रांची , झारखण्ड | अक्टूबर | 04, 2019 ::
षष्ठम कात्यायनी
कात्यायनी अपने भक्तगणों पर हमेशा अपनी कृपा दृष्टि रखती हैं। वैसे यह अमरकोष में पार्वती के लिए दूसरा नाम है, संस्कृत शब्दकोश में उमा, कात्यायनी, गौरी, काली, हेमावती, इस्वरी इन्हीं के अन्य नाम हैं। शक्तिवाद में उन्हें शक्ति या दुर्गा, जिसमें भद्रकाली और चंडिका भी शामिल है, कहा जाता है।
मां कात्यायनी को प्रसन्न करना कठिन नहीं है अगर आप उनकी सच्चे मन से पूजा आर्चना करते है तो वे आप हर कष्ट को दुर करेगी। माना जाता है कि देवी कात्यायनी की पूजा से घर में सुख शान्ति का आह्वान होता है। विवाह के बाद की समस्याएं और पति-पत्नी के रिश्ते में आ रही परेशानियां इनकी उपासना व व्रत से दूर होती हैं। वहीं शादी में हो रही देरी या बार-बार रिश्ते होकर टूटना जैसे दिक्कतों में भी कात्यायनी पूजा फलदायी होती है।
मां कात्यायनी से जुड़ी कथा
यजुर्वेद के तैत्तिरीय आरण्यक में उनका उल्लेख प्रथम किया है। स्कंद पुराण में उल्लेख है कि वे परमेश्वर के नैसर्गिक क्रोध से उत्पन्न हुई थीं जिन्होंने देवी पार्वती द्वारा दिए गए सिंह पर आरूढ़ होकर महिषासुर का वध किया। परंपरागत रूप से देवी दुर्गा की तरह वे लाल रंग से जुड़ी हुई है। नवरात्रि उत्सव के षष्ठी में उनकी पूजा की जाती है। दरअसल, उस दिन साधक का मन ‘आज्ञा’ चक्र में स्थित होता है। योगसाधना में इस आज्ञा चक्र का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इस चक्र में स्थित मन वाला साधक मां कात्यायनी के चरणों में अपना सर्वस्व निवेदित कर देता है। परिपूर्ण आत्मदान करने वाले ऐसे भक्तों को सहज भाव से मां के दर्शन प्राप्त हो जाते हैं।
मां कात्यायनी का जन्म मह्रिषी कात्यायन के घर हुआ था। मह्रिषी कात्यायन के घोर तपस्या करके मां दुर्गा को प्रसन्न किया था। उसके पश्चात् मां दुर्गा से प्रसन्न होकर मह्रिषी को वरदान दिया कि वे उनके यहां पुत्री का जन्म लिया। इस कारण उनका नाम कात्यायनी रखा गया।
कात्यायनी पूजन सामग्री व मंत्र
नारियल, कलश, गंगाजल, कलावा, रोली, चावल, चुन्नी, शहद, अगरबत्ती, धूप, दीया और घी। साथ ही मां कात्यायनी को प्रसन्न करने के लिए 3 से 4 पुष्प लेकर निम्नलिखित मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए, उसके बाद उन्हें पुष्प अर्पित करना चाहिए
। चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दू लवर वाहना ।
।। कात्यायनी शुभं दघा देवी दानव घातिनि ।।
कैसे करें मां कात्यायनी की पूजा
सुबह नहाने के पानी में थोड़ा गंगाजल डालकर स्नान करें और फिर मां कात्यायनी का मन में ध्यान करते रहें।
उसके पश्चात् नारियल को कलश पर रखें। फिर उस पर चुन्नी व कलावा लगायें और पूजा करें।
फिर मां कात्यानी को रोली, हल्दी व चावल का तिलक करें।
तिलक लगाने के बाद मां कात्यानी के सामने घी का दिया जलाएं।
मां कात्यानी को शहद अत्यंत प्रिय होता है इसलिए उन्हें शहद का भोग लगाने चाहिए।
ध्यान दें : नवरात्र के छठे दिन लाल रंग के वस्त्र पहनें। यह रंग शक्ति का प्रतीक होता है और यह मां कात्यायनी का प्रिय रंग भी माना जाता है।
लेखक डॉ. स्वामी दिव्यानंद जी महाराज प्रख्यात ज्योतिषी हैं