जुलाई | 24, 2017 :: कुछ बातें एेसी होती हैं जो जीवन की दिशा बदल देती हैं। अभिनेता मनोज कुमार के सिनेमाई जीवन में ‘शहीद भगत सिंह’ के जीवन पर फिल्म बनाने का अवसर आया और उस एक घटना ने उनके सिनेमाई जीवन की दिशा ही बदल कर रख दी। शहीद फिल्म में मनोज कुमार के अभिनेता का मौलिक रूप उभर कर सामने आया। न केवल उनकी शहीद, भगत सिंह के जीवन पर बनी तमाम फिल्मों में श्रेष्ठ है, बल्कि मनोज का भगत सिंह के रूप में किया गया अभिनय भी उनके अभिनय जीवन का श्रेष्ठतम प्रदर्शन है। भगत सिंह तो उस अल्पायु में ही देश की स्वतंत्रता के लिए शहीद हो गये, जिस उम्र में लगातार पढ़ने वाले विधार्थी अपनी शिक्षा भी समाप्त नहीं कर पाते। साठ के दशक में करोड़ो ऐसे भारतीय होंगे जिन्होने भगत सिंह की सिर्फ तस्वीरें इधर उधर छपी देखी होंगी। मनोज कुमार ने मानो भगत सिंह को शहीद के माध्यम से पूरे देश के सामने सजीव खड़ा कर दिया।
बॉलीवुड में देशभक्ति फिल्मों का जिक्र हो तो अभिनेता मनोज कुमार का जिक्र सबसे पहले आता है। मनोज कुमार इंडस्ट्री के इतिहास में सबसे ज्यादा देशभक्ति पर आधारित फिल्में करने वाले अभिनेता हैं। उनकी फिल्में सामाजिक मुद्दों पर प्रहार करती थीं साथ ही पारिवारिक भी होती थीं। 1967 में आई फिल्म उपकार के सुपरहिट होने के बाद उनका नाम भारत कुमार पड़ गया। इस फिल्म में उनके किरदार का नाम भी भारत था।
मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 में एबोटाबाद (पाकिस्तान) में हुआ था। बतौर अभिनेता उनकी पहली फिल्म 1957 में आई फैशन थी हालांकि फिल्म ज्यादा चली नहीं। इसके बाद 1960 में बनी फिल्म ‘कांच की गुड़िया’ में अभिनेत्री सईदा खान के अपोजिट पहला लीड रोल मिला। इसके बाद एक से बढ़कर एक फिल्में रिलीज हुईं इसमें पिया मिलन की आस, रेशमी रुमाल, हरियारी और रास्ता, वो कौन थी और हिमालय की गोद में जैसी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट हुईं। मनोज कुमार की देशभक्ति वाली फिल्मों में शहीद, उपकार, पूरब-पश्चिम, शोर और क्रांति शामिल हैं।
1964 में डायरेक्टर राज खोसला ने साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म वो कौन थी बनाई थी। फिल्म में अपनी भरत कुमार वाली इमेज से अलग मनोज कुमार एक डॉक्टर की भूमिका में थे। फिल्म के गाने बेहद पसंद किए गए, खासकर नैना बरसे रिमझिम रिमझिम और लग जा गले। इस फिल्म के रिलीज होने के बाद तमिल में इसका रीमेक भी बना था।
मनोज कुमार शहीद भगत सिंह से बेहद प्रभावित हैं और इसीलिए 1965 में आई फिल्म शहीद में उन्होंने भगत सिंह के रूप में एक सच्चे देशभक्त के किरदार को जीवंत कर दिया था। भगत सिंह पर उसके बाद कई बायोपिक बनी लेकिन भगत सिंह के नाम पर आज भी सबसे पहले मनोज कुमार का चेहरा याद आता है। मनोज कुमार को फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ कहानीकार का राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया था।
1967 में आई इस फिल्म के निर्देशक और लीड हीरो खुद मनोज कुमार ही थे। फिल्म का गाना ‘मेरे देश की धरती’ बहुत हिट हुआ था और देशभक्ति के लिए मिसाल के तौर पर आज भी सुना जाता है। इस फिल्म में मनोज कुमार ने करियर की सर्वश्रेष्ठ अदाकारी भी की थी। फिल्म में मनोज कुमार के भारत चरित्र के साथ ही प्राण का मलंग चाचा का किरदार भी काफी लोकप्रिय हुआ था। उपकार खूब सराही गई और उसे सर्वश्रेष्ठ फिल्म, सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ कथा और सर्वश्रेष्ठ संवाद श्रेणी में फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था। फिल्म को द्वितीय सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का राष्ट्रीय पुरस्कार और सर्वश्रेष्ठ संवाद का बीएफजेए अवार्ड भी दिया गया।
मनोज कुमार द्वारा निर्देशित और एक्टर के तौर पर एक और फिल्म। इस फिल्म के निर्माता भी वे खुद ही थे। देशभक्ति से लबरेज पूरब और पश्चिम विदेशों में बसे भारतीय एनआरआई पर आधारित थी। फिल्म का गीत है प्रीत जहां की रीत सदा बेहद लोकप्रिय हुआ था। यह वह दौर था जब लंबे समय तक अंग्रेजों की गुलामी झेलने के बाद मुक्त हुआ भारत देशभक्ति से भरपूर फिल्मों को पसंद करने लगा था।
1967 में आई फिल्म पत्थर के सनम में मनोज कुमार की भूमिका उनकी देशभक्ति वाली फिल्मों से अलग थी। वह एक रोमांटिक किरदार में थे और फिल्म में उनके साथ वहीदा रहमान और मुमताज थीं। फिल्म सुपरहिट और फिल्म के गाने भी काफी प्रचलित हुए थे।
आलेख: कयूम खान, लोहरदगा।