आलेख़

खुशी का जवाब नहीं

रांची, झारखण्ड | जुलाई | 16, 2020 :: खुश रहना अपने आप में एक बहुत बड़ी कला है। लेकिन आधुनिकता के इस युग में हम अपनी खुशियां कई प्रकार की चीजों में ढूंढते हैं। अपनी खुशियों को पाने के लिये दिन रात मेहनत भी करते हैं। अधिक पैसा, बंगला, गाड़ी और बहुत सी सुख सुविधाओं से सम्पन्न जीवन शैली पाने के लिये भागदौड़ करने का सिलसिला लगातार बढ़ते जाता है। सबकुछ पाने के बाद भी किसी न किसी चीज की कमी हमें महसूस होती ही है। उसे भी पाने के लिये हम लगातार प्रयासरत रहते है। सबकुछ पाने की लालसा में हम अपनी वास्तविक खुशियों से दूर होते चले जाते हैं।
जबकि अगर देखा जाये, तो हमारी अपनी वास्तविक खुशियां बाजारों में नहीं मिलती हैं।ये हमारे भीतर ही मौजूद हैं। बस जरूरत है गहराई से इसके बारे में सोचने की।

1, आवश्यक चीजों का होना।
हमारे जीवन में भोजन, वस्र, आवास, स्वास्थ और शिक्षा का महत्वपूर्ण स्थान है। भोजन के लिए भूख का होना जरूरी है, ना कि किसी पांच सितारा होटल के भोजन की। जिस वस्र से हमारे शरीर की शालीनता झलके और आराम मिले, ऐसे वस्र का होना हमारे लिये महत्वपूर्ण है। आवास से तात्पर्य यह है कि आवास छोटा हो या बड़ा इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।बस हमें अपने आवास में सुकून मिले।
स्वास्थ का भी हमारे जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। एक अच्छे स्वास्थ के आधार पर ही हम अपने जीवन को आनंदमय बना सकते हैं। अच्छे स्वास्थ्य के लिए पोषक तत्वों से भरपूर भोजन और व्यायाम के साथ अच्छी नींद का होना भी आवश्यक है।
शिक्षा से हमारा अभिप्राय यह है कि खुद की उन्नति के साथ साथ हम दूसरों को भी आगे लेकर बढ़ें।
इन सबके अलावा हमारे जीवन में जो भी कई प्रकार की जरूरतें हैं, वे हमारी असीमित इच्छाओं की देन हैं।

2, बाहरी दिखावे से बचें।
कई बार हम अपने आसपास कुछ ऐसे लोगों को भी देखते हैं, जो सभी संसाधनों से पूर्ण होते हैं। उन्हें देख कर हमारे मन में भी ये इच्छा होती है कि काश हम उन लोगों के जैसे होते। इन सब के अनुकूल यदि हम ये देखें कि हमारे पास जो भी साधन मौजूद हैं, उसी में हम आगे बढ़ें और अपनी प्रगति का मार्ग प्रशस्त करें। फिर तो हमारे भीतर की खुशियां अपने आप ही हमारे चेहरे पर दिखाई देंगी।
जब हम अपनी उर्जा को वास्तविक खुशियों से जोड़ कर देखेंगे, तो पायेंगे कि वे सभी खुशियां हमारे पास मौजूद हैं, जो हमारे जीवन के लिये जरूरी हैं।
जब भी कभी मन में हीन भावना आये कि हमारे पास सुविधाओं की कमी है, तो खुद से अलग उन लोगों के बारे में सोचें जिनके पास वो सुविधायें भी नहीं हैं, जो हमारे पास है। फिर वो लोग अपनी जिन्दगी को कितने खुशहाल तरीके से जीते हैं। पैसे से भौतिक सुख सुविधायें खरीदी जा सकती हैं, खुशियां नहीं।

गुड़िया झा।

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