रांची, झारखण्ड । सितम्बर | 08, 2017 :: उपराष्ट्रपति माननीय वेंकैया नायडू ने कहा कि मुख्यमंत्री की अगुवाई में 2020 तक झारखण्ड पूर्ण साक्षर बनेगा। उन्होंने कहा कि मैं दक्षिण भारत का रहनेवाला हूं मुझे हिंदी नहीं आती थी लेकिन मैंने सीखने की ललक को नहीं छोड़ी। आज मैं हिंदी बोल और समझ सकता हूँ। यही लालसा हमसब में होनी चाहिये और निरक्षरता रूपी अंधेरे को साक्षर रूपी उजाले से रोशन करना है। शिक्षा आत्मनिर्भरता, सशक्तिकरण, शोषण, भ्रष्टाचार और अत्याचार से मुक्ति के लिए जरूरी है। शिक्षा के बगैर स्वयं एवं देश, राज्य और समाज का विकास संभव नहीं है। अगर हमें गरीबी, सामाजिक बुराईयों को दूर करना है तो हमें साक्षर होना होगा। यह कार्य सिर्फ सरकार के भरोसे संभव नहीं है इसके लिये आम लोगों को आगे आकर अपने दायित्वों का निर्वहन कर शिक्षा का अलख जगाना होगा। माननीय उपराष्ट्रपति शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर प्रभात तारा मैदान धुर्वा में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि देश की 20 प्रतिशत आबादी अनपढ़ है यह हमारे समक्ष चुनौती है। पहले भारत में विदेशों से लोग ज्ञान अर्जन करने आते थे भारत को विश्व गुरु माना जाता था। हमें भारत के विश्व गुरु होने के गौरव को वापस लाना है और देश को पूर्ण साक्षर बनाना है।
झारखण्ड सरकार के स्कूली शिक्षा विभाग द्वारा 32 लाख लोगों को साक्षर बनाया गया । 500 प्रखंड पूर्ण साक्षर बने यह महत्वपूर्ण है। राज्य सरकार ने भारत सरकार के संकल्प को पूरा करने का संकल्प लिया है और 2020 तक राज्य को पूर्ण साक्षर बनाने का संकल्प लिया है। अगर यह कार्य पूरा हुआ तो यह अद्भुत होगा। राज्य के मुख्यमंत्री ने साक्षरता अभियान को गति देने वालों को सम्मानित किया है। यह पवित्र कार्य है। यह अभिमान स्वाभिमान और सम्पूर्ण विकास के लिए है। ऐसे सम्मान समारोह से अन्य लोग प्रेरित होते है और देश हित मे कार्य करते है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि इस कार्यक्रम हेतु मैंने झारखण्ड आने की इच्छा जाहिर की थी। जिसे राज्य सरकार ने पूर्ण किया। जिन 32 लाख लोगों को विगत तीन वर्षों में साक्षर बनाया गया। उसमें 70 प्रतिशत महिलाओं की संख्या है यह महिला सशक्तिकरण का बड़ा उदाहरण है। महिलाओं को सम्मान देना देश की परंपरा रही है जिसका निर्वहन हो रहा है। नव साक्षर भाई बहन अपने आस पास रहने वालों को शिक्षा हेतु प्रेरित करें तभी उनका साक्षर होना सार्थक होगा और नई इंडिया और नई झारखण्ड का निर्माण हम कर सकेंगे। आदिवासी बहुल इस राज्य में जब तक सभी साक्षर नही होंगे विकास की परिकल्पना सार्थक नही होगी। साथ ही सबका संघ सबका विकास संभव नही होगा।
राज्यपाल श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि ज्ञान आधारित इस युग में शिक्षा जरूरी है इस निमित राज्य सरकार द्वारा लोगों को साक्षर करने हेतु कई योजनाएं संचालित हैं। आदिवासी बहुल इस राज्य में अनुसूचित जाति और जनजाति समुदाय का शिक्षित होना जरूरी है। पुरुष वर्ग तो साक्षर हो रहें हैं महिलाओं का साक्षर होना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। यह हमारे समक्ष चुनौती है जिसे हम सब की स्वीकार करना है। यह इसलिए भी जरुरी है क्योंकि अगर एक महिला साक्षर होगी तो पूरा परिवार साक्षर होगा। श्रीमती द्रौपदी ने कहा कि शिक्षा का कभी अंत नहीं होता। शिक्षित होकर हम राष्ट्र निर्माण में महती भूमिका अदा कर सकते हैं। ग्रामीण शिक्षा के लिये मुखिया, पंचायत प्रतिनिधि और स्वयं सेवी संस्था ईमानदारी से कार्य करें। श्रीमती मुर्मू ने कहा कि उप राष्ट्रपति की गरिमामय उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा बढ़ गयी है। भारत को सिर्फ शत प्रतिशत साक्षर में सिमित नहीं रहना है। सभी अधिकारी, जन प्रतिनिधि और युवा एक शिक्षक की भूमिका निभा सकते है।
मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर झारखण्ड की धरती पर उप राष्ट्रपति की उपस्थिति से राज्य गौरव महसूस कर रहा है। श्री नायडू जी उपराष्ट्रपति बनाने के बाद पहली बार झारखण्ड आये हैं, उनका राज्य की जनता की ओर से अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर स्वागत है। श्री दास ने कहा कि राज्य सरकार ने 1 हजार दिन में 32 लाख लोगों का साक्षर बनाया है। राज्य सरकार सम्पूर्ण झारखण्ड को साक्षर बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। विगत जनगणना में झारखण्ड की साक्षरता दर 66.41 है जिसमें पुरुष साक्षरता दर 76.84 और महिला साक्षरता दर 55.42 प्रतिशत है।यह आकंड़ा बताता है कि राज्य के समक्ष कितनी बड़ी चुनौती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखण्ड नारी शिक्षा की दृष्टि से अभी लक्ष्य हासिल करना है। आदिवासी समाज को भी शत प्रतिशत शिक्षा मिले इसके प्रयास हो रहे हैं। शिक्षा से ही झारखण्ड का विकास पूर्ण होगा। राज्यपाल महोदया कस्तूरबा गांधी स्कूल में जाकर शिक्षा हेतु बच्चियों प्रोत्साहित करती रहीं हैं जिससे बालिका शिक्षा में बढ़ावा मिला है।
श्री रघुवर दास ने कहा कि झारखण्ड को पूर्ण साक्षर बनाना है लेकिन यह सबकी जिम्मेदारी है। सरकार के संसाधन के साथ समाज के सभी लोग मिल कर एक दूसरे को पढ़ाने का काम करें। छुट्टी के दिनों में शिक्षित लोग अशिक्षित को पढ़ाएं। केरल में 100 प्रतिशत साक्षर है। क्या झारखण्ड में ऐसा नहीं हो सकता। सभी से आग्रह है कि शिक्षित लोग अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए अशिक्षित को शिक्षा दें। इसे अवसर के रूप में लेकर झारखण्ड के विकास को गति दें। माननीय प्रधानमंत्री के न्यू इंडिया का सपना जिसमें 2022 तक सब को साक्षर बनाना है। हमें 2020 तक झारखण्ड को पूर्ण साक्षर बनाने का संकल्प लेने की जरुरत है।
सभा को शिक्षा मंत्री श्रीमती नीरा यादव ने भी संबोधित किया।स्कूली शिक्षा सचिव श्रीमती आराधना पटनायक ने धन्यवाद ज्ञापन किया
कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री श्रीमती नीरा यादव, रांची सांसद रामटहल चौधरी, सांसद राज्यसभा महेश पोद्दार, हटिया विधायक नवीन जायसवाल, कांके विधायक जीतू चरण राम, मुख्य सचिव श्रीमती राजबाला वर्मा, शिक्षा सचिव श्रीमती आराधना पटनायक, मुख्यमंत्री के सचिव सुनिल कुमार बर्णवाल व अन्य उपस्थित थे।
अन्तर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस के अवसर पर राज्य के विभिन्न जिलों के सम्मानित होने वाले मुखिया में दुमका के जरमुंडी प्रखंड के मुखिया श्रीमती पूनम देवी लातेहार गारू प्रखंड के मुखिया श्रीमती शीला देवी रांची ओरमांझी प्रखंड के मुखिया श्रीमती मीना देवी पश्चिम सिंहभूम के मजगांव की मुखिया सुश्री तनुजा कुमारी इन गोवा बोकारो के पेटरवार प्रखंड के मुखिया श्रीमती रेखा सिंह थे।