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बैंको की वैधानिक अंकेक्षण में रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की गाइडलाइन का अनुपालन महत्वपूर्ण – सीए केतन सैया

राची, झारखण्ड | मार्च | 22, 2024 ::

दी इंस्टिट्यूट ऑफ़ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ़ इंडिया की ऑडिटिंग एंड अस्सुरांस बोर्ड, नई दिल्ली के द्वारा बैंक ब्रांच ऑडिट पर  द काव्स, रांची में एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया।

इस सेमिनार को सम्बोधित करते हुए मुंबई के विशेषज्ञ सीए केतन सैया ने बताया कि बैंको कि वैधानिक अंकेक्षण एक दायित्वपूर्ण कार्य है और इसके लिए समय भी निश्चित रहता है जो काफी काम होता और उसी समय में हम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को बैंको कि पुरे वर्ष के लेन देन को देखना होता है इसके लिए लिए हमें सर्प्रथम इस कार्य हेतु रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया के द्वारा जारी किया हुआ गाइडलाइन्स का अनुपालन जरुरी है।  साथ ही इंस्टिट्यूट के द्वारा हर वर्ष बैंक ब्रांच ऑडिट से सम्बंधित किताब भी प्रकाशित किया जाता है जिसका अध्ययन इस कार्य को आसान बनती है।  उन्होंने कहा कभी कभी बैंक खातों के एन पी ए होने से बचाने के लिए फर्जी इन्सटॉलमेंट के जमा और फिर उसका निकासी दिखते हैं इस कारण सितम्बर और मार्च कि हर एंट्री को ध्यानपूर्वक देखनी चाहिए। उन्होंने बैंक ऑडिट के सम्बंधित स्ट्रेटेजी और डाटा एनालिसिस की तकनिकी पर जानकारी देते हुए डेमो के माध्यम से तकनिकी और कंप्यूटर की मदद से बैंको की वैधानिक अंकेक्षण का कार्य समय बद्ध तरीके से कैसे आसानी से सम्पन्न  कर सकते है | उन्होंने वैधानिक अंकेक्षण से जुड़े रिपोर्ट की फॉर्मेट एल एफ ए आर की हर कॉलम को पूरा करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

इस सेमिनार के दूसरे तकनिकी सत्र को सम्बोधित करते हुए कानपूर के विशेषज्ञ सीए अनिल सक्सेना ने कृषि लोन से जुड़े एन पी ए पर जानकारी देते हुए बताया कि कृषि लोन किसानो को रूबी या खरीफ फसलों के लिए दिए जाता है और यदि लोन दो खरीफ या रबी फसल का  सीजन जिसके लिए भी लोन लिया गया है बीत गया है और उसे बैंको के द्वारा वसूला नहीं गया है तो ऐसे लोन एनपीए के रूप में चिन्हित होंगे। उन्होंने कहा कि जानकारी के अभाव में बैंक हमें सकती है कि तीन वर्ष के बाद ही लोन एनपीए होंगे लेकिन कृषि लोन के सम्बन्ध में ऐसा नहीं है।  साथ ही कृषि लोन को एनपीए घोषित करने से पूर्व हमें यह भी देखना होगा कि सरकार के द्वारा इस क्षेत्र के लिए सूखा या बाढ़ क्षेत्र घोषित तो नहीं किया हुआ या क्योंकि ऐसी स्थिति में सरकारें कृषि लोन कि वसूली में समयसीमा बढ़ा देती है।

इस सेमिनार के उद्धघाटन सत्र में इस सेमिनार के विशेषज्ञ वक्तागण और रांची आस पास से इस सेमिनार में उपस्थित चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को सम्बोधित करते हुए इंस्टिट्यूट कि रांची शाखा कि चेयरपर्सन सीए श्रद्धा बागला  ने कहा कि सेमिनार का आयोजन का उद्देश्य चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को बैंको की वैधानिक ऑडिट से सम्बंधित रिज़र्व बैंक की नई गाइडलाइन की जानकारी देना है, ताकि उन्हें इन जानकारियों की मदद से बैंको के वैधानिक अंकेक्षण में काफी सहूलियत हो सके |उन्होंने कहा कि हमें बैंको की वैधानिक अंकेक्षण के लिए काफी काम समय मिलता है लेकिन फिर भी हम तकनिकी और अपने जानकारी के बल पर समयसीमा के अंदर अच्छी तरह यह दायित्व पूर्ण कर सकते है|

इस सेमिनार का संचालन  सीए प्रवीण सिन्हा ने किया। इस सेमिनार के समापन में इंस्टिट्यूट क्र रांची शाखा के सचिव सीए हरेन्दर भारती ने इस सेमिनार के विशेषज्ञ वक्ताओं और काफी संख्या में उपस्थित चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को धन्यवाद किया।

इस सेमिनार के आयोजन में इंस्टिट्यूट के रांची शाखा के उपाध्यक्ष सीए उमेश कुमार, कोषाध्यक्ष सीए अभिषेक केडिया, सी पी इ कमिटी के अध्यक्ष सीए निशांत मोदी, कार्यकारिणी सदस्य और पूर्व अध्यक्ष सीए प्रभात कुमार और सीए पंकज मक्कड़ का महत्वपूर्ण योगदान था।

 

 

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