आलेख़

मुश्किल नहीं गलत आदत छोड़ना : गुड़िया झा

मुश्किल नहीं गलत आदत छोड़ना।
गुड़िया झा।
ईश्वर ने हम सभी को बुद्धिमान बनाने के साथ-साथ भरपूर क्षमताओं से भी नवाजा है। यह बात अलग है कि कई बार हमें अपनी वास्तविक क्षमता का पता ही नहीं चलता है और हम गलत आदतों के शिकार हो जाते हैं। परिस्थितियां चाहे जो भी हों जब तक हम नहीं चाहेंगे कोई भी नकारात्मक ऊर्जा हमारे भीतर प्रवेश नहीं कर सकती है।
उदाहरण- एक समुद्री जहाज को ही लें। समुद्र में सफर करते समय हजारो लीटर पानी या अरबों गैलन पानी उस जहाज को तब तक डूबो नहीं सकता जब तक कि जहाज उस पानी को अपने भीतर आने ना दे।
ठीक उसी प्रकार जब तक हम नहीं चाहेंगे कोई भी वातावरण हमारे भीतर बुरी आदतों को पनपने नहीं देगी। लोग क्या सोचेंगे? कहीं कोई हमारा बुरा ना मान जाये? इन सब बातों के पीछे परेशान होना हमारा काम नहीं है। हमारा काम है केवल सच्चाई, मेहनत और ईमानदारी से अपना काम करना और सबके हित का ध्यान रखते हुए आगे बढ़ना। हां हमारी थोड़ी सी सजगता खुद के साथ-साथ दूसरों के लिए भी प्रेरणादायी बन सकती है।
1, मजबूत इच्छा शक्ति।
किसी भी गलत आदत को छोड़ने के लिए एक मजबूत इच्छा शक्ति का होना बहुत जरूरी है।
जैसे- छोटी-छोटी बातों पर ज्यादा गुस्सा होना। अपने गुस्से को कंट्रोल में करने के लिए सबसे अच्छा तरीका यह है कि कभी बैठ कर हम बिल्कुल शांत मन से सोचें कि क्या जब हम छोटी-छोटी बातों पर आक्रोशित होते हैं, तो इसमें सबसे ज्यादा नुकसान किसका है? जिस समस्या का समाधान बहुत ही आसानी से हो सकता है उस पर आक्रोशित होकर काम करना क्या हमारे लिए फायदेमंद है? गुस्सा होना बुरी बात नहीं है। लेकिन हमें यह जानना भी जरूरी है कि कहां पर हमें अपना गुस्सा जाहिर करना है और कहां पर नहीं। अपनी गलत आदतों के जिम्मेदार हम खुद ही होते हैं। इससे किसी दूसरे का नहीं बल्कि हमारा खुद का ही नुकसान होता है। जब हम इसके फायदे पर ध्यान देंगे तो सम्भवतः हमें अपनी आदतों में सुधार के अवसर भी दिखाई देंगे। बेहतर होगा कि अपनी परेशानियों के बारे में अपने परिवार वालों या अपने दोस्तों से खुलकर बातें करें। उससे हो सकता है कि हमें उन लोगों से काफी मदद भी मिले। अपनी हर छोटी कमी या अच्छी बात उनसे साझा करें ताकि हमें यह समझने में आसानी हो कि हम कितने सफल हुए हैं।
2, बदलाव की आदत।
अपनी जिन आदतों को हम छोड़ना चाहते हैं और जब उन्हीं के अनुकूल माहौल में रहते हैं, तो उन्हें छोड़ना मुश्किल हो जाता है।
जैसे- अपना वजन कम करने के इच्छुक व्यक्ति यदि घर में तमाम मीठी, तली-भुनी चीजें रखते हैं तो मन उन्हें खाने के लिए जरूर ही करेगा। ऐसे में अचानक से मीठा पूरी तरह से बंद करने में हमारा मानसिक तनाव बढ़ सकता है, साथ ही और ज्यादा मीठा खाने की इच्छा होगी। इसकी जगह अच्छा होगा कि हम छोटा लक्ष्य निर्धारित करें। जैसे कि यदि एक दिन में चार बार मीठे का सेवन करते हैं, तो शुरू के तीन दिन उसे घटा कर दो समय कर दें और फिर उसकी मात्रा घटाते हुए इसे धीरे-धीरे समाप्त कर दें। ऐसा करने से आपके जायके की मिठास भी कम नहीं होगी।
इसी प्रकार नशा करने वाला व्यक्ति वैसे ही लोगों के बीच उठता-बैठता रहेगा, तो अपनी आदतों से पीछा छुड़ाना थोड़ा मुश्किल है। नशा करने वाले लोगों के संपर्क से दूर रहने के कारण नशे की भी आदत अपने आप ही छूटेगी।
स्वयं के आकलन से हम समझ सकते हैं कि गलती कहां हो रही है। इसका सबसे प्रभावशाली तरीका है अपने आप से सवाल पूछना।
जैसे- कभी जब हम तनावपूर्ण स्थिति में होते हैं, तो बाहर निकल कर हमारा मन खरीददारी का करता है। तो रूक कर पहले खुद से सवाल करें कि अमुक वस्तु की जरूरत हमें है भी या नहीं।
इसके अलावा हम कुछ ऐसा काम कर सकते हैं जिससे हमें अच्छा लगे। जैसे- कहीं टहलने जाना, किसी से बातें करना आदि। इससे हम महसूस करेंगे कि धीरे-धीरे हमारा तनाव भी दूर होता है।
कहने का मतलब यह है कि कोई भी लत छोड़ना मुश्किल नहीं है, बस खुद में विश्वास होना चाहिए।

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