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जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशन :: 6 महीनों में 1001 सेवाएं

रांची, झारखण्ड ।  अप्रैल | 28, 2018 :: जिस सफर की शुरुआत जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशन ने एक उम्मीद के साथ 5 नवंबर 2017 को 4 एंबुलेंस के साथ रिम्स में की थी! इस फाउंडेशन का उद्देश्य इंसानियत जिंदा रहेगी तभी जिंदा है हम यही सोच के साथ जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशन शुरुआत हुई |इस फाउंडेशन ने गरीब असहाय लोग को जो अपने मरीज और शव को घर ले जाने में असमर्थ रहते हैं उन लोगों को 100 किलोमीटर दूरी तक घर पहुंचाने का काम सम्मान के साथ करना था| शुरुआत में इस फाउंडेशन ने 100 किलोमीटर दूरी तक सेवा देने का कार्य किया मगर कुछ ऐसे भी गरीब असहाय लोग मिले जिनका घर हमारी दूरी से अधिक था जिसके लिए हमने 100 किलोमीटर दूरी से भी अधिक 400 -500 किलोमीटर दूरी तक सफर किया …इस फाउंडेशन ने कोलकाता, पूर्वी सिंहभूम ,दुमका ,बिहार ,आरा, गिरिडीह, बंगाल ,लखीसराय ,जपला, गोड्डा गढ़वा ,जामताड़ा ,धनबाद जैसे शहरों के गांव के जंगलों तक मरीजों और शवों को पहुंचाने का काम किया! एक गरीब मोची के बेटे को इलाज के लिए जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशन ने अपनी एंबुलेंस से कोलकाता स्थित हॉस्पिटल तक पहुंचाया वही जो जेल में सजा काट रहे कैदियों के शव को भी सम्मान के साथ उनके घरों तक पहुंचाने का काम जिंदगी मिलेगी दोबारा ने किया …साथ ही एक बच्ची के शव को जिंदगी मिलेगी दोबारा के एंबुलेंस से गढ़वा सम्मान के साथ घर तक पहुंचाया! एक अन्य केस में भी जो अपने बेटे के शव को ले जाने में असमर्थ थे उसके पास इतना भी पैसा नहीं था कि वह अपने शव को कफन भी दे सकते उसे जाना था बिहार मगर पैसे की कमी के कारण वह अपने शव को ले जाने में असमर्थ था जिंदगी मिलेगी दोबारा के बारे में जब उन्हें पता चला तो वह हमसे मदद मांगने आए तब कर्मचारियों ने अध्यक्ष अश्विनी राजगढ़िया से बात कर के उन्हें उनकी स्थिति बताई तब उनके आदेश पर एंबुलेंस सम्मान के साथ शव को उनके घर बिहार पहुंचाया !बहुत से ऐसे भी केस केस थे जिसमें मुश्किलों के बावजूद मरीजों और शवों को घर तक पहुंचाने का काम किया! ऐसे लोगों को भी हमने सेवा दिया जिनका इस दुनिया में कोई नहीं था वे लावारिस थें! ऐसे ही एक लावारिस मरीज को हमने रांची उर्दू लाइब्रेरी के पास से उठाकर बहुत सी मुश्किलों के बाद उसे रिम्स अस्पताल में भर्ती करवाया और उसे अखबारों में सुर्खियां बनी जिसके बाद जिसके बाद उनके परिजनों से मिलवाया और उसके इलाज के बाद उसे घर पहुंचाया इस फाउंडेशन से बहुत कोई खुश हुए और कुछ असामाजिक तत्वों ने बीच-बीच में कई मुश्किलें भी खड़ी कर दी मगर जिंदगी मिलेगी दोबारा के के सदस्यों ने इस मुश्किल का भी सामना किया! रिम्स में जगह को भी लेकर कुछ डॉक्टरों ने परेशानियां खड़ी कर दी जैसे पार्किंग की असुविधा कर दी! जगह की मांग करने के बावजूद गर्मी, बरसात और ठंडा में भी हमारे फाउंडेशन के कर्मचारी बाहर टेबल कुर्सी लगाकर सेवा करते रहे ! जगह की मांग करने पर भी रिम्स प्रबंधक ने जगह नहीं दिया! इन सब कारणों के बावजूद जिंदगी मिलेगी दोबारा ने इन 6 महीनों में 1001 मरीजों और शवों को घर तक पहुंचाने का काम किया ! इस संस्था के सदस्य अध्यक्ष अश्विनी राजगढ़िया, सचिव जेपी सिंघानिया, आलोक अग्रवाल, अरविंद मंगल, हर्षवर्धन बजाज, कुणाल बोरा, निखिल केडिया ,रमन साबू ,साकेत शराफ, सचिन सिंघानिया, सौरभ मोदी ,विक्रम साबु , विपुल अग्रवाल , विनीत अग्रवाल, विवेक बागला ने जिस सोच के साथ इस फाउंडेशन की शुरुआत की थी वह अपने लक्ष्य मे सफल रहा और आगे भी या फाउंडेशन लोगों की मदद के लिए भी हमेशा तैयार रहेगा इस फाउंडेशन में काम कर रहे हैं एंबुलेंस ड्राइवर और कर्मचारियों की भी भूमिका रही है उन्होंने इस फाउंडेशन में अपनी पूरी लगन और मेहनत के साथ लोगों की सेवा की है! हमने टोटल 100000 किलोमीटर से भी अधिक दूरी तय की आज हमारे 1001 केस पूरे होने पर उन सभी लोगों को धन्यवाद देते हैं जो इस फाउंडेशन में अपना योगदान किए हैं…जिंदगी मिलेगी दोबारा फाउंडेशन के फ्री एंबुलेंस सर्विस के लिए और अधिक जानकारी के लिए 9709500007 नंबर में संपर्क करें

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