नई दिल्ली | अक्तूबर | 03, 2017 :: भारत सरकार के पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्रालय और एन यू आई जे के संयुक्त तत्वावधान में दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में मीडिया वर्कशॉप का आयोजन किया ।
कार्यशाला के दूसरे सत्र में वरिष्ठ पत्रकार पद्मश्री आलोक मेहता ने ऐसे आयोजनों को एक सकारात्मक पहल बताया। उन्होंने कहा कि अब भी दिल्ली से अच्छी पत्रकारिता दूरदराज के ग्रामीण इलाकों में हो रही है जहां के पत्रकार कठिन चुनौतियों के बीच में ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
उज्ज्वला योजना जैसी जन कल्याणकारी योजनाओं में अच्छा क्या है इसे ढूंढने में सकारात्मक पहल हो, यह इस कार्यशाला के मकसद का महत्वपूर्ण अंग है। इसलिए कार्यशाला के बाद उस में उल्लेखित होने वाले महत्वपूर्ण बिंदुओं की तरफ प्रधानमंत्री, विभागीय मंत्री एवं विभाग को सुझाव भेजें। आज के जमाने में अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रधानमंत्री कार्यालय खुद इन सूचनाओं पर विचार किया करता है। इस क्रम में उन्होंने इस बात का उल्लेख किया किस केंद्र सरकार के विज्ञापनों के 60% हिस्सा दिल्ली के दो बड़े संस्थानों को दे दिए जाते हैं और 40% में देश के अन्य संसाधनों को विज्ञापन मिलता है। इस दौर में सरकार को यह सुझाव देना चाहिए छोटे आकार एवं वेबसाइटों को भी बेहतर ढंग से काम करने के लिए अच्छे विज्ञापन मिले। उन्होंने पत्रकारों को स्मरण दिलाया कि पत्रकारिता पेशे में वे सभी लोगों को जागरूक करने आये हैं।
जेयूजे के प्रदेश अध्यक्ष रजत कुमार गुप्ता ने उज्ज्वला योजना एवं ग्रामीण पत्रकारिता के विषय पर अपने विचार रखे। उन्होंने उज्ज्वला योजना को भारतीय संविधान की समाजवादी सोच के अनुकूल बताया और कहा कि कम से कम इस योजना के बारे में सरकार का कोई विरोधी यह आरोप नहीं लगा सकता कि यह अमीरों के लिए लाई गई योजना है। क्योंकि उज्ज्वला योजना से किसी करोड़पति को नहीं बल्कि गांव की गरीब महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक लाभ हुआ है। इस योजना से मानव श्रम दिवस और उस अनुपात में पैसे की राष्ट्रीय बचत हुई है। इसके प्रति सरकार की सराहना की जानी चाहिए। गैस सिलिंडरों की आपूर्ति में जो खामियां हैं, उसके प्रति भी सरकार का ध्यान आकृष्ट किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस योजना को नैतिक समर्थन देना हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी बनती है। साथ ही इसे लागू करने में जो खामियां हैं, इससे अवगत कराना भी हम पत्रकारों की जिम्मेदारी है। इसके अलावा उन्होंने ग्रामीण पत्रकारिता उसकी चुनौतियां और वर्तमान संसाधनों से उस पर पढ़ रहे कुप्रभाव के बारे में भी प्रकाश डाला। इसके अलावा बिहार से राकेश प्रवीर, चंडीगढ़ से अवतार सिंह, आंध्र से पेल्वि सेलम, तेलंगाना से राधा चोटरानी, महाराष्ट्र से शिल्पा देशपांडे ने भी विचार व्यक्त किये।
रिपोर्ट : धीरेन्द्र चौबे
फोटो : जगदीश सिंह