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महाशक्तियों का संगठित रूप है मां दुर्गा :: गुड़िया झा

महाशक्तियों का संगठित रूप है मां दुर्गा :: गुड़िया झा

हमारी भारतीय संस्कृति अपनी विशेषता के लिए ही पूरी दुनिया में मशहूर है। प्रत्येक संस्कृति हमें कुछ न कुछ संदेश देती है। संदेश भी ऐसी कि जिसमें संगठित होकर अपने साथ जनकल्याण की भावना समाहित होती है। नवरात्र भी उन्हीं में से एक है।
उदाहरण-दुर्गा सप्तशती के द्वितीय अध्याय में इसका बहुत ही खूबसूरत वर्णन किया गया है। जब दानवी बाधा से परेशान होकर अन्य देवताओं ने भगवान शंकर और विष्णु को अपनी पीड़ा बताई, तो देवताओं के शरीर से एक महान तेजपुंज उत्पन्न हुआ। वे सभी तेजपुंज मिलकर एक हो गये और वह एक नारी के रूप में परिवर्तित हो गया जिन्हें मां दुर्गा कहते हैं। दानवों का संहार करने के लिए भगवान शंकर ने उन्हें अपना शूल,विष्णु ने चक्र, वरूण देव ने शंख,अग्नि देव ने शक्ति, वायु ने धनुष तथा बाण से पूरित दो तरकस देवी को अर्पित किये।
देवराज इंद्र ने एक वज्र तथा एक घण्टा अर्पित किया। यमराज ने दंड, वरूण ने पाश, काल ने उन्हें अपनी चमचमाती हुई तलवार और ढाल दे डाला। सागर ने उन्हें सुंदर कमल पुष्प भेंट किये और हिमालय पर्वत ने उनकी सवारी के लिए सिंह तथा अनेकों प्रकार के रत्नादि भेंट किये। सम्पूर्ण पृथ्वी को धारण करने वाले नागहार शेष ने बहुमूल्य मणियों से विभूषित नागहार का उपहार दिया।
इतना ही नहीं जब देवी का दानवों के साथ युद्ध आरंभ हुआ तब भी सभी देवों की शक्तियां भी उस युद्ध में देवी का साथ देने के लिए आगे आईं। इसी प्रकार से जब मां दुर्गा ने दानवों का संहार शुरू किया, तो अपने स्वरूपों को विभिन्न भागों में विभाजित करके।
इससे हमें यह भी सीख मिलती है कि हम अपने जीवन में भी समस्या रूपी दानवों को भी संगठित होकर उसका मुकाबला कर सकते हैं।
श्रीदुर्गा सप्तशती में कवच का भी एक विशेष महत्व है। कई बार हम अपने स्वास्थ्य के लिए बहुत परेशान रहते हैं। मां भगवती के विभिन्न रूप की आराधना से हमारे शरीर के विभिन्न भागों की रक्षा होती हैं। इनकी आराधना से ही स्वास्थ्य लाभ, यश, कृति, विद्या, धन,सौभाग्य और कुल की रक्षा आदि सभी में यह बहुत ही उपयोगी है।

श्रीदुर्गा सप्तशती एक किताब ही नहीं, बल्कि जीवन की दशा को बदलने वाला एक मन्त्र पुन्ज है जिसका महत्व इसके नियमित पाठ ज्यादा स्पष्ट होता है। इसके नियमित पाठ से दैनिक जीवन में आने वाली बाधाएं भी छोटी नजर आती हैं और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

दुर्गा पूजा की तैयारी से ही हमें बहुत कुछ सीखने को मिलता है कि किस तरह सैकड़ों, हजारों की संख्या में लोग रातों को जाग कर पूजा पंडालों की तैयारी को अंतिम रूप देते हैं।
आज जो हमारे देश में समस्याएं हैं उनके लिए भी संगठन में रह कर ही उसे दूर किया जा सकता है।

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