Prasthata das unicef
Breaking News Latest News झारखण्ड राष्ट्रीय लाइफस्टाइल

घर में रहकर ही कर सकते हैं कोरोना को परास्त : प्रसांता दास, यूनिसेफ प्रमुख, झारखंड

रांची, झारखण्ड | अप्रैल | 04, 2020 :: 31 मार्च 2020 को झारखंड की राजधानी रांची में कोरोनावाइरस का पहला मामला पाया गया।
हम सबके लिए यह चिंताजनक है कि जिस संकट से निपटने के लिए हम खुद को तैयार कर रहे थे, उसने हमारे राज्य में भी दस्तक दे दी है, वह हमारी सीमा में प्रवेश कर चुका है।
अब यह समय कि मांग है कि हम सभी सरकार के निर्देशों का सख्ती से पालन करें तथा सोशल डिस्टेंसिंग तथा नियमित रूप से हाथ धोने जैसे उपायों को व्यवहार में लाएं, यह काफी महत्वपूर्ण है। हमें पता है कि झारखंडवासी खुद को तथा अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए बचाव के सभी तरीकों का बढ़िया से पालन कर रहे हैं और यह किया भी जाना चाहिए।

संकट की इस घड़ी में हमें झूठी सूचनाओं और अफवाहों पर ध्यान नहीं देना चाहिए तथा गलत सूचनाओं को बढ़ावा भी नहीं देना चाहिए। गलत सूचनाओं को फैलाना या बढ़ावा देना स्वास्थ्य संकट को और बढ़ा सकता है, जिसके परिणामस्वरूप असुरक्षा फैल सकती है और अधिक लोग इस बीमारी की चपेट में आ सकते हैं। गलत सूचना असुरक्षा, भय और भेदभाव की भावना को बढ़ा सकता है।

लाखों लोग इस समय घरों में बंद हैं।
ऐसी स्थिति में यह स्वाभाविक है कि हममें से कई लोग जिसमें बच्चे भी शामिल हैं, इस समय काफी डरे तथा घबराए हुए हैं।
कोरोनावाइरस के बारे में हम जो कुछ पढ रहे हैं़, देख रहे हैं अथवा सुन रहे हैं, उसमें यह लाजि़्ामी भी है।
खासकर बच्चे इन दिनों आॅनलाइन माध्यमों अथवा टीवी पर जो कुछ देख या सुन रहे हैं उससे उन्हें स्थिति को समझने में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
इससे उनके अंदर चिंता, तनाव और उदासी की भावना पनप सकती है। लेकिन यदि बच्चों के साथ इस बारे में खुली चर्चा की जाए तो उन्हें स्थिति के बारे में समझने एवं उसका सामना करने में मदद मिल सकती है।
इसके अलावा कोराना से निपटने में वह दूसरों के लिए भी एक सकारात्मक योगदान दे सकते हैं।

अपने बच्चों की भावनाओं को समझें तथा स्वीकारें एवं उन्हें स्थिति के बारे में अच्छी तरह समझाएं। यह घर में एक सुरक्षित वातवारण का निर्माण करेगा।
बच्चों के साथ घुलने मिलने एवं चर्चा की शुरूआत करने के लिए कहानी और ड्राइंग जैसी गतिविधियों का उपयोग किया जा सकता है।
इस दौरान उन्हें स्वच्छता के अभ्यासों खासकर नियमित रूप से हाथ धोने जैसी अभ्यासों को पालन करने के बारे में बताया जा सकता है।
बच्चों को कोरोना वाइरस तथा अन्य दूसरी बीमारियों से बचाने के लिए नियमित रूप से हाथ धुलाई का अभ्यास सीखाना जरूरी है।

बच्चों के लिए यह जानना महत्वपूर्ण होगा कि दुनिया भर में फैली संकट की इस घड़ी में लोग कैसे दयालुता और उदारता के साथ एक-दूसरे की मदद कर रहे हैं।
बच्चों को उन स्वास्थ्यकर्मियों, वैज्ञानिकों और उन लोगों की कहानियों के बारे में बताएं, जो इस बीमारी के प्रकोप को रोकने तथा समुदाय को इससे सुरक्षित रखने में अपनी भूमिका अदा कर रहे हैं।

