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एक कदम जल संरक्षण की ओर : गुड़िया झा

एक कदम जल संरक्षण की ओर : गुड़िया झा

जैसा कि हम सभी यह जानते हैं कि फरवरी में ही गर्मी ने दस्तक दे दी है।शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक कई जगह बोरिंग, चापाकल,कुएं तथा अन्य जलस्त्रोत सूख रहे हैं।जबकि भीषण गर्मी अभी आना बाकी है।आने वाले समय में किसी को भी जल संकट का सामना नहीं करना पड़े, इसके लिए छोटी-छोटी लेकिन बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारियों को हासिल कर हम खुद के साथ दूसरों के लिए प्रेरणास्रोत बन सकते हैं।

1, आवश्यकतानुसार पानी का खर्च- एक पुरानी कहावत है कि बूंद-बूंद से ही तालाब भरता है।तो क्यों न हर एक बून्द को हम भी आगे के दिनों के लिए बचाकर रखें।कहने का आशय यह है कि इसकी शुरूआत हम अपने घर से प्रतिदिन की दिनचर्या में होने वाले पानी के कार्यों से थोडा-थोड़ा बचाकर करें।काम करने के दौरान पानी की जितनी जरूरत हो उतनी ही मात्रा में नल खोलें।बेहतर यही होगा कि बर्तन धोने के समय भी एक टब में पानी भरकर इस्तेमाल करें। ठीक यही बात चावल, दाल, साग-सब्जी और फलों को धोने के समय भी लागू होती है।सभी को अच्छी तरह से धोने के बाद उस पानी को एक बाल्टी में जमा कर घर में लगे हुए पौधों में डालें।इससे तो एक ओर जहां पौधों को पानी मिलेगा वहीं दूसरी ओर घर के भीतर ही पौधों के माध्यम से जमीन में पानी संरक्षित होता जायेगा जो आने वाले दिनों में हमारे लिए ही उपयोगी होगा।

2, वाटर हार्वेस्टिंग- वाटर हार्वेस्टिंग भीषण गर्मी में जल संकट से बचने के लिए एक कारगर उपाय है।यह जल संरक्षण का आधुनिक तरीका है।इससे बारिश में होने वाले जल का संरक्षण किया जाता है।घरों में इसे लगाने से भूमिगत जल रिचार्ज होता रहता है।पानी का स्तर बरकरार रहता है और जल संकट से राहत मिल सकती है।
शहर के कई हिस्से ड्राई जोन में हैं।जहां लोग हर साल जल संकट से जूझते हैं।इन इलाकों में रांची नगर निगम अपने टैंकरों को भेज कर पानी बंटवाता है।हर साल पानी की परेशानी झेलने के बावजूद जल संरक्षण के प्रति राजधानीवासियों की अनदेखी चिंता का विषय है।राजधानी में हर साल औसतन हजारों नये घर बन रहे हैं।लेकिन इनमें से ज्यादा घरों में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं लगाया जाता है।जाहिर है कि आने वाले समय में राजधानी का बड़ा हिस्सा लोगों की लापरवाही के कारण जल संकट की चपेट में आ सकता है।
हर घर और व्यवसायिक भवन में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाई जाए तो रांची के ड्राई जोन समेत कई क्षेत्रों में गर्मी में पानी की किल्लत नहीं होगी।

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