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जिन घरों में एक मोबाइल होता है वहाँ किशोरियों की अपेक्षा किशोरों को अधिक वरीयता मिली है आनलाईन शिक्षा प्राप्त करने की : दीपिका

 

– क्वेस्ट अलायंस द्वारा एक अध्ययन के मुताबिक़ मोबाइल फोन और उसके इस्तेमाल में लिंग असमानता का दर बहुत देखा गया है |

– यदि किसी घर में 1 हीं मोबाइल फोन है तो करीब 51 % बच्चे दिन भर में 1 घंटे से भी कम समय मोबाइल पर बिताते हैं |

रांची, 18 मई 2022: कई अध्ययनों के अनुसार बच्चों की तकनिकी से दुर होने की वजह उनकी सामाजिक-आर्थिक पृष्ठभूमि है, हालाँकि स्वैच्छिक संस्था क्वेस्ट अलायंस के द्वारा जो अध्ययन किया  गया है वह  बताता है की मोबाइल तक पहुँच और इस्तेमाल में भारी लिंग विषमताएं व्याप्त है |

दिनाकं 18 मई, 2022 को एक अध्ययन जिसका शीर्षक “ कोविड-19 आपदा के दौरान किशोरोयों का मोबाईल लर्निंग के प्रति व्यवहार पर  एक समझ” का लोकार्पण प्रेस- वार्ता के दौरान  किया गया | इस अध्ययन में तीन राज्यों (बिहार,झारखंड और गुजरात) के ५०० उच्च एवं मध्य विद्यालयों की किशोरियों की प्रतिक्रया माँगी गयी थी | इस अध्ययन  से यह स्पष्ट पता चलता है कि घरों में मोबाईल की  संख्या और किशोरियों  का ओनलाइन सीखने पर  बिताये  गए   समय  के बीच एक  गहरा सह-सम्बन्ध है | प्रेस वार्ता का आयोजन “झारखंड में किशोरियों की स्थिति” कार्यक्रम के दौरान किया गया था जोकि क्वेस्ट अलायंस, सम्पूर्णा कंसोर्टियम, और दासरा एडोलोसेंट कोलाबोरेटीव् के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित था |

उदाहरण हेतु, झारखंड की अधिकतर किशोरियां, यानी 51%, जिनके घरों में केवल 1 मोबाइल फोने है, वे प्रतिदिन एक घंटे से कम समय मोबाईल पर बिताती हैं | जबकि, जिन घरों में 2 मोबाइल फोन हैं वहाँ 83% किशोरियां  प्रतिदिन 1-2 घंटे मोबाइल पर बिता पाती हैं |

दीपिका सिंह, असोसिएट निदेशक, विद्यालय कार्यक्रम (क्वेस्ट अलायंस) – “यदि घरों में मोबाईल की संख्या अधिक होती है तो हो सकता है की किशोरियां मोबाइल पर समय ज्यादा बिता पाएंगी | ऐसा देखा जाता है की जिन घरों में 1 मोबाइल होता है वहाँ किशोरियों की अपेक्षा किशोरों को अधिक वरियाता मिली है आनलाईन शिक्षा प्राप्त करने की |

हालाँकि अधिकतर बच्चों नें ऑफलाईन शिक्षा को ऑनलाईन शिक्षा के मुकाबले अधिक प्राथमिकता दी है | जबकी झारखंड की 36% किशोरियों ऑनलाईन शिक्षा को प्राथमिकता देती हैं |

प्रेस से बात करते हुए , सोमा साहू, 10वी की कस्तूरबा गाँधी बालिका विद्यालय, जमशेदपुर  की छात्रा, बताती हैं कि , “मुझे ऑनलाइन शिक्षा पसंद है, क्यूंकि मैं इसे आराम से अपने घर पर रहकर आसानी से जुड सकती हूँ, हालाँकि हमारे पास ऑनलाइन कक्षाओं के शुरू होने के पहले सीखने के लिए मोबाइल फोन तक पहुंच नहीं थी। कुछ ऑनलाइन पाठों को दिन के किसी भी समय ऑनलाइन एक्सेस किया जा सकता है, और यह मुझे अपनी दिनचर्या का पालन करने में मदद करता है।

इस दौरान, एक अन्य सर्वेक्षण जिसका शीर्षक “झारखंड में महिला आईटीआई की मैपिंग” था, का विमोचन किया गया | सर्वेक्षण से पता चला है कि 13 महिला आईटीआई में कुल 556 स्वीकृत सीटों में से 62% हीं भरे थे। केवल एक आईटीआई में उनकी 100% सीटें भरी हुई थीं, जबकि एक अन्य आईटीआई में उनकी सीटों का केवल 16.7% हीं भरी हुईं थीं | चूँकि महिला आईटीआई में स्वीकृत सीटे  नहीं भरे जा सकने के कारण कई राज्य सरकारें उन्हें सह-शिक्षा में तब्दील कर रही हैं जिससे की छात्रों के नामांकन को बढ़ाया जा सके |

महामारी के दौरान कई छात्रों को जीवकोपार्जन के लिए अपने ITI कार्यक्रम को बीच में छोड़ कर अन्य रोज़गार से जुडना पड़ा क्योंकि उनकी आजीविका गंभीर रूप से प्रभावित हो रही थी |
क्वेस्ट एलायंस ने राज्य सरकार के साथ काम करने और कुछ महिला आईटीआई में काम करने की योजना बनाई है ताकि उनके रोजगार कौशल में सुधार किया जा सके और उनके प्लेसमेंट को सुविधाजनक बनाया जा सके। इससे आईटीआई में दाखिले की मांग बढ़ेगी।
क्वेस्ट एलायंस के झारखंड के कार्यक्रम प्रबंधक,  सुशांत पाठक ने कहा, ‘हमारे प्रोजेक्ट के जरिए हम महिला आईटीआई में नामांकन बढ़ाना चाहते हैं। हम महिला आईटीआई प्रिंसिपलों के लिए नेतृत्व कौशलों के विकास हेतु कार्यशालाएं आयोजित करना चाहते हैं, प्लेसमेंट सहायता प्रदान करना चाहते हैं और आईटीआई में उद्योगों की भागीदारी बढ़ाना चाहते हैं।

कार्यक्रम  के बारे में :
मौजूदा हालात एवं कोविड-19 के बाद की स्थिति को देखते हुए  क्वेस्ट अलायंस ने, प्रोजेक्ट सम्पूर्णा एवं 10to19 दसरा अडोलेसेंट कोलाबोरेशन के साथ मिलकर किशोरियों की ओर ध्यान केंद्रित करते हुए एक राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया जहाँ उपस्थित हितधारक जैसे किशोरियां, अन्य प्रतिष्ठित समाज सेवी संस्थाएं जो शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं सशक्तिकरण जैसे मुद्दों पर झारखंड में काम करते है, स्वास्थ्य एवं शिक्षा विभाग के सरकारी पदाधिकारी, व्यावसायिक शिक्षा, दाता संस्थान, शिक्षक एवं बच्चे मिलकर किशोरियों के आवश्यकता  एवं ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए सार्थक अभ्यासों एवं वार्तालाप को प्रोत्साहित कर रहे हैं|

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