जुलाई | 04, 2017 :: सादगी और उच्च विचारों के धनी गुलजारी लाल नंदा का जन्म 4 जुलाई 1898 को पंजाब के सियालकोट हुआ था। इनके पिता का नाम बुलाकी राम नंदा तथा माता का नाम श्रीमती ईश्वर देवी नंदा था। नंदा की प्राथमिक शिक्षा सियालकोट में ही सम्पन्न हुई। गुलज़ारी लाल नंदा ने कला संकाय में स्नातकोत्तर एवं क़ानून की स्नातक उपाधि प्राप्त की। इनका विवाह 1916 में 18 वर्ष की उम्र में ही लक्ष्मी देवी के साथ सम्पन्न हो गया था। इनके परिवार में दो पुत्र और एक पुत्री सम्मिलित हुए।
उन्होंने लाहौर, आगरा एवं इलाहाबाद में अपनी शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय (1920-1921) में श्रम संबंधी समस्याओं पर एक शोध अध्येता के रूप में कार्य किया एवं 1921 में नेशनल कॉलेज (मुंबई) में अर्थशास्त्र के प्राध्यापक बने। इसी वर्ष वे असहयोग आंदोलन में शामिल हुए। 1922 में वे अहमदाबाद टेक्सटाइल लेबर एसोसिएशन के सचिव बने जिसमें उन्होंने 1946 तक काम किया। उन्हें 1932 में सत्याग्रह के लिए जेल जाना पड़ा एवं फिर 1942 से 1944 तक भी वे जेल में रहे।
श्री नंदा 1937 में बम्बई विधान सभा के लिए चुने गए एवं 1937 से 1939 तक वे बंबई सरकार के संसदीय सचिव (श्रम एवं उत्पाद शुल्क) रहे। बाद में, बंबई सरकार के श्रम मंत्री (1946 से 1950 तक) के रूप में उन्होंने राज्य विधानसभा में सफलता पूर्वक श्रम विवाद विधेयक पेश किया। उन्होंने कस्तूरबा मेमोरियल ट्रस्ट में न्यासी के रूप में, हिंदुस्तान मजदूर सेवक संघ में सचिव के रूप में एवं बाम्बे आवास बोर्ड में अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। वे राष्ट्रीय योजना समिति के सदस्य भी रहे। राष्ट्रीय मजदूर कांग्रेस के आयोजन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और बाद में इसके अध्यक्ष भी बने थे।
1947 में उन्होंने जेनेवा में हुए अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में एक सरकारी प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। उन्होंने सम्मेलन द्वारा नियुक्त ‘द फ्रीडम ऑफ़ एसोसिएशन कमेटी’ पर कार्य किया एवं स्वीडन, फ्रांस, स्विट्जरलैंड, बेल्जियम एवं इंग्लैंड का दौरा किया ताकि वे उन देशों में श्रम एवं आवास की स्थिति का अध्ययन कर सकें।
मार्च 1950 में वे योजना आयोग में इसके उपाध्यक्ष के रूप में शामिल हुए। अगले वर्ष सितंबर में वे केंद्र सरकार में योजना मंत्री बने। इसके अलावा उन्हें सिंचाई एवं बिजली विभागों का प्रभार भी दिया गया। वे 1952 के आम चुनाव में मुंबई से लोक सभा के लिए चुने गए एवं फिर से योजना, सिंचाई एवं बिजली मंत्री के रूप में नियुक्त हुए। उन्होंने 1955 में सिंगापुर में आयोजित योजना सलाहकार समिति एवं 1959 में जेनेवा में आयोजित अंतरराष्ट्रीय श्रम सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया।
श्री नंदा 1957 के आम चुनाव में लोकसभा के लिए चुने गए एवं श्रम तथा रोजगार और नियोजन के केंद्रीय मंत्री बनाये गए। बाद में वे योजना आयोग के उपाध्यक्ष नियुक्त हुए। उन्होंने 1959 में जर्मन संघीय गणराज्य, यूगोस्लाविया एवं ऑस्ट्रिया का दौरा किया।
1962 के आम चुनाव में वे गुजरात के साबरकांठा निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा के लिए पुन: निर्वाचित हुए। उन्होंने 1962 में समाजवादी लड़ाई के लिए कांग्रेस फोरम की शुरूआत की। वे 1962 एवं 1963 में केन्द्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री एवं 1963 से 1966 तक गृह मंत्री रहे।
पंडित नेहरू की मृत्यु के बाद उन्होंने 27 मई 1964 को भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। ताशकंद में श्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के बाद फिर से 11 जनवरी 1966 को उन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी।
गुलज़ारीलाल नन्दा को देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न (1997) और दूसरा सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान पद्म विभूषण प्रदान किया गया।
नंदा दीर्घायु हुए और 100 वर्ष की अवस्था में इनका निधन 15 जनवरी 1998 को हुआ। इन्हें एक स्वच्छ छवि वाले गांधीवादी राजनेता के रूप में सदैव याद रखा जाएगा।
आलेख: कयूम खान, लोहरदगा। [ http://edirectory.lenseye.co/business-directory/md-quaiyum-khan/ ]