हालांकि इस समय स्कूल्स, कोचिंग सेंटर्स और आर्ट क्लासेस बंद हैं, लेकिन बच्चों के सीखने के उपर कोई पाबंदी नहीं है।
माता-पिता तथा परिवार के सदस्य इसमें महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
बच्चों के साथ मिलकर उनकी किताबंे एक साथ पढ़ सकते हैं।
माता-पिता बच्चों को कहानी, कविता आदि रचनात्मक कार्यों को करने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
इसके अलावा वे एक साथ नंबर गेम तथा वर्ड गेम भी खेल सकते हैं।
बहुत से ऐसे माता-पिता जो अपनी व्यस्तता के दिनों में बच्चों को अपने व्यवसाय या दैनिक जीवन के बारे में नहीं बता पाते, वह इस समय का उपयोग अपने कामकाज के बारे में बच्चों को बताकर कर सकते हैं।
हालांकि हम क्लासरूम शिक्षा को ही सीखने के एक माघ्यम के रूप में देखने को अभ्यस्त हैं, लेकिन बच्चों के साथ की जाने वाली चर्चाएं तथा फैमिली गेम बच्चों के बौद्धिक तथा मनोसामाजिक विकास में काफी मदद करते हैं।

पोषण की बात करें तो माताओं को इस दौरान स्तनपान जारी रखना चाहिए। यदि माता को कोरोनावाइरस होने का संदेह हो या फिर वह संक्रमित हो गई हो तो मास्क लगाकर बच्चे को स्तनपान करा सकती हंैै।
इसके अलावा यह महत्वपूर्ण है कि इस दौरान कम से कम प्रोसेस्ड किया हुआ घर का ताजा बना भोजन ही खाया जाए, शरीर में पानी की कमी न होने दी जाए, शारीरिक रूप से सक्रिय रहें तथा नियमित रूप से सूर्य प्रकाश लेें।
पैकेट रहित फलों, सब्जियों तथा पैकेटबंद दूध, दही आदि को पानी से अच्छे से धोएं। परिवार के सभी सदस्यों के द्वारा एक साथ खाना पकाना, खाना तथा घरेलू जिम्मेवारियों का निर्वहन करना पारिवारिक संबंधों को मजबूती प्रदान करेगा। इसके अलावा इससे गर्भवती तथा नर्सिंग महिलाओं तथा छोटे बच्चों को उनकी अतिरिक्त आवश्यकताओं के लिए भरपूर सहयोग एवं समय भी मिलेगा।

कोेरोनावायरस का प्रकोप अपने साथ दुनिया भर में भेदभाव की कई घटनाओं को लेकर आया है। कोरोनावायरस बीमारी का किसी के रंग, भाषा और जन्म स्थान से कोई लेना देना नहीं है। हमें उन लोगों से सहानुभूति रखनी चाहिए, जो सभी आवश्यक सावधानियों का पालन करते हुए भी संक्रमित हो जाते हैं।

यह आवश्यक है कि जिनमें इसके लक्षण दिखते हैं उन्हें सहयोगपूर्ण वातावरण मिले, इससे उन्हें शुरूआती दौर में ही लक्षण दिखने पर चिकित्सा सेवा प्राप्त करने हेतु प्रोत्साहन मिलेगा।

यह देखा गया है कि महामारी के दौरान, जब लोगों को घरों में बंद रहना पड़ता है, घरेलू हिंसा की घटनाएं बढ़ जाती है। इससे वयस्कों तथा बच्चों दोनों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पडता है।
ध्यान एवं योग जैसी गतिविधियां तनाव को कम करने तथा घरों में सुरक्षित तथा शांत वातावरण बनाने में मदद कर सकता है।

और अंत में सबसे महत्वपूर्ण है कि हम सभी सरकार के निर्देशों का पूरी तरह से पालन करें तथा डर एवं घबराहट से बचें।
कृप्या घर पर रहें और धैर्य रखें।
हम सभी एक साथ मिलकर इस संकट से बाहर आएंगे और हम यह अवश्य करेंगे।

Leave a Reply