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शिक्षा के साथ रूपांतरण शिक्षा भी बच्चों के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण : गुड़िया झा

शिक्षा के साथ रूपांतरण शिक्षा भी बच्चों के विकास के लिए महत्त्वपूर्ण : गुड़िया झा

अधिकांशत हम परीक्षा में आने वाले उच्चतम अंक के आधार पर किसी भी बच्चे की क्षमता का आकलन बहुत ही आसानी से कर लेते हैं। यह बात भी सत्य है कि अच्छे अंक लाने से किसी बड़े संस्थानों में बच्चे की नामांकन प्रक्रिया में किसी तरह की कोई बाधा नहीं आती है। लेकिन इससे बच्चे की वास्तविक क्षमता का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता है।
दरअसल, अगर हम मात्र अंक प्राप्ति पर ध्यान देने की बजाय “हमारे शब्द या वचन (कमिटेड) ” को महत्व देना शुरू करते हैं, तो यह हमारी शिक्षा प्रणाली और सशक्त देश के लिए एक नए सबेरे की शुरूआत होगी। वास्तव में हम प्रत्येक संस्थाओं और संगठनों में “प्रतिबद्धता ” के लिए विशेष पुरस्कार रख सकते हैं। उदाहरण के लिए “सर्वाधिक कमिटेड छात्र”, “सर्वाधिक कमिटेड शिक्षक” और ” सर्वाधिक कमिटेड कार्यकारी “। पुरस्कार प्रत्येक संस्था/संगठन में प्रतिवर्ष दिया जा सकता है। यहां हमें सावधानी बरतने की जरूरत है। हमें परिणामों के लिए प्रतिबद्ध (कमिटेड ) होना चाहिए। हमें यह ध्यान में रखना है कि काम करते समय परिणाम से अधिक महत्त्वपूर्ण कुछ नहीं है। लेकिन अगर हम हार जाते हैं, तो हम यह सहर्ष स्वीकार करें कि जीवन एक खेल है और यहां हार-जीत लगा रहता है। गीता में भी भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं “अपना काम करो और फल मुझ पर छोड़ दो”।
नीट में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को 10% आरक्षण का फैसला देने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ऐसे मिथक तोड़े हैं जिससे पिछड़े वर्गों को आरक्षण देने की सोच में बड़ा बदलाव आया है। कोर्ट ने विश्व भर में आरक्षण देने के सिद्धांतों का विस्तार से जिक्र करते हुए कहा है कि उच्च अंक लाना किसी भी बच्चे की क्षमता नहीं है। परीक्षाएं शैक्षणिक अवसरों को वितरित करने का एक आवश्यक और सहज तरीका मात्र है। परीक्षा में हासिल किए गए अंक हमेशा किसी छात्र की सही मेरिट का पैमाना नहीं होते। क्योंकि छात्र की प्रतिभा उसकी परीक्षा में दिखाए गए प्रदर्शन से आगे जा सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा सामान्य वर्ग के छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं में ज्यादा अंक कड़ी मेहनत से लाते हैं, पर उन्हें प्रवेश नहीं मिलता है। क्योंकि आरक्षण के कारण कम अंक वाला छात्र प्रवेश पा जाता है। कोर्ट ने इस दावे का कड़ा विरोध किया है और कहा है कि किसी छात्र का ज्यादा अंकों में यह अंतर विशेष सुविधायें, सम्पनता या विशेष परिस्थितियों के कारण हो सकते हैं, सिर्फ कड़ी मेहनत के कारण ही नहीं।
सुप्रीम कोर्ट का यह उच्च विचारों वाला फैसला अपने देश के लाखों छात्रों के भविष्य को उज्ज्वल बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
यदि अपने देश के प्रत्येक स्कूलों और कॉलेजों में भी शिक्षा के साथ-साथ रूपांतरण शिक्षा पर भी यदि ध्यान दिया जाये तो बच्चों में व्यवहारिक शिक्षा भी विकसित होगी जिससे कि वो जीवन के हर क्षेत्र में और प्रत्येक परिस्थितियों में सामंजस्य स्थापित करते हुए एक नये समाज और देश के निर्माण में अपना योगदान दे सकें। आज तकनीक के माध्यम से बच्चे बहुत सा ज्ञान हासिल कर लेते हैं। लेकिन रूपांतरण शिक्षा का ज्ञान हमारे माध्यम से बच्चे हासिल कर सकते हैं।
इससे किसी भी बच्चे में हीनता की भावना का विकास नहीं होगा और हर एक बच्चा अपनी योग्यता और क्षमता के आधार पर अपने मुकाम को हासिल कर लेगा।

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