंकर को पति रूप से प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी। अतः ये तपश्चारिणी और ब्रह्मचारिणी के नाम […]