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पांच तत्वों से बना शरीर अगर बीमार पड़ जाए तो उसे इन्हीं तत्वों के से ठीक किया जाना ही प्राकृतिक चिकित्सा : आर्य प्रहलाद भगत

पांच तत्वों से बना शरीर अगर बीमार पड़ जाए तो उसे इन्हीं तत्वों के से ठीक किया जाना ही प्राकृतिक चिकित्सा : आर्य प्रहलाद भगत

योग एक प्राचीन भारतीय कला एवं विज्ञान है जो मनुष्य के भौतिक, मानसिक, भावनात्मक एवं आध्यात्मिक स्तर पर स्वास्थ्य एवं जीवन कल्याण प्रदान करता है । योग का इतिहास 5000 वर्षों से अधिक है। योग शब्द संस्कृत के “युज” धातु से आया है, जिसका अर्थ है विलीन होना। भारत में योग की विभिन्न शैलीयों एवं अभ्यास क्रमों का पालन किया जाता है। योग के आध्यात्मिक अर्थ का उल्लेख वेद, उपनिषद तथा भगवद् गीता जैसे प्राचीन ग्रंथों में किया गया है। कई प्रसिद्ध योग गुरुओं ने योग का व्यवस्थित अभ्यास विधियों एवं स्वास्थ्य लाभें का संकलन किया है। उन में से पतंजलि योग सूत्र एवं हठ योग प्रसिद्ध हैं। पतंजलि योग सूत्र मुख्य रूप से आठ अंगों की व्याख्या करता हैं जैसे की: आचार (यम), नियम का पालन (नियम), शारीरिक अनुशासन (आसन), नियमित श्वास प्रश्वास साधना (प्राणायाम), इन्द्रिय निग्रह (प्रत्याहार), एकाग्रता (धारणा), ध्यान तथा चेतना की उच्च अवस्थाओं को उजागर करना (समाधि) ।
प्राकृतिक चिकित्सा (नेचुरोपैथी) भारतीय एवं पश्चिमी दर्शन पर आधारित दवा रहित चिकित्सा प्रणाली है। नेचुरोपैथी शब्द 1895 में जॉन शील द्वारा दिया गया, और इसे अमेरिका में बेनेडिक्ट लस्ट ने लोकप्रिय बनाया। भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ने अपना पूरा जीवन शैली प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार जिए, प्राकृतिक चिकित्सा, शरीर की प्राण शक्ति एवं आंतरिक शारीरिक प्रक्रियाओं में सुधार लाकर खुद को स्वस्थ बनाने की स्वयं की क्षमता पर आधारित है। पंचमहाभूत सिद्धांत, रोगकारक पदार्थ सिद्धांत, प्राण शक्ति सिद्धांत जैसे प्राकृतिक चिकित्सा के अवधारणाएँ, मनुष्य के सभी स्तर पर स्वास्थ्य एवं बीमारी की व्याख्या करती हैं। जल चिकित्सा, मालिश चिकित्सा, मिट्टी चिकित्सा, उपवास चिकित्सा, आहार चिकित्सा इत्यादी प्राकृतिक चिकित्सा के कुछ बुनियादी उपचार पद्धती हैं।

निवारक, सहायक एवं पुनर्वास चिकित्सा के रूप में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा के विभिन्न क्रमों की प्रभावकारिता को अनुसंधान ने प्रमाणित किया है। आधुनिक चिकित्सा पद्धती के साथ योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा का संयोग, रोगों के बोझ को कम करने के साथ-साथ स्वास्थ्य रक्षा एवं जीवन कल्याण हेतु उपयोगी है।
आज हर व्यक्ति
कोलेस्ट्राल का बढ़ना, डायबिटीज, आंखों में सूखापन-पानी गिरना, मांसपेशियां-जोड़ों का दर्द, आर्थराइटिस, मोटापा, कब्ज, नींद नहीं आना, श्वांस रोग, ब्लड प्रेशर, लंबाई बढ़ाना, प्रसव के दौरान दर्द होने वाले दर्द को कम करना. डिप्रेशन जैसी अनेक बीमारियों का इलाज ‘योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा’ के जरिए बिना दवा के इलाज हो सकेगा।

अलग-अलग थैरेपियों से किया जाएगा मरीजों का इलाज
प्राकृतिक चिकित्सा के जरिए होने वाले इलाज में मड, हाइड्रो, मासो थैरेपी, एक्यूप्रेशर, एक्यूपंक्चर, क्रोमोथैरेपी, उपवास चिकित्सा, आहार-विहार चिकित्सा, वायु चिकित्सा, चुंबकीय चिकित्सा, मड पैक, मड और पूल बाथ, स्टीम बाथ, सन बाथ, क्रोमो बाथ, गीला चादर पैक, छाती पैक, पेट पैक, ट्रंक पैक, घुटना पैक, गीले करधनी पैक, गर्दन पैक, हरी पत्तियों वाली सन बाथ, कोलन सिंचाई, डीलक्स हाइड्रो मसाज, रंग चिकित्सा, रिफ्लेक्सोलोजी, फिजियोथैरेपी, इलेक्ट्रोथैरेपी, एनीमा-गर्म पानी, छाछ व नारियल पानी आदि।

योग में इस्तेमाल होने वाला प्राणायाम, जलनेति, षटकर्म, आभ्यांतर त्राटक, अनुलोम विलोम, भ्रामरी, शीतली, ध्यान, नांद ध्वनि, ज्ञान और सूर्य मुद्रा।
नटराज योग एवं वैलनेस सेंटर एवं इंटरनेशनल नेचरोपैथी ऑर्गेनाइजेशन के प्रदेश उपाध्यक्ष आर्य प्रहलाद भगत का कहना है ,
शरीर पांच तत्वों-हवा, पानी, आकाश, आग व मिट्टी से मिलकर बना है। प्राकृतिक संतुलन के आधार पर जीवन जिया जाए तो बीमारी पास आएगी ही नहीं। पांच तत्वों से बना शरीर अगर बीमार पड़ भी जाए तो उसे इन्हीं तत्वों के से ठीक किया जाना ही प्राकृतिक चिकित्सा (नेचुरोपैथी) है

 

आर्य प्रहलाद भगत

उपलब्धि :-

1.झारखंड के राज्यपाल द्वारा योग रत्न सम्मान
2.योग में गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड
3.इंटरनेशनल नेचरोपैथी ऑर्गेनाइजेशन प्रदेश उपाध्यक्ष (झारखंड)
4.स्नातकोत्तर योग विज्ञान
5. 2 बार नेट क्वालिफाइड
6. राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित (योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा)

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