Know from guriya jha how to tell children about the loss by their unwanted demands
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गुड़िया झा से जानिए कैसे सूझ बूझ से बच्चों को उनके अनुचित जिद से होने वाले नुकसान और फायदे के बारे में बता सकते हैं हम

Know from guriya jha how to tell children about the loss by their unwanted demands

रांची , झारखण्ड | फरवरी | 06, 2020 :: अक्सर देखने या सुनने को मिलता है कि माता पिता बच्चों की कई प्रकार की अनुचित जिद से परेशान हो जाते हैं। कभी कभी ये परेशानियां इतनी बढ़ जाती हैं कि बच्चों को समझना कठिन होता है। लेकिन कुछ सावधानियां और सूझ बूझ से हम बच्चों को उनके अनुचित जिद से होने वाले नुकसान और फायदे के बारे में बता सकते हैं।

1, सुनने की कि कला
सबसे पहले हमें बच्चों की बातों को ध्यान से सुनना चाहिए।हमें यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि वे कहना क्या चाहते हैं। कई बार होता ये है कि बच्चे डर के कारण भी अपनी बात हमें बताना नहीं चाहते हैं।अपनी बातों को मन में दबाकर रखने से उनके मन में कुंठा उत्पन्न होती है। यही कुंठा धीरे धीरे आक्रमक रवैया का कारण बनती है।

2, अपनी बातों को मनवाने की जिद नहीं करनी चाहिए।
बच्चों को वास्तविकता से अवगत कराएं।उनके द्वारा किये जा रहे
गलत काम के नुकसान बताएं।गलत काम ना करने के फायदे भी बताएं। अपना गुस्सा बच्चों पर ना निकालें। हमेशा यह याद रखें कि सीखने वाले ने भी हमें किस तरीके से सिखाया है। समझाने में अगर अपने से ज्यादा जानकार व्यक्ति की मदद लेनी परे तो संकोच ना करें।बच्चों को डराएं नहीं। उनसे मित्रता पूर्वक पेश आएं। हमारा मितव्ययी होना ही बच्चों में एक नई उम्मीद की किरण जगायेगा और उनमें सकारात्मक रवैया का निर्माण होगा।

3, भाषा की सभ्यता
किस वाक्य या हमारे किस शब्द से बच्चों और क्या असर होगा हमें इस बात का हमेशा ध्यान रखना होगा। नकारात्मक बातें नकारात्मक परिणाम देंगी। हमें बच्चों में सकारात्मक बातों को अपनाने की आदत डालनी होगी। बच्चों का हौसला बढ़ाने से उनमें एक नई ऊर्जा का संचार होगा।यह सब करते समय ईश्वर को धन्यवाद देना चाहिए कि आपको उन्होंने किसी को समझाने का अवसर दिया है। नेक नियत से
बताई बात नेक परिणाम ही देंगी।अतः हमेशा प्रयासरत रहें
बच्चे हमारी और आपकी नहीं वे राष्ट्र की संपत्ति हैं। उन्हें अच्छा नागरिक बनाना राष्ट्रीय कार्य है।

4, प्रोत्साहित करना
बच्चों को हमेशा प्रोत्साहित करने की कोशिश करनी चाहिये। बच्चे प्रोत्साहित तभी होंगे जब वे हमें प्रोत्साहित देखेंगे। हमारी बातों से ये जाहिर होना चाहिए कि बच्चों में कुछ करने की कला है। बच्चें के लिए माता पिता वे कड़ी हैं जिनसे प्रेरणा लेकर वे जीवन की अनगिनत चुनौतियों का सामना करते हुए अपने भविष्य की नीव को एक मजबूत ढाल बनाकर आसानी से अपने पथ पर आगे जा सकते हैं।
बच्चों के साथ जब भी बातें करें तो कभी भी घर के दूसरे बच्चे या पास पड़ोस के बच्चों से उनकी तुलना ना करें। इससे उनमें हीन भावना उत्पन्न होती है। जिस प्रकार हाथों की सभी उंगलियां बराबर नहीं होतीं हैं, ठीक उसी प्रकार सभी बच्चों में अलग अलग
योग्यताएँ होती हैं।

गुड़िया झा

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