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झारखंड सरकार के द्वारा यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार का शुभारंभ

 

रांची, झारखण्ड | फरवरी | 26, 2019 :: आजं प्रोजेक्ट भवन में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार का शुभारंभ किया गया । मुख्यमंत्री स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार की स्थापना झारखंड सरकार के द्वारा यूनिसेफ के तकनीकी सहयोग से किया गया है। इसके तहत उन स्कूलों की पहचान की जानी है, जहां पेयजल, स्वच्छता एवं साफ-सफाई की समुचित व्यवस्था है। यह अवार्ड प्रत्येक वर्ष 119 सरकारी स्कूलों को 39 संकेतकों के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में दिए जाएंगे, जैसे कि – स्कूलों में हैंडवाशिंग यूनिट की उपलब्धता, स्वच्छ पेयजल, मध्यान्ह भोजन के लिए शेड, सोक पिट, जल छाजन एवं कूड़ेदान की सुविधा। कुछ व्यवहार परिवर्तन संकेतकों को भी इसमें शामिल किया गया है, जैसे कि स्कूलों में प्रशिक्षित शिक्षकों तथा बाल संसद के सदस्यों द्वारा स्वच्छता के लिए उठाए कदम आदि। उपरोक्त संकेतकों के आधार पर स्कूलों का 5, 4 तथा 3 स्टार की रैंकिंग एवं ग्रेडिंग की जाएगी।

प्रतियोगिता में भाग लेने वाले स्कूलों की रेटिंग झारखंड स्वच्छ विद्यालय एप के द्वारा किया जाएगा, जो कि शिक्षा विभाग एवं यूनिसेफ के द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया जाएगा। स्कूल अपना नामांकन इस एप के माध्यम से 15 अप्रैल से 15 जून के बीच कर पाएंगे। प्रतियोगिता के विजेता की घोषणा 15 अक्टूबर को विश्व हाथ धुलाई दिवस के अवसर पर की जाएगी।

बच्चे अपने दिन का महत्वपूर्ण समय स्कूल में बिताते हैं, जहां स्वच्छता एवं पेयजल की समुचित व्यवस्था उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य तथा सम्मान को प्रभावित करता है, खासकर लड़कियों के लिए। स्कूलों में स्वच्छता की बेहतर हालत नहीं होने के कारण लड़कियों को अपना पढ़ाई छोड़ने के लिए बाध्य होना पड़ता है। असर 2018 रिपोर्ट के अनुसार, झारखंड के स्कूलों में स्वच्छता की स्थिति में सुधार हुआ है। वर्तमान में 94 प्रतिशत स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था है, जबकि देश की बात करें तो यह सिर्फ 88 प्रतिशत है। स्कूलों में जल, स्वच्छता एवं सफाई की सुविधा होने से एक स्वस्थ वातावरण का निर्माण होता है, जो कि बच्चे को बीमारी तथा स्कूल छुटने से बचाता है। यह स्वास्थ्य के साथ-साथ शिक्षण वातावरण के निर्माण की दिशा में पहला कदम है, जो कि शिक्षा एवं स्वास्थ्य दोनों को लाभ पहुंचाता है।

 

मानव संसाधन विकास मंत्री, डा. नीरा यादव ने कहा कि, ‘‘2018 में झारखंड के 2200 स्कूलों को स्वच्छ विद्यालय पुरस्कार के राष्ट्रीय मानक के अंतर्गत 4 स्टार एवं 5 स्टार श्रेणी में पुरस्कृत किया गया था। शिक्षा विभाग ने इस वित्तीय वर्ष में एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित कर 5000 स्कूलों को इस स्तर पर लाने हेतु कार्य कर रही है।’’

सरकार ने घरों में शौचालय निर्माण को प्राथमिकता दी है। जीवन के शुरूआती दिनों में ही स्वच्छता के अभ्यासों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु तथा स्कूलों में साफ-सफाई एवं शौचालय के उपयोग और रखरखाव हेतु सामाजिक व्यवहार परिवर्तन संचार प्रणाली को मजबूत करने की आवश्यकता है। इसिलिए यह महत्वपूर्ण है कि शिक्षकों, समुदाय के लोगों, स्कूल प्रबंधन समिति, बाल संसद तथा शिक्षा विभाग के कर्मचारियों का क्षमता संवर्द्धन किया जाए, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि लंबे समय तक के लिए शौचालयों के समुचित उपयोग एवं रखरखाव को सुनिश्चित किया जा सके।

यूनिसेफ झारखंड की प्रमुख, डा. मधुलिका जोनाथन कहती हैं, ‘‘अगले तीन सालों में यूनिसेफ उन स्कूलों पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा जो या तो रैंकिग में स्थान नहीं पा सके या 1-स्टार रैंक प्राप्त किया। ऐसे स्कूलों को राष्ट्रीय दिशा-निर्देशों के अनुरूप 3-स्टार श्रेणी में लाया जाएगा। यूनिसेफ, स्कूलों में स्वच्छता सुविधा को बेहतर बनाने के लिए क्षमता निर्माण, योजना एवं निगरानी कार्य में शिक्षा विभाग को अपना सहयोग प्रदान करेगा।’’

शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव, श्री ए पी सिंह ने कहा, ‘‘विभाग ने यूनिसेफ के सहयोग से पेयजल एवं स्वच्छता की बेहतर व्यवस्था वाले स्कूलों के लिए मानक संचालन प्रक्रिया तैयार की है, जो कि सभी स्कूलों के लिए एक उपयोगी दस्तावेज साबित होगा। सरकार प्राइवेट स्कूलों को भी इस प्रतियोगिता में आवेदन करने हेतु मंजूरी प्रदान कर सकती है, उनमें से 5 सर्वश्रेष्ठ प्राइवेट स्कूलों को 39 संकेतकों के आधार पर चयनित कर पुरस्कृत किया जाएगा।’’

कार्यक्रम के दौरान स्कूलों में अपनाए गए श्रेष्ठ स्वच्छता अभ्यासों पर आधारित सफलता की कहानियों को पुस्तिका के रूप में जारी किया गया, जो कि झारखंड के स्कूलों में पेयजल एवं स्वच्छता को लेकर अपनाए जाने वाले अच्छे अभ्यासों को रेखांकित करता है।

कार्यक्रम में श्रीमति पूनम श्रीवास्तव, संयुक्त निदेशक, नीति आयोग; श्री उमाशंकर सिंह, एसपीडी; श्री विनोद कुमार, निदेशक, प्राथमिक शिक्षा; जिला शिक्षा पदाधिकारीगण; जिला शिक्षा अधीक्षकों; शिक्षकों तथा स्कूल के छात्रों ने भाग लिया।

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