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ओड़िशा सहित पूर्वी भारत के लिए सुखद संकेत है रघुवर दास का गवर्नर बनना :: महेश पोद्दार, निवर्तमान राज्यसभा सदस्य

राची, झारखण्ड | अक्टूबर | 30, 2023 ::

किसी भी देश, राज्य और समाज के लिए कुछ अवसर अप्रत्याशित रूप से भी आते हैं।
कई बार एक कदम के कारण कई अन्य कदमों के रास्ते भी खुल जाते हैं।
रघुवर दास को ओड़िशा का राज्यपाल बनाया जाना ऐसा ही एक सुखद भविष्य का संकेत है।
यह महज एक राज्य के लिए नहीं बल्कि पूरे पूर्वी भारत के विकास की उलझनें सुलझाने वाला अवसर है।

यह सच है कि हाल के वर्षों में ओड़िशा ने तीव्रगति से विकास की दिशा में कारगर कदम उठाने वाले एक प्रगतिशील राज्य के बतौर गंभीर छवि बनाने में सफलता हासिल की है।
यह भी प्रसन्नता का विषय है कि इस प्रदेश ने राजनीतिक स्थिरता का शानदार उदाहरण प्रस्तुत करके विकास की अपनी अदम्य इच्छाशक्ति का शानदार परिचय दिया है।
यह राजनीतिक स्थिरता महज राज्य सरकार का कार्यकाल पूरा होने तक सीमित नहीं बल्कि अनावश्यक राजनीतिक विवादों से परहेज के रूप में भी देखी जा सकती है।

इसके बावजूद पूर्वी भारत के कुछ अन्य राज्यों की तरह ओड़िशा भी विकास की चुनौतियों से लगातार जूझ रहा है। भुखमरी के लिए दुनिया भर में चिंता का विषय बना कालाहांडी इलाका भी इसी प्रदेश में है। औद्योगिकीकरण और नगरीकरण की तीव्र होती गति के साथ विस्थापन और पलायन का शिकार आबादी का पुनर्स्थापन भी एक चुनौती है। ग्रामीण इलाकों से रोजगार की तलाश में अन्य राज्यों की ओर पलायन करती प्रवासी आबादी को स्थानीय तौर पर बेहतर विकल्प उपलब्ध कराना भी एक महत्वपूर्ण कार्यभार है।

प्रधनमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए पूर्वी राज्यों का समग्र विकास सदैव एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय रहा है। संभव है कि रघुवर दास को ओड़िशा का राज्यपाल बनाने के पीछे यह दूरदर्शी सोच काम कर रही हो। रघुवर दास को एक तीव्र गति से विकास की दिशा में अग्रसर और निर्णय लेने की क्षमता रखने वाले दृढ़ इच्छाशक्ति संपन्न राजनेता के बतौर जाना जाता है। झारखंड बनने के बाद राजनीतिक अस्थिरता के लंबे दौर को परास्त करते पहली बार उन्होंने बतौर मुख्यमंत्री पांच साल का कार्यकाल पूरा करके एक खास मुकाम हासिल किया। लंबे अरसे से विवाद में पड़े अनगिनत नीतिगत मामलों पर तीव्रगति से ठोस निर्णय लेकर उन्होंने झारखंड को पॉलिसी संबंधी संकट से निजात दिलाई। पहली बार देश भर के बड़े उद्यमियों को आमंत्रित करके निवेश का अवसर दिया। किसानों तथा अन्य वर्गों के लिए भी उनके कई कदम यादगार समझे जाते हैं।

ऐसे विकासोन्मुख राज्यपाल के जरिए पूर्वी राज्यों को एक नया संकेत देना संभव हो सका, तो विकास के रास्ते खुल जाएंगे। यह कटु सत्य है कि लंबे अरसे से कतिपय राज्यों में केंद्र-राज्य के संबंधों को लेकर कई प्रकार की कटुता सामने आती रही है। इसका विकास की दशा-दिशा पर भी प्रतिकूल असर होता है। लेकिन रघुवर दास जैसे विकासोन्मुख राज्यपाल से निश्चय ही सामंजस्य के रास्ते खुलेंगे।

ओड़िशा की सीमाएं काफी दूर तक झारखंड से मिलती हैं और दोनों राज्यों की सामाजिक सांस्कृतिक विरासतें भी कई रूप से मिलती जुलती हैं। राउरकेला में अमर शहीद बिरसा मुंडा की विशाल प्रतिमा दोनों राज्यों की साझा विरासत का एक जीवंत संकेत है। झारखंड में अपनी नेतृत्व क्षमता का लोहा मनवाने के बाद अब ओड़िशा सहित पूर्वी राज्यों के विकास की नई गाथा लिखने की दिशा में रघुवर दास के भावी कदमों का इंतजार करें। साथ ही उन्हें शुभकामनाएं दें ताकि इन संभावनाओं को साकार किया जा सके।

 

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