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तर्पण की विधि :: पँ रामदेव पाण्डेय

तर्पण की विधि
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पुत्र-पुत्री दोनों कर सकते हैं तर्पण
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जरूरी सामान
जौ , तिल, सफेद फूल, अरवा चावल, कुशा, गँगाजल
महिलाएं सिर्फ सफेद फूल, गँगाजल और जल का प्रयोग करेंगी।
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स्‍वच्‍छ बड़ा पीतल के बर्तन में स्‍वच्‍छ पानी ले लें
एक हाथ में जौ , तिल, सफेद फूल, अरवा चावल रख लें, फिर दोनों ह‍थेलियों को एक साथ सटाकर बर्तन से पानी निकाल ले ,
देव तर्पण-
तीन बार सामने यानी पूरब की दिशा में जल अर्पण करेंगे। सबसे पहले तीन देवता के नाम पर। एक हाथ में जौ , तिल, सफेद फूल, अरवा चावल रख लें, इस बार दोनों ह‍थेलियों को सटाकर अगुलियो के आगे भाग से जल तर्पण करे , मसलन ब्रह्मा विष्‍णु महेश आदि को एक-एक बार जल अर्पण करेंगे। और देवता का नाम याद हो तो ले ले , और बोलते रहे –
ब्रह्मा तृपयन्ताम ,
विष्णु तृपयन्ताम ,
ऋषि तर्पण –
– इसके बाद एक बार फिर एक हाथ में जौ , तिल, सफेद फूल, अरवा चावल , गँगाजल रख लें, इस बार दोनों ह‍थेलियों को सटाकर बायीं हथेली के अंगूठा व तर्जनी की ओर से बांयी ओर गोत्र के ऋषि जैसे परासर ऋषि के नाम पर जल अर्पण करेंगे।
कश्यप तृपयन्ताम
वशिष्ठ …..
कोशिश ……..
पितर तर्पण
इसके बाद एक बार फिर एक हाथ में जौ , तिल, सफेद फूल, अरवा चावल गँगा जल रख लें, इस बार दोनों ह‍थेलियों को सटाकर दायीं हथेली के अंगूठा व तर्जनी की ओर से दायी ओर जल अर्पण करेंगे। इसमें सबसे पहले पिताजी, फिर दादा-दादी, फिर परदादा, फिर चाचा, फिर सास ससुर, फिर गुरुदेव के नाम पर एक-एक बार जल अर्पण करेंगे।
मम पिता …. तृपयन्ताम
……

पितर गायत्री बोले –
ओम देवताभ्यच ,पितृभ्यश्च ,महायोगिश्च भेवश्च ,
नम: स्वाहाः य स्वाधाय पितरमेव नमोस्तुते ,,

– अंत में एक बार फिर एक हाथ में जौ , तिल, सफेद फूल, अरवा चावल रख लें, पानी के बर्तन में हाथ डूबा सूर्य को जल अर्पण करेंगे।
भगवान सूर्य नारायणाय नम : , 3

इस तरह आज भादो पूर्णिमा से लेकर पिता के मृत्यु तिथि तक करे , ब्रह्माण, कोआ, कुता को भोजन कराए
पँ रामदेव पाण्डेय

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