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लता मंगेश्कर की अमरता की कहानी :: सुनील बादल ( वरिष्ठ पत्रकार )

लता मंगेश्कर की अमरता की कहानी :: सुनील बादल ( वरिष्ठ पत्रकार )

राची, झारखण्ड  | फरवरी | 07, 2023 ::  गीतों में मन की शांति के बजाय तन की प्यास के शोर के बीच आज भी सुर साम्राज्ञी लता मंगेश्कर भारत ही नहीं विश्व के अनेक देशों के लिए एक सुरीला नाम है जिनकी पहचान उनके भावपूर्ण गीतों से हमेशा होती रहेगी. लता जी ने 40 के दशक में गाना शुरू कर दिया था. 13 साल की उम्र में परिवार को आर्थिक सहायता देने के लिए गायन में करियर शुरू करने वाली लता जी को पिता के असमय निधन के बाद घर संभालना पड़ा था. 2010 तक उन्होंने बॉलीवुड में गाने गाए थे. लता मंगेशकर ने 70 साल बॉलीवुड को अपने ऐसे सदाबहार गाने दिए जो उन्हें अमर बनाते हैं.
किसी भी खुशी में, गम में , देशभक्ति की भावना से चंद मिनटों में लोगों को भाव विभोर करने वाले लता जी के गाने सिर्फ सुने नहीं जाते, गुनगुनाए जाते हैं और आज की भी युवा पीढ़ी उन गानों को की धुनों पर थिरकती है ,सिसकती है और उन्हें याद करती है.
दरअसल लता जी सिर्फ गाती नहीं थीं गानों में भाव भर देती थी और हर गाने को ऐसे अद्वितीय अंदाज में गाती थीं कि सुनने वाले कह उठते थे कि ऐसा कोई दूसरा नहीं गा सकता .उनके गाने दिलों को छू जाते थे और एक एक शब्द ऐसे लगते थे जैसे कोई दूसरी दुनिया में कुछ देर के लिए ले जाया जा रहा हो .लग जा गले कि फिर ये हसीं रात हो न हो सुनकर आज भी ऐसा लगता है जैसे एक एक पल अनमोल हो गए हों. ऐ मेरे वतन के लोगों जरा आंख में भर लो पानी जो शहीद हुए हैं उनकी …किसने न सुनी होगी और आंखें नम न हुई होंगी.खुशी खुशी कर दो विदा कि रानी बेटी राज करेगी सुनकर कौन भाई या पिता भावुक न हुआ होगा. तू कितनी अच्छी है कितनी सुंदर है ए मां,प्यार किया तो डरना क्या, दुनिया में हम आए हैं तो जीना ही पड़ेगा जैसे अनगिनत गाने हैं जो कालजयी हैं और हर रेडियो से या यू ट्यूब पर आज भी बार बार चलते हैं.
इन गानों की अमरता और लोकप्रियता का बड़ा कारण उनकी स्वर कोकिला का स्वर ही मात्र नहीं था वरन वे भाव थे जो दिल की गहराइयों तक को झंकृत कर देते थे.गानों के चयन में भी सिर्फ पैसों को नहीं मूल्यों को प्राथमिकता देती थी.हजारों भद्दे और द्विअर्थी गानों को गाने से मना कर दिया था जबकि आज के व्यावसायिक युग में अनेक नामचीन कलाकार ऐसा नहीं करते और विज्ञापन से लेकर फूहड़ गानों में स्वर देते हैं. संभवतः इसी लिए उनके प्रशंसक उन्हें लता जी तो प्रधान मंत्री मोदी दीदी और सचिन लता ताई बोलकर उनके प्रति श्रद्धा व्यक्त करते हैं.सच्चे अर्थों में भारत रत्न थीं .

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