Breaking News Latest News आलेख़ कैंपस झारखण्ड

स्वर योग द्वारा होता हैं शक्तियों का जागरण : डॉ परिणीता सिंह

 

* स्वर के माध्यम से मनुष्य आत्मसाक्षात्कार की अवस्था को भी प्राप्त कर सकता ।
* स्वरों का संतुलन योग के अनेक पद्धतियों द्वारा किया जा सकता है |
* तीन विशेष प्राणायाम जो शरीर मे प्रतिरोधक क्षमता  एवं आत्मबल को बढ़ाता है, वो हैं – भस्त्रिका, नाड़ी शोधन एवं भ्रामरी ।

– डॉ परिणीता सिंह

रांची, झारखण्ड  ,| जून  | 21, 2021 ::
स्वर योग एक वृहद विज्ञान है । प्रत्येक व्यक्ति में भिन्नता श्वसन प्रक्रिया के अनुसार पाई जाती है ।
इन स्वरों में परिवर्तन कर के रोगों से मुक्ति या स्वस्थ शरीर को ही प्राप्त नहीं कर सकते, वरन्  यह हमारे सूक्ष्म शरीर में स्थित शक्तियों को भी जगाने का कार्य करती हैं।
स्वर के माध्यम से मनुष्य आत्मसाक्षात्कार की अवस्था को भी प्राप्त कर सकता ।
यह स्वर हमारे दायीं एवं बायीं नासिका से प्रवाहित होने वाली प्राणशक्ति है ।
दाईं नासिका को सूर्य नाड़ी एवं बाईं नासिका को चंद्र नाड़ी कहते हैं ।
यह दोनों नाडिया हमारे मस्तिष्क  के दोनों गोलार्द्ध पर प्रभाव डालती हैं।
हमारा दाहिना गोलार्द्ध समग्र सोच, रचनात्मक, कल्पना, अनुभूति,  अन्तर्ज्ञान  के लिए तथा बायां गोलार्द्ध तर्कसंगत, तार्किक विश्लेषण, गणितीय संगणना के लिए उत्तरदायी है।
जब हम स्वर प्रभाव द्वारा अपने प्राण के प्रति सजग होते हैं तो यह प्राण मस्तिष्क की गोलार्द्ध के साथ संपूर्ण मस्तिष्क के कार्यप्रणाली पर प्रभाव डालता है ।
स्मरण शक्ति, संकल्प शक्ति, संचार, स्वशन केंद्र, भूख, प्यास, शरीर तापमान के अलावा अवचेतन एवं चेतन मन पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है ।

यह बदलाव मनुष्य के तीनों शरीर ( स्थूल, सूक्ष्म एवं कारण ) पर पड़ता है । जिस कारण मस्तिष्क का निष्क्रिय भाग पर भी प्राण का प्रभाव होने लगता है। प्राण प्रभाव इन भागों के प्रति चेतना को जागृत करता है।

इन स्वरों का संतुलन योग के अनेक पद्धतियों द्वारा किया जा सकता है, परंतु प्राणायाम सबसे सुगम मार्ग है ।
विभिन्न प्रकार के प्राणायाम द्वारा इन्हीं सूर्य एवं चंद्र को संतुलित किया जाता है ।
यह मस्तिष्क में शांति एवं स्थिरता के साथ पंचप्राण को भी व्यवस्थित करता है ।
तीन विशेष प्राणायाम जो शरीर को स्वस्थ शरीर के साथ प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है, वो हैं – भस्त्रिका, नाड़ी शोधन एवं भ्रामरी ।
यह तीनों प्राणायाम शरीर के सूक्ष्म स्तर पर परिवर्तन लाता है। जो स्थूल शरीर द्वारा परिलक्षित होता है ।

भस्त्रिका प्राणायाम द्वारा वात, पित्त और कफ को शरीर में संतुलित किया जाता है जो शरीर को आंतरिक दृढ़ता प्रदान करता है ।
नाड़ी शोधन प्रणाम जिसमें लंबी गहरी श्वास ली जाती है और छोड़ी जाती है, जो रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ाता है ।यह अभ्यास शुद्धीकरण का भी काम करता है

भ्रामरी प्राणायाम द्वारा मस्तिष्क को शांत एवं एकाग्र बनाया जाता है ।
शरीर के अंदर स्रावित होने वाले हारमोंस का स्त्राव भी अच्छे से होता है, जो मनुष्य की मनोदशा, विचारों एवं जीवनी शक्ति में सकारात्मकता लाता है।

डॉ परिणीता सिंह
गेस्ट फैकल्टी :  स्कूल ऑफ योग, रांची यूनिवर्सिटी, रांची
वाइस प्रेसिडेंट :  इंडियन योग एसोसिएशन
डायरेक्टर : डिवाइन योगा अकेडमी
Email :: parinitasingh70@gmail.com

Leave a Reply