आलेख़

मानसून में बारिश के पानी का संरक्षण करें।: गुड़िया झा

रांची , झारखण्ड | जून | 15, 2020 :: बहुत जल्द ही झारखंड में भी मानसून के दस्तक देने की सम्भावना बन रही है। इस भीषण गर्मी से लोगों को बहुत राहत मिलेगी। मानसून के बारिश की बात ही कुछ अलग है। हो भी न क्यों?
प्रकृति समय समय पर सुंदर वातावरण से चारो तरफ हमेशा हमें कुछ न कुछ प्रदान करती आयी है। बारिश का पानी भी उनमें से एक है। इसकी एक एक बूंदो को यदि हम अच्छी तरह से संरक्षण कर रखें, तो गर्मियों में होने वाली पानी की दिक्कतों का हमें सामना नहीं करना पड़ेगा। बारिश का पानी हमारे घर की छतों या अन्य जगहों से होते हुए नाली में चला जाता है जिससे उसकी कोई उपयोगिता नहीं होती है। हम चाहें, तो हमारे घर के छत के ऊपरी या आस पास जो पानी जमा हो जाते हैं उन्हें किसी पाइप के द्वारा वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के माध्यम से संरक्षित कर आने वाले कल के लिए सुरक्षित रखना चाहिए। इससे हम अपने आस पास बागवानी के शौक को भी पूरा सकते हैं।
यदि हर घर में ऐसी ही व्यवस्था हो, तो किसी को भी गर्मियों के दिनों में पानी के लिए इधर उधर भटकना नहीं पड़ेगा और जरूरत पड़ने पर हम किसी की मदद भी कर सकते हैं।
बारिश के पानी से ही खेतों में अच्छी फसलें होती हैं। इसका सीधा फायदा उन किसानों को भी होता है जो बड़ी ही मेहनत से अपने खेतों को सिचते हैं।बारिश के कारण उनके फसलों की पैदावार अच्छी होती है, तो उनके द्वारा उपजाये गये फसलों को बाजारों में भी अच्छे दाम मिलने के कारण किसानों को आर्थिक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ता है। उनकी आर्थिक स्थिति अच्छी बनी रहे इसके लिए यह आवश्यक है कि खेतों के आस पास भी डोभा का निर्माण किया जाये। डोभा में बारिश के पानी को एकत्रित कर उन दिनों के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है, जब आने वाले दिनों में भीषण गर्मी के कारण किसानों को अपने खेतों को सिचने के लिए पानी का अभाव नहीं झेलना पड़ेगा। ऐसे दिनों में डोभा में जमा पानी से बहुत ही राहत मिलती है।
ऐसे ही छोटे छोटे कदमों को उठाने से ही बड़े बड़े कार्यों को अंजाम दिया जा सकता है। हमारे द्वारा जल संरक्षण की छोटी छोटी विधियों को अपनाकर ही देश हित में बड़े बड़े कार्य किये जा सकते हैं।
हमारा देश आगे बढ़े और किसानों को भी अपनी फसलों के उचित मूल्य मिले जिससे उनकी आर्थिक समस्या का समाधान हो सके, तो हमें देश हित में ये कदम उठाने ही होंगे। जल ही जीवन है। इसके बिना मानव या अन्य जीवों की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। फिर हम तो इसी देश और समाज में रहते हैं। ऐसे में हमारा यह कर्तव्य बनता है कि हम प्रकृति से प्राप्त संसाधनों को सहेज कर आने वाले कल के लिए सुरक्षित रखें। इस काम के लिए सभी को जागरूक होना पड़ेगा। जागरूकता ही किसी भी समस्या का समाधान है। थोड़े से जागरूक होने से हमें भविष्य में होने वाली परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

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