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परिवर्तन के साथ सामंजस्य स्थापित कर खुद को दें एक नयी पहचान : गुड़िया झा

रांची, झारखण्ड | जून | 23, 2020 :: “परिवर्तन संसार का एक शाश्वत सत्य है।” ये तो हम सभी जानते हैं। लेकिन कभी कभी हम इस परिवर्तन को अपनाने की हिम्मत नहीं कर पाते हैं। जबकि इसके अनुकूल यदि हम इस परिवर्तन के साथ सामंजस्य स्थापित करते हुए अपनी मंजिल की तरफ आगे बढ़ें, तो निश्चित ही आने वाले समय में हम एक मजबूत स्तम्भ की तरह खड़े होंगे।
अभी लॉक डाउन में जो लोगों की परिस्थितयां सामने आ रही हैं। कितने ही लोग अपनी नौकरी के जाने से परेशान हैं कि अब क्या होगा?
उन लोगों का परेशान होना भी स्वाभाविक है। क्योंकि हम इस परिवर्तन के लिए तैयार नहीं थे। किसी ने कभी सोचा भी नहीं था कि उन्हें इस प्रकार की स्थिति का सामना करना पड़ेगा। इस लॉक डाउन का भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी प्रतिकूल असर हुआ है।
क्यों न हम इस परिवर्तन को एक स्वर्णिम अवसर के रूप में लें।इससे हमारे भीतर एक नई ऊर्जा का संचार तो होगा ही, साथ ही हमारे कदम आगे बढ़ने के लिए खुद ब खुद हमें प्रेरित करेंगे। कुछ बातों को अपनाकर हम इसकी उपयोगिता को और भी बढ़ा सकते हैं।

1, दोषारोपण से बचें।
कभी भी किसी भी परिस्थिति या समस्या के लिए हम अक्सर दूसरों को दोषारोपण देने लगते हैं। हमें ऐसा लगता है कि दूसरों को दोषारोपण देकर हम आराम से बैठ जायेंगे और हमारी समस्यायें समाप्त हो जायेंगी। जबकि ऐसा है नहीं। हमें ऐसा करने से बचना चाहिए। हमेशा ही समस्या के समाधान पर ध्यान देने की जरूरत है। अगर हम ऐसा करने लगें, तो तय है कि समस्याओं की तरफ हमारा ध्यान कम और समाधान को ढूंढने में ज्यादा लगा रहेगा और इसके बेहतर परिणाम भी जल्द ही हमारे सामने होंगे।
परिस्थितयां हमेशा एक जैसी नहीं रहती हैं। जैसे- रात के अंधेरे के बाद सुबह का उजाला भी हम देखते हैं। ठीक वैसे ही जीवन की ये विपरीत परिस्थितियां भी बड़े ही आराम से अनुकूल परिस्थितियों में अवतरित होंगी। बस हमेशा अपने अंदर नये जोश और उत्साह के जुनून को बरकरार रखें। अक्सर जब हम उत्साहित रहेंगे, तो सामने वाले पर भी उसका अच्छा असर देखने को मिलेगा। फिर धीरे धीरे ये संख्या बढ़ती जायेगी और हम आने वाले समय में नये भारत के निर्माण में अपना योगदान देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।

2, आगे बढ़ें।
कई बार ऐसा होता है कि हम खुद को बीती हुई बातों में इतना उलझा लेते हैं कि जिससे समय और ऊर्जा दोनो की ही बर्बादी होती है। जब हम लगातार कई दिनों तक एक ही परिस्थितियों में अपना जीवन व्यतीत करते हैं उसके बाद अचानक से जो दूसरी परिस्थितयां सामने आती हैं, तो हमें उनका सामना करने में कठिनाई महसूस होती है। हमें यह मानना होगा कि परिस्थितियों के अनुसार ही खुद को ढाल कर हम आगे बढ़ सकते हैं। हमेशा आगे की ओर देखेंगे तो नई मंजिल दिखाई देगी। जैसे ही हमें अपनी मंजिल दिखाई देगी तो रास्ते भी अपने आप ही बनते जायेंगे। जब इन रास्तों पर पूरी ईमानदारी और मेहनत से एक- एक कदम आगे बढ़ाएंगे, तो हम पायेंगे कि आने वाला नया कल बहुत ही बेसब्री से हमारा इंतजार कर रहा है। एक नये भविष्य की नई शुरुआत के लिए। हर तरफ खुशियां हमारा इंतजार कर रही हैं।

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