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परिवार आधारित देखभाल कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए झारखंड में फोस्टर केयर एवं स्पांसरशिप दिशानिर्देशों को अधिसूचित किया गया

Jharkhand

रांची, झारखण्ड ।  मई | 08, 2018 :: एक बड़े कदम के रूप में परिवार आधारित देखभाल कार्यक्रम को बढ़ावा देने के लिए झारखंड में फोस्टर केयर एवं स्पांसरशिप दिशानिर्देशों को अधिसूचित किया गया है। झारखंड देश में पहला राज्य है, जहां प्रायोजन दिशानिर्देश है। इन दिशानिर्देशों को झारखंड सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग तथा झारखंड राज्य बाल संरक्षण सोसाइटी (जेसीसीपीएस) द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से आयोजित राज्यस्तरीय प्रसार एवं उन्मुखीकरण कार्यशाला के दौरान साझा किया गया।
संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार समझौता (1989) में इस बात का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि बच्चों का अपने घर में लालन-पालन प्राप्त करना सर्वोत्तम है। हालांकि, एक बच्चा जिसके पास अपना परिवार नहीं है या जो अपने परिवार से किसी कारण से अलग हो गया है या अपने परिवार से उसे खतरा है, इस स्थितियों में उसे विशेष संरक्षण और आवश्यक होने पर सहायता प्राप्त करने का अधिकार है, इसमें वैकल्पिक देखभाल प्राप्त करना भी शामिल है।
यूनिसेफ झारखंड की प्रमुख, डा. मधुलिका जोनाथन कहती हैं, ‘‘यूनिसेफ इस बात में विश्वास करता है कि बच्चों के लिए सुरक्षा की दृष्टि से सबसे उपयुक्त जगह उसका परिवार है। बच्चों एवं उसके परिवार के लिए एक सुरक्षित वातावरण तैयार करना महत्वपूर्ण है, जिसके लिए सरकारी प्रतिबद्धता अनिवार्य है। इसमें शामिल है, सरकार द्वारा सेवाओं और सहायता में निवेश करना, जिससे परिवारों को अपने बच्चों को घर पर रखने में मदद मिल सके। ऐसे मामलों में, जहां माता-पिता द्वारा देखभाल करने का कोई विकल्प नहीं है, बच्चों के लिए देखभाल की एक श्रृंखला उपलब्ध होनी चाहिए, इसमें शामिल है फाॅस्टर केयर, गोद लेना या आवासीय देखभाल। देखभाल की इनमें से कोई भी विकल्प बच्चे के सर्वोत्तम हित में होनी चाहिए। इसमें इस बात का ख्याल रखा जाना चाहिए कि बच्चे को कहां बेहतरीन देखभाल दिया जा सकता है, जो कि बच्चे के हरसंभव विकास को बढ़ावा देने वाला साबित हो। जेजे एक्ट 2016 तथा एकीकृत बाल संरक्षण योजना भी सांस्थानिक देखभाल/बच्चे को किसी संस्थान में रखने को अंतिम उपाय के रूप में देखता है तथा बच्चों के देखभाल के लिए पारिवारिक जिम्मेवारी एवं परिवार आधारित पुनर्वास तंत्र पर बल देता है।’’
महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव, श्री विनय कुमार चैबे ने कहा कि, ‘‘आज के कार्यक्रम का उद्देश्य राज्य फाॅस्टर केयर एवं स्पांसरशिप के बारे में जागरूकता पैदा करना तथा महत्वपूर्ण कर्तव्यधारकों को उनकी भूमिका तथा जिम्मेवारियों जैसा कि राज्य दिशानिर्देश में उल्लेखित है के बारे में उन्मुख करना हैै। हमने इस कार्यक्रम को लागू करने के लिए प्रमंडलीय कार्ययोजना विकसित करने की योजना बनाई है।’’
कार्यक्रम में श्री राजेश सिंह, डायरेक्टर आइसीपीएस; आरती कुजुर, चेयरमैन, जेएससीपीसीआर; समाज कल्याण विभाग तथा पंचायती राज विभाग के जिला स्तरीय अधिकारी, जिला बाल संरक्षण इकाई (डीसीपीयू), बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी), किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) और गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

 

फोस्टर केयर क्या है ?
फोस्टर केयर एक ऐसी व्यवस्था है, जहां एक बच्चे को परिवार के घरेलू माहौल में वैकल्पिक देखभाल के उद्देश्य से रखा जाता है। यह आमतौर पर एक अल्पकालिक या विस्तारित अवधि के लिए देखभाल और संरक्षण के उद्देश्य से असंबद्ध परिवार के सदस्यों के साथ रखा जाता है। परिवार या परिवार जैसा माहौल एक बच्चे के लिए काफी अनुकूल होता है और प्रत्येक बच्चे को इस तरह के वातावरण में पलने-बढ़ने का अधिकार है।

स्पांसरशिप क्या है ?
स्पांसरशिप कार्यक्रम कमजोर बच्चों के लिए एक परिवार आधारित देखभाल और संरक्षण कार्यक्रम है। स्पांसरशिप का मतलब बच्चे की चिकित्सा, शैक्षणिक और विकासात्मक आवश्यकताओं को पूरा करने और परिवार के अलगाव को रोकने के लिए जैविक या विस्तारित परिवारों को पूरक सहायता तथा वित्तीय एवं अन्य दूसरी सहायता का प्रावधान करना है।

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