आलेख़

मानवता, ईश्वर की दी गई अनमोल रचना : गुड़िया झा

रांची, झारखण्ड |  सितम्बर  | 11, 2020 ::   ईश्वर ने इस पूरे संसार को मनुष्य, विभिन्न प्रकार के पशु, पक्षी, प्राकृतिक आदि से बहुत  ही खूबसूरत तरीके से सजाया है। हम मनुष्यों के साथ साथ विभिन्न प्रकार के पशु पक्षियों में सोचने-समझने की भी काफी क्षमता होती है। फर्क सिर्फ इतना है कि बेजुबान अपनी बातों को बोलने में समर्थ नहीं हो पाते हैं। इसके विपरीत हम मनुष्यों में बोलने, सोचने और समझने की भरपूर क्षमता होती है।  मानवता भी उन्हीं में से एक महत्वपूर्ण गुण है। ये वोे गुण है जिसके माध्यम से हम अपने आसपास परिवार, समाज और देश को भी एक मोती की तरह एक- एक कड़ी को जोड़ कर एक- दूसरे के दुःख दर्द को बांटते हुये मजबूत स्तम्भ की तरह रख सकते हैं।
सबसे पहले हमें इसकी शुरुआत अपने आप से करनी होगी।

1, मानवता किसी परिचय का मोहताज नहीं।
अक्सर हम ये देखते हैं कि जब हमारे साथ कोई परेशानी होती है, तो ईश्वर अपने माध्यम से किसी ऐसे इंसान को हमारी मदद के लिए भेज देते हैं, जिनके सहयोग से हमारी समस्याओं का समाधान होता है। हम इस रिश्ते को इंसानियत का नाम देते हैं। ठीक उसी प्रकार से किसी को हमारी मदद की भी जरूरत होती है। बस  हमारी थोड़ी सी सजगता  इसे और भी बेहतर बना सकती है।
जब हम कभी किसी होटल में खाना खाते हैं, तो बिल के भुगतान के साथ कुछ ज्यादा रुपये टिप के रूप में भी देते हैं। वहीं, जब हम ऑटो या रिक्शा में सफर करते हैं, तो रिक्शा या ऑटो वाले से मोलभाव करते हैं। ये लोग भी तो अपने घर, परिवार के लिए गर्मी, वर्षा या ठंड हर मौसम में कड़ी मेहनत कर हमे अपनी सेवाएं देते हैं।
अगर कभी इन लोगों के बारे में हम सोचें, तो पायेंगे कि ईश्वर ने हम इंसानो को मेहनत करने के लिये बहुत बड़ी ताकत दी है।
दूसरों के प्रति थोड़ी सी संवेदना रख कर अपना कार्य करें, तो ये एक सच्ची मानवता तो होगी ही, साथ ही इनकी दुआओं से ना जाने हम और कितने ही लोगों की सोच को बदलने में एक मुकाम हासिल करेंगे। प्रत्येक इंसान में ईश्वर का वास होता है। ” नर सेवा, नारायण सेवा” वाली भावना का विकास भी यहीं से होगा।

2, सभी की भावनाओं को समझना।
इस भागदौड़ वाली और आधुनिकता की होड़ में आगे निकलने की चाह नें हमें इतना व्यस्त कर दिया है कि अपने आसपास रहने वाले लोगों के बारे में सोचने की चाह कम होती जा रही है। जब हम गम्भीरता से इस ओर ध्यान देंगें, तो पायेंगे कि अभी भी कई लोग ऐसे हैं जिनकी भावनाओं को समझा जाये, तो पता चलेगा कि इनके भीतर किसी के लिये कुछ करने का जो जज्बा है वो सही मार्गदर्शन के अभाव में बस अपने दिलों-दिमाग तक ही सीमित है। उनकी भावनाओं को समझ कर हम उन्हें सही रास्ता दिखाते हुये एक अच्छी शुरुआत तो कर ही सकते हैं, साथ ही ये एक उस कड़ी की तरह कार्य करेगा जिसके बाद बहुत से रास्ते आपस में जुड़ते हुये  एक अच्छा संदेश देंगे कि अभी भी हमारे समाज में मानवता एक दूसरे को जोड़ने का बहुत ही मजबूत साधन है।
इतना ही नहीं, कई बार हमारा सामना ऐसे लोगों से भी होता है जो काफी दिक्कतों के बाद भी  अपनी समस्याएं हमें बताने में संकोच करते हैं। ऐसे लोगों से बड़ी ही आत्मीयता से पेश आकर  हम उनकी समस्याओं का समाधान भी कर सकते हैं।

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