Breaking News Latest News ख़बरें जरा हटके राष्ट्रीय लाइफस्टाइल

छत्तरपुर : पंच दिवसीय आध्यात्मिक अनुष्ठान के दिन जुटे हजारों श्रद्धालु

शासनमाता ने साधना, सेवा और वत्सलता से किया प्रभावित: आचार्य महाश्रमण

पंच दिवसीय आध्यात्मिक अनुष्ठान के दिन जुटे हजारों श्रद्धालु

चतुर्विध धर्मसंघ ने शासनमाता के प्रति समर्पित की श्रद्धांजलि

21.03.2022, सोमवार, अध्यात्म साधना केन्द्र, छत्तरपुर (दिल्ली)
जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ की शासनमाता, संघ महानिदेशिका, महाश्रमणी, असाधारण साध्वीप्रमुखा जैसे अनेकों अलंकरणों से विभूषित, तीन-तीन आचार्यों से प्राप्त ऊर्जा की चैतन्य रश्मि साध्वीप्रमुखाश्री कनकप्रभाजी के महाप्रयाण के उपरान्त जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के वर्तमान अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी द्वारा पंच दिवसीय आध्यात्मिक अनुष्ठान के पांचवें दिन सोमवार को भी छत्तरपुर स्थित अध्यात्म साधना केन्द्र के वर्धमान समवसरण में चतुर्विध धर्मसंघ ने अपने आराध्य के समक्ष अपनी शासनमाता के प्रति अपनी विनम्र श्रद्धाजंलि समर्पित की। हर कोई शासनमाता के व्यक्तित्व और कर्तृत्व को शब्दों में बांधना चाह रहा था, लेकिन इतना विराट व्यक्तित्व हर किसी के शब्द सीमा से परे ही रहीं।

सोमवार को आचार्यश्री के महामंत्रोच्चार के साथ प्रारम्भ हुए कार्यक्रम में समुपस्थित चतुर्विध धर्मसंघ को युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी ने पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि कर्मवाद आध्यात्मिक जगत का एक सिद्धांत है। यह अध्यात्म की दुनिया का सशक्त स्तम्भ है। आत्मवाद जैन दर्शन का महत्त्वपूर्ण सिद्धांत है। आत्मा जैसा कर्म करती है, उसका वैसा फल भोगती है। कर्मवाद और आत्मवाद आपस में अभिन्न रूप से जुड़े हुए हैं। जैन दर्शन में लोकवाद का भी सिद्धांत है। इस प्रकार जैन दर्शन के अनेक सिद्धांत हैं।

आदमी कर्मवाद को जाने की आदमी जैसी करनी होती है, वैसी ही भरनी होती है। आदमी जैसा कर्म करता है, उसे उस कर्म का वैसा ही फल प्राप्त होता है। कर्म एक ऐसा न्यायाधीश है तो निष्पक्ष होता है। जो कर्म किया है, उसका फल तो भोगना ही होगा। देर हो सकती है, किन्तु अंधेर नहीं होता। जैन दर्शन में आठ कर्म बताए गए हैं। 17 मार्च 2022 को 81वें वर्ष की अवस्था में साध्वीप्रमुखाश्रीजी का महाप्रयाण हो गया। साध्वीप्रमुखा पद पर उनका सर्वाधिक काल रहा। लगभग पचास वर्षों तक उन्होंने धर्मसंघ को साध्वीप्रमुखा के रूप में अपनी सेवाएं दीं। उनका मति और श्रुत ज्ञानावरणीय कर्म का अच्छा क्षयोपशम रहा। उनकी प्रतिभा, लेखन शैली, स्मरण शक्ति विशिष्ट थी। मोहनीय कर्म का क्षयोपशम था तो वे साधना के पथ पर आगे बढ़ी थीं। उनका नाम-गोत्र कर्म भी अच्छा था। उन्हें अच्छा आयुष्य प्राप्त हुआ। उनके प्रति साध्वियों में ही नहीं, संत समुदाय और श्रावक-श्राविकाओं में भी अच्छी श्रद्धा की भावना देखने को मिलती थी। आज पंच दिवसीय आध्यात्मिक अनुष्ठान का अंतिम दिन है। मैं उनके प्रति आध्यात्मिक मंगलकामना करता हूं।

आचार्यश्री के मंगल प्रवचन के उपरान्त प्रारम्भ हुआ चतुर्विध धर्मसंघ की अभिव्यक्ति रूपी श्रद्धांजलि का क्रम जो दोपहर लगभग दो बजे तक चलता रहा। इस क्रम में साध्वी चित्रलेखाजी, साध्वी विभाश्रीजी, साध्वी शुभ्रयशाजी, साध्वी शुभप्रभाजी, साध्वी शशिप्रभाजी, साध्वी चारित्रयशाजी, साध्वी ऋद्धिप्रभाजी, साध्वी तन्मयप्रभाजी, साध्वी संभवश्रीजी, साध्वी आरोग्यश्रीजी, साध्वी विशालप्रभाजी, साध्वी मैत्रीयशाजी, साध्वी मलययशाजी, साध्वी वैभवप्रभाजी, साध्वी आस्थाप्रभाजी, साध्वी मन्दारयशाजी, साध्वी चेतनप्रभाजी, साध्वी मोक्षप्रभाजी, मुनि अनुशासनकुमारजी, मुनि आकाशकुमारजी, मुनि अमनकुमारजी, मुनि नमनकुमारजी, मुनि पार्श्वकुमारजी, मुनि खुशकुमारजी, मुनि सुधांशुकुमारजी, समणी सुमनप्रज्ञाजी, समणी कमलप्रज्ञाजी, समणी अक्षयप्रज्ञाजी, समणी भावितप्रज्ञाजी, समणी मंजुप्रज्ञाजी, समणी निर्मलप्रज्ञाजी, समणी सन्मतिप्रज्ञाजी आदि ने पृथक्-पृथक् माध्यमों से श्रद्धांजलि अर्पित की। श्री आद्य कात्यायनी शक्तिपीठ मंदिर के संतश्री सखीबाबाजी, विकास परिषद के संयोजक श्री मांगीलाल सेठिया, महासभा के उपाध्यक्ष श्री संजय खटेड़, भारत सरकार की ओर से डॉ. कुसुम लुणिया ,तेरापंथी सभा लाडनूं के श्री संपतमल डागा, तेरापंथ महिला मंडल-लाडनूं प्रीति घोषल, नगर परिषद लाडनूं की ओर से श्री राकेश नाहटा, श्री लक्ष्मीपत बोथरा, श्री बनेचंद मालू, तेरापंथी सभा मानसरोवर गार्डन के अध्यक्ष श्री कमल खटेड़, शालीमारबाग के अध्यक्ष श्री प्रवीण बैंगवानी, गुरुग्राम के अध्यक्ष श्री प्रकाश जैन, फरीदाबाद के अध्यक्ष श्री रोशनलाल बोरड़, नोएडा के अध्यक्ष श्री रणधीर बैद, ओसवाल सभा शहादरा के अध्यक्ष श्री बाबूलाल दूगड़, अग्रवाल मित्र परिषद के श्री गिरीश जैन, पीतमपुरा सभा के पूर्व अध्यक्ष श्री प्रवीण जैन, अखिल भारतीय महिला मण्डल की महामंत्री श्री मधु देरासरिया, डॉ. सुश्री माणक कोठारी, सुश्री कमला कुमारी कठोतिया, गांधीनगर सभा के मंत्री श्री महेन्द्रकुमार श्यामसुखा सहित अनेकानेक लोगों ने भी अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।

Leave a Reply