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इतिहास में आज :: कारगिल विजय दिवस [ 26 जुलाई ]

जुलाई | 26, 2017 ::जिस वक्त का​रगिल पर युद्ध चल रहा था, पूरे देश में देशप्रेम की भावना ज्वार ले रही थी। सबके मन में यही था कि भारत को चाहिए कि पाकिस्तान को नेस्तनाबूद कर दे। हर जगह सिर्फ कारगिल युद्ध की चर्चा थी। बहनों ने सीमा पर युद्धरत जवानों के लिए राखियां भेजीं। जैसे ही किसी शहीद का पार्थिव शरीर आता, लोग देखने और सलामी के लिए उमड़ पड़ते थे। हजारों की संख्या में होते थे। लोगों ने अपने घरों में खाद्य सामग्री का भंडारण कर लिया था। कर्फ्यू की आशंका बनी हुई थी। हर कोई पाकिस्तानियों को गालियां देता दिखाई देता था। मीडिया में स्थानीय खबरें भी सिर्फ कारगिल के संबंध में आ रही थीं। करीब तीन महीने चला था युद्ध

पूरे देश में हर साल 26 जुलाई के दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप में याद किया जाता है। वर्ष 1999 में पाकिस्तानी सेना और कश्मीरी उग्रवादियों ने ​कारगिल में नियंत्रण रेखा पार कर भारत की सरजमीं पर कब्जा करने की कोशिश की थी। जिसके फलस्वरूप भारत और पाकिस्तान के बीच मई से लेकर जुलाई तक युद्ध चला। 26 जुलाई को भारत ने इस युद्ध में जीत हासिल की। लेकिन जीत के साथ इस ​युद्ध में देश के सैकड़ों जवानों के शहीद होने का दर्द भी शामिल था। तब से 26 जुलाई के दिन कारगिल शहीदों को नमन कर पूरे देश में इस दिन को कारगिल विजय दिवस के रूप में याद किया जाता है व शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है।
इस युद्ध में हमारे लगभग 527 से अधिक वीर योद्धा शहीद व 1300 से ज्यादा घायल हो गए, जिनमें से अधिकांश अपने जीवन के 30 वसंत भी नही देख पाए थे। इन शहीदों ने भारतीय सेना की शौर्य व बलिदान की उस सर्वोच्च परम्परा का निर्वाह किया, जिसकी सौगन्ध हर सिपाही तिरंगे के समक्ष लेता है।

आलेख: कयूम खान, लोहरदगा।

